नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या से विधानसभा का चुनाव (UP Assembly Election) लड़ेंगे. गुरुवार को नई दिल्ली में हुई भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू सीट से और दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा लखनऊ से चुनाव मैदान में उतरेंगे. हालांकि, इसकी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है.
जानकारी के अनुसार, भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने 172 सीटों पर चर्चा की और नाम तय कर दिए हैं. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की हुई बैठक में यह निर्णय हुआ. उम्मीदवारों के नाम का ऐलान जल्द होगा. पार्टी ने जिन 172 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया है, उनमें से अधिकांश पर पहले और दूसरे चरण में मतदान होना है.
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होगा और इसकी शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी. दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा. पार्टी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है. बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में मौर्य ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में 172 सीटों पर विचार विमर्श हुआ. उन्होंने दावा किया कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा 2017 से भी बड़ी जीत दर्ज करेगी.
अब अयोध्या होगा हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र?
सीएम योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाओं पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह दांव न केवल अयोध्या को देश में हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र मिलाकर खड़ा कर रहा है बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे को और भी मजबूत करने वाला साबित होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के शिक्षक और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय गुप्ता कहते हैं कि अयोध्या भारतीय जनता पार्टी की आध्यात्मिक जन्मभूमि के साथ ही आध्यात्मिक कर्मभूमि भी है. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समय से ही भारतीय जनसंघ के मेनिफेस्टो में अयोध्या जन्मभूमि का एक विषय था. आज वो दिन आ गया है जब न केवल रामजन्म भूमि को मुक्त किया गया बल्कि इस पर भव्य मंदिर बनवाया जा रहा है.
प्रो. संजय गुप्ता का कहना है कि अब योगी का अयोध्या से चुनाव लड़ना इस बात का संदेश है कि आध्यात्मिक के साथ ही एक विकास का भी एजेंडा है. क्योंकि जिस अयोध्या को इतने सालों तक एक राजनीतिक मुद्दा माना गया, उसी को आज विश्व के पटल पर भाजपा द्वारा सिरमौर बना दिया गया. यहां अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है. कई देशों ने अपने दूतावास और केंद्र वहां विकसित करने की तैयारियां कर ली है. बड़े-बड़े होटल आ रहे हैं, हाईवे बन रहा है. एक्सप्रेस वे के साथ कई सारे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इससे यह संदेश भी दिया जा रहा है कि भाजपा के पास आध्यात्मिक या यूं कहें कि हिंदुत्व के साथ एक विकास का मॉडल भी है.
प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि अगर विशुद्ध राजनीति के तौर पर देखा जाए तो एक संदेश यह भी है कि एक और अयोध्या के माध्यम से जहां पूर्वांचल के मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई है. उन्हें एक सकारात्मक संदेश मिलेगा. वहीं पूरे उत्तर प्रदेश के हिंदुत्व को भी ओर खींचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि 'यह जो चर्चाएं चल रही थी कि योगी मथुरा या गोरखपुर से लड़ेंगे, उनको यह संदेश भी जा रहा है कि सीएम योगी अपने वचन को पूरा करने के साथ ही अयोध्या को राजनीतिक कर्मभूमि बना रहे हैं. जैसे मोदी जी ने बनारस को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया वैसे ही योगीजी ने अयोध्या को अपनी राजनीति का केंद्र बिंदु बनाया है.
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गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से भाजपा में बैठकों का दौर जारी है. अब तक हुई बैठकों के दौरान भाजपा की चर्चाओं के केंद्र में उत्तर प्रदेश रहा. पार्टी ने जहां अपने उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की, वहीं अपने सहयोगियों को साधने की भी कोशिश की है. सूत्रों ने बताया कि इन बैठकों के दौरान पार्टी के भीतर योगी आदित्यनाथ को अयोध्या सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर भी चर्चा हुई है, लेकिन इसके बारे में अंतिम फैसला पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) पर छोड़ दिया गया है. योगी अभी विधानपरिषद के सदस्य हैं. वह पांच बार गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं.
बता दें, सीईसी उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आदित्यनाथ को अयोध्या और मौर्य को सिराथू से विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है. दिनेश शर्मा को राजधानी लखनऊ की किसी सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार को अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव सिंह के साथ देर रात तक सीटों के तालमेल को लेकर चर्चा की, वहीं निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने अपने सांसद पुत्र प्रवीण निषाद के साथ अमित शाह से चर्चा की.
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सूत्रों ने बताया कि अनुप्रिया पटेल 20 सीटों की मांग कर रही हैं, लेकिन भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा चाहती है कि पिछले विधानसभा चुनाव में अपना दल को जितनी सीटें मिली थी, वह उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़े. पिछले विधानसभा चुनाव में अपना दल को गठबंधन के तहत 11 सीटें मिली थीं. पार्टी को नौ सीटों पर जीत मिली थी.
उत्तर प्रदेश के साथ ही निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिुपर में चुनावों की तारीखों की घोषणा की है. उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में 14 फरवरी को मतदान होगा जबकि मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा. उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा.