भोपाल। हर दिन एक पौधा लगाने का रिकार्ड बना चुके सीएम शिवराज के राज में पौधारोपण पर पांच साल में 2000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन हैरत की बात ये है कि अब तक इस प्लाटेंशन के बाद दस फीसदी पौधे ही बच पाए हैं. खास बात ये है कि सीएम शिवराज अपने हाथों से जो पौधा लगाते हैं उनमें 98 फीसदी पौधे भोपाल की स्मार्ट सिटी में हरिया गए हैं. लेकिन पूरे प्रदेश में जिसमें खासतौर पर नर्मदा किनारे किए गए पौधारोपण का ये हाल है कि पौधे ही नहीं बचे. 2000 करोड़ खर्च करने के भी दस फीसदी ही बढ़ पाया है.
2 हजार करोड़ खर्च, बढ़ा सिर्फ 10 वर्ग किमी फॉरेस्ट: एमपी सरकार ने मार्च में पौधारोपण को लेकर विधानसभा में रिपोर्ट पेश की, यह रिपोर्ट सरकार द्वारा कराए गए पौधारोपण की स्थिति को बताती है. पौधारोपण की स्थिति पर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने सवाल पूछा था इस सवाल के जवाब में सरकार ने पौधारोपण की स्थिति बताई थी. रिपोर्ट में सरकार के वन मंत्री विजय शाह ने पौधारोपण से संबंधित आंकड़े पेश किए. रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016 से वर्ष 2022 तक सरकार ने पौधारोपण पर 2 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इतनी राशि खर्च करने के बाद मात्र 10 फीसदी का फॉरेस्ट बढ़ सका है.
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विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के वनों को हरा रखने और पौधारोपण के बाद उनके संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने बीते चार साल में 16 सौ करोड़ रुपए खर्च कर डाले. पौधारोपण पर बीते चार साल में 1510 करोड़ खर्च किए गए. इनके रखरखाव पर करीब 90 करोड़ खर्च हुए. इतना खर्च करने के बाद भी हरियाली भी नहीं बढ़ी और अवैध कटाई भी नहीं रुक पाई.
132 वर्ग किलो मीटर का मध्यम घना जंगल घटा: एमपी सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016 से 2021-22 तक पौधारोपण पर 2 हजार करोड खर्च किए हैं. इसके बाद भी मध्यम घना जंगल 132 वर्ग किमी तक घट गया है. वर्ष 2019 में मध्यम घना जंगल 34,341 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 34,209 रह गया. इससे साफ पता चलता है कि प्रदेश के जंगलों में जमकर अवैध कटाई हो रही है. प्रदेश के जंगल को हरा-भरा रखने हर साल चार से पांच करोड़ पौधे लगाए जाते हैं. इन पौधों की खरीदी और रखरखाव पर तकरीबन 400 करोड़ तक का खर्च आता है. पिछले पांच साल में वन विभाग ने 20 करोड़ से ज्यादा पौधे रोपे. पौधारोपण के छह महीने बाद इनकी मॉनीटरिंग और गणना भी हुई. यह गणना साल में दो बार होती है. इस तरह की गणना तीन साल तक लगातार चलती है.
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दावों की खुली पोल: गणना में देखा जाता है कि लगाए गए पौधों में से कितने फीसदी जीवित बचे, लेकिन पौधारोपण के बाद की गणना और मानीटरिंग का रिकार्ड मौजूद नहीं है, वन अधिकारी दावा जरूर कर रहे हैं कि लगाए गए पौधों में से 50 फीसदी से ज्यादा जीवित हैं, लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वन मंत्री उमंग सिंघार ने पौधारोपण में होने वाली धांधली को रोकने एक सर्वे कराया था, उस सर्वे में पौधारोपण की हकीकत सामने आई थी. विभाग ने बैतूल उत्तर मंडल की शाहपुरा रेंज में 15 हजार 526 पौधे लगाने का दावा किया, लेकिन मौके पर नौ हजार गड्ढे ही मिले थे. इनमें भी दो से ढाई हजार पौधे ही पाए गए. गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने पांच मैदानी कर्मचारियों को निलंबित किया था.