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सुप्रीम कोर्ट ने सिंघू बॉर्डर खोलने की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

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Published : Sep 6, 2021, 5:20 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोनीपत के लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है. न्यायालय ने लोगों से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोनीपत के निवासियों की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली और हरियाणा के सिंघू बॉर्डर के बीच सड़क को खोलने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा.

आपको बता दें कि किसानों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में इस सड़क को जाम कर रखा है. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता है और उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन राज्य प्रशासन भी करा सकता है कि वह प्रदर्शन की स्वतंत्रता और मूल सुविधाएं हासिल करने की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए.

पीठ ने याचिका वापस लिए जाने की अनुमति दे दी और उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हस्तक्षेप जरूरी है लेकिन स्थानीय मुद्दों को देखने के लिए उच्च न्यायालय हैं.

इसे भी पढे़ं-ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- अदालत के फैसले का सम्मान नहीं कर रहा केंद्र

पीठ ने कहा, मान लीजिए कल कर्नाटक और केरल या किसी अन्य राज्य के बीच सीमा विवाद होता है. इसका कोई अंत नहीं है. यह अदालत समस्या का पहला समाधान नहीं है. स्थानीय समस्याओं के लिए उच्च न्यायालय हैं. हमारे पास ठोस व्यवस्था है.

सोनीपत निवासी जय भगवान और जगबीर सिंह छिकारा की तरफ से पेश हुए वकील अभिमन्यु भंडारी ने कहा कि सिंघू बोर्डर महानगर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है जो दिल्ली और हरियाणा को जोड़ता है लेकिन जाम के कारण इससे आवाजाही के लोगों के अधिकार का हनन हो रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोनीपत के निवासियों की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली और हरियाणा के सिंघू बॉर्डर के बीच सड़क को खोलने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा.

आपको बता दें कि किसानों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में इस सड़क को जाम कर रखा है. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता है और उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन राज्य प्रशासन भी करा सकता है कि वह प्रदर्शन की स्वतंत्रता और मूल सुविधाएं हासिल करने की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए.

पीठ ने याचिका वापस लिए जाने की अनुमति दे दी और उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हस्तक्षेप जरूरी है लेकिन स्थानीय मुद्दों को देखने के लिए उच्च न्यायालय हैं.

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पीठ ने कहा, मान लीजिए कल कर्नाटक और केरल या किसी अन्य राज्य के बीच सीमा विवाद होता है. इसका कोई अंत नहीं है. यह अदालत समस्या का पहला समाधान नहीं है. स्थानीय समस्याओं के लिए उच्च न्यायालय हैं. हमारे पास ठोस व्यवस्था है.

सोनीपत निवासी जय भगवान और जगबीर सिंह छिकारा की तरफ से पेश हुए वकील अभिमन्यु भंडारी ने कहा कि सिंघू बोर्डर महानगर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है जो दिल्ली और हरियाणा को जोड़ता है लेकिन जाम के कारण इससे आवाजाही के लोगों के अधिकार का हनन हो रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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