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नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश पर रोक लगाने से SC का इनकार

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Published : Sep 6, 2021, 5:44 PM IST

उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttrakhand High Court) ने 24 अगस्त से फिजीकल हीरिंग (physical hearing) फिर से शुरू करने और वर्चुअल सुनवाई (virtual hearing) को रोकने के लिए अधिसूचना जारी की थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

SC का इनकार
SC का इनकार

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मामलों की नियमित (प्रत्यक्ष) सुनवाई फिर से शुरू करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. शीर्ष आदालत ने कहा कि डिजिटल सुनवाई से युवा वकील प्रभावित हो रहे हैं. मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण नियमित सुनवाई को निलंबित कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कुछ उच्च न्यायालय को नोटिस जारी किया है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को भी मामले में पक्ष बनाया और उन्हें नोटिस जारी किए. पीठ ने स्पष्ट किया कि डिजिटल सुनवाई का उपयोग सीमित होना चाहिए और याचिकाकर्ता को यह नहीं कहना चाहिए कि 'हाइब्रिड' व्यवस्था हमेशा के लिए जारी रहनी चाहिए.

पीठ ने कहा, 'हम बीसीआई और एससीबीए को नोटिस जारी करेंगे. देखते हैं कि उनका क्या जवाब होता है. हमने आदेश देखा है लेकिन हम इस पर रोक नहीं लगा रहे हैं.' कोर्ट ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुनना चाहेगी और अभी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड, एमपी, बॉम्बे और केरल उच्च न्यायालय को भी नोटिस जारी किया.

पीठ ने कहा कि इस अदालत का इरादा वकीलों को यहां नहीं देखने का नहीं है. पीठ ने कहा, 'हमें वास्तव में आपकी कमी खल रही है. हम आपको आमने-सामने देखना चाहते हैं. वकीलों का प्रदर्शन भी प्रभावित हो रहा है. आपके कार्यालय में बैठ कर दलीलें देना अदालत में बहस करने से अलग है.

युवा वकील कैसे सीखेंगे?
पीठ ने कहा, 'हम वास्तव में अदालत में आंखों से आंखों का संपर्क खो रहे हैं जहां आप पूरे प्रवाह में दलीलें दे रहे होते हैं. यह सब अभी नहीं हो रहा है. युवा वकील कैसे सीखेंगे? अधिकतर युवा वकील अदालत में बैठकर और वरिष्ठों को बहस करते हुए देखकर सीखते हैं. यह सब डिजिटल तरीके में संभव नहीं है.'

पीठ ने कहा, 'हम सभी कोविड​​​​-19 के खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और भगवान करे कि तीसरी लहर चली जाए और गंभीर नहीं हो तथा चीजें सामान्य हो जाएं. इसलिए, याचिकाकर्ता अब भी जोर दे रहे हैं कि अदालत को भौतिक रूप में कार्य नहीं करना चाहिए.'

याचिकाकर्ता - ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि 'हाइब्रिड' व्यवस्था जारी रहनी चाहिए और इसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रत्यक्ष सुनवाई फिर से शुरू हो. मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.

शीर्ष अदालत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई, जो मार्च में कोविड महामारी के कारण निलंबित कर दी गई थी, 24 अगस्त से फिर शुरू होगी.

पढ़ें- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्चुअल सुनवाई पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मामलों की नियमित (प्रत्यक्ष) सुनवाई फिर से शुरू करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. शीर्ष आदालत ने कहा कि डिजिटल सुनवाई से युवा वकील प्रभावित हो रहे हैं. मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण नियमित सुनवाई को निलंबित कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कुछ उच्च न्यायालय को नोटिस जारी किया है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को भी मामले में पक्ष बनाया और उन्हें नोटिस जारी किए. पीठ ने स्पष्ट किया कि डिजिटल सुनवाई का उपयोग सीमित होना चाहिए और याचिकाकर्ता को यह नहीं कहना चाहिए कि 'हाइब्रिड' व्यवस्था हमेशा के लिए जारी रहनी चाहिए.

पीठ ने कहा, 'हम बीसीआई और एससीबीए को नोटिस जारी करेंगे. देखते हैं कि उनका क्या जवाब होता है. हमने आदेश देखा है लेकिन हम इस पर रोक नहीं लगा रहे हैं.' कोर्ट ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुनना चाहेगी और अभी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड, एमपी, बॉम्बे और केरल उच्च न्यायालय को भी नोटिस जारी किया.

पीठ ने कहा कि इस अदालत का इरादा वकीलों को यहां नहीं देखने का नहीं है. पीठ ने कहा, 'हमें वास्तव में आपकी कमी खल रही है. हम आपको आमने-सामने देखना चाहते हैं. वकीलों का प्रदर्शन भी प्रभावित हो रहा है. आपके कार्यालय में बैठ कर दलीलें देना अदालत में बहस करने से अलग है.

युवा वकील कैसे सीखेंगे?
पीठ ने कहा, 'हम वास्तव में अदालत में आंखों से आंखों का संपर्क खो रहे हैं जहां आप पूरे प्रवाह में दलीलें दे रहे होते हैं. यह सब अभी नहीं हो रहा है. युवा वकील कैसे सीखेंगे? अधिकतर युवा वकील अदालत में बैठकर और वरिष्ठों को बहस करते हुए देखकर सीखते हैं. यह सब डिजिटल तरीके में संभव नहीं है.'

पीठ ने कहा, 'हम सभी कोविड​​​​-19 के खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और भगवान करे कि तीसरी लहर चली जाए और गंभीर नहीं हो तथा चीजें सामान्य हो जाएं. इसलिए, याचिकाकर्ता अब भी जोर दे रहे हैं कि अदालत को भौतिक रूप में कार्य नहीं करना चाहिए.'

याचिकाकर्ता - ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि 'हाइब्रिड' व्यवस्था जारी रहनी चाहिए और इसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रत्यक्ष सुनवाई फिर से शुरू हो. मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.

शीर्ष अदालत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई, जो मार्च में कोविड महामारी के कारण निलंबित कर दी गई थी, 24 अगस्त से फिर शुरू होगी.

पढ़ें- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्चुअल सुनवाई पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील

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