नई दिल्ली : 'अगर आप लोगों को सालों तक जेल में डाल रहे तो मुकदमें की क्या जरूरत है?" उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत 66 वर्षीय आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) से कहीं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ ने कहा कि आरोपी को 16 अक्टूबर 2017 से हिरासत में है और निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की कोई संभावना नहीं है. पीठ ने इस तथ्य पर विचार करने के बाद आरोपी को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया.
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सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक है और सुनवाई में कोई प्रगति नहीं हुई है. इस पर एनसीबी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि याचिकाकर्ता 35 किलोग्राम गांजा के साथ एक कमरे में पाया गया था, जो वाणिज्यिक मात्रा से अधिक है. इस पर सीजेआई रमना ने एएसजी से पूछा, 'राजू मैं आपसे पूछना चाहता हूं. आपके अनुसार उन्हें कितने साल तक बिना मुकदमे के जेल में रखा जा सकता है?.