मॉस्को / कीव / नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) की विभीषिका से लाखों नागरिक प्रभावित हो रहे हैं. हालांकि, लगभग 8 साल पहले रूस से अलग हुए क्रीमिया के लिए यह युद्ध प्यास बुझाने वाला साबित हुआ है. दरअसल, 2014 में यूक्रेन से अलग होने के बाद क्रीमिया भीषण जल संकट (crimea water crisis) का सामना कर रहा है. यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध के कई कारणों में शायद एक कारण क्रीमिया का जल संकट भी रहा है.
रूस और यूक्रेन के युद्ध के चौथे दिन शनिवार को, रूस की सेना ने अपने प्राथमिक उद्देश्यों में से एक को प्राप्त किया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना ने नॉर्थ क्रीमिया कैनाल (North Crimea Canal) पर बनाए गए बांध को नष्ट कर दिया. इसका निर्माण पानी को अवरुद्ध करने के लिए यूक्रेन द्वारा किया गया था. नहर की मदद से नीपर नदी का पानी क्रीमिया (Dneiper river water Crimea) तक जाता था.
बता दें कि ईटीवी भारत ने गत 24 जनवरी को रिपोर्ट किया था कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के मूल कारणों में पानी भी शामिल है. इस रिपोर्ट में ईटीवी भारत ने बताया था कि आधुनिक युग का पहला युद्ध पानी के कारण होगा. बता दें कि क्रीमिया जल संकट को लेकर रूस ने गुरुवार की सुबह आखिरकार यूक्रेन पर हमला कर दिया.
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भौगोलिक स्वरूप की बात करें तो क्रीमियन प्रायद्वीप लगभग 2.5 मिलियन लोगों की आबादी है, इनमें से अधिकांश रूसी हैं. यह भूभाग सभी तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है. भूमि की एक पतली पट्टी यूक्रेन और क्रीमिया को जोड़ती है.
गौरतलब है कि कई साल पहले क्रीमिया को सोवियत युग की एक नहर से पानी मिलता था. यूक्रेन की मुख्य भूमि की नदियों से पानी नहर में आता था और क्रीमिया की 85 प्रतिशत पानी की जरूरतें इसी से पूरी होती थी. 2014 में रूस में विलय के बाद क्रीमिया में पानी की समस्या उभरने लगी. रूस ने पानी की आपूर्ति के लिए बड़ी राशि खर्च की है. क्रीमिया में पानी की जरूरतों- खेत में सिंचाई और रूसी नौसैनिक अड्डे पर पानी की जरूरत होने पर रूस की मुख्य भूमि से पानी का परिवहन किया जाता रहा है.
जब से यूक्रेन ने क्रीमिया को पानी देना बंद किया कई शहरों में संकट पैदा होने की खबर सामने आई. फियोदोसिया (Feodosia), केर्च (Kerch), सुदक (Sudak), लेनिन्स्की जिला (Leninsky district), सिम्फ़रोपोल (Simferopol) और सेवस्तोपोल (Sevastopol) जैसे शहरों को भारी नुकसान हुआ. यहां तक कि फसल के पैटर्न में भी बदलाव आया और किसानों को धान की खेती छोड़नी पड़ी. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014 से 2022 के बीच रूस ने क्रीमिया में लगभग 15 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बावजूद क्रीमिया में पानी की कमी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
ऐतिहासिक रिपोर्ट के मुताबिक सोवियत काल में 4,02,000 हेक्टेयर से भूमि की सिंचाई होती थी. 2015 में सिंचित भूमि घटकर 10,000 हेक्टेयर रह गई. रूस के निवेश के बाद 2018 में सिंचाई वाला भूभाग बढ़कर 17,000 हेक्टेयर हो गया.
क्रीमियन गणराज्य के प्रमुख सर्गेई अक्स्योनोव (Sergey Aksyonov) ने एक रूसी मीडिया आउटलेट को बताया, हमारी सेना ने नाजियों (यूक्रेन सरकार) द्वारा बनाए गए बांध को नष्ट कर दिया, जिसने नॉर्थ क्रीमिया कैनाल को अवरुद्ध कर दिया था. अक्स्योनोव ने कहा कि पानी का अवरोध खत्म करने का काम जारी है.
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जानकारी के मुताबिक रूस ने खेरसॉन क्षेत्र पर आक्रमण की योजना बनाई. नॉर्थ क्रीमिया कैनाल खेरसॉन क्षेत्र में फैला है. नहर या जल पर नियंत्रण उन कारणों में से एक है, जिनके कारण रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है. खेरसॉन क्षेत्र के नियंत्रण के बाद रूस की सेना के लिए डोनबास क्षेत्र में रूस समर्थक लड़ाकों के साथ जुड़ना आसान हो जाएगा. इसके बाद ओडेसा जैसे रणनीतिक बंदरगाह बहुत कमजोर बन जाएंगे.
कृषि भूमि की सिंचाई और बड़ी रूसी आबादी जैसे कारकों के अलावा क्रीमिया रणनीतिक रूप से भी रूस के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि सेवस्तोपोल में रूस का शक्तिशाली ब्लैक सी फ्लीट (Russia Black Sea fleet at Sevastopol) है. रूस के कई बंदरगाह जब सर्दियों में जम जाते हैं तो इसी बंदरगाह से रूस को पूरे वर्ष में आवागमन की सुविधा (navigability) मिलती है.
बता दें कि रविवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया. इससे पहले अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो और यूरोपीय संघ के देशों ने रूस पर सख्त पाबंदियां लगाईं जिसके बाद रूस का आक्रमण तेज हो गया. नाटो ने पुतिन के आदेश को 'खतरनाक और अस्वीकार्य' बताते हुए कड़ी निंदा की थी.
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रूस यूक्रेन युद्ध से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि दोनों पक्षों के बीच बेलारूस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई है. युद्ध की विभीषिका के बीच इसे उत्साहजनक संकेत माना गया. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको रूस और यूक्रेन की वार्ता की मध्यस्थता कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच वार्ता यूक्रेन-बेलोरस सीमा पर पिपरियात नदी के पास हुई.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यूक्रेन युद्ध से जुड़ी खबरों से संकेत मिले कि यूक्रेन की सेना ने कई शहरों में रूसी फौज को मुंहतोड़ जवाब दिया. इसके बाद सैन्य कार्रवाई पर लगाम लगी थी. यूक्रेनी सेना के साथ संघर्ष में वहां के सशस्त्र नागरिकों के शामिल होने के कारण रूस की सेना की कार्रवाई प्रभावित हुई.