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तमिलनाडु सरकार ने LGBT समुदाय को पुलिस उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून में किया संशोधन

तमिलनाडु सरकार (tamilnadu government ) ने समलैंगिक महिलाओं, पुरूषों,किन्नरों और बाइसेक्सुअल (LGBTQIA)समुदाय से संबंधित लोगों तथा इनके कल्याण के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठनों को पुलिस उत्पीड़न से बचाने के लिए तमिलनाडु अधीनस्थ पुलिस अधिकारी आचरण नियमावली में संशोधन किया है.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Feb 18, 2022, 4:00 PM IST

Updated : Feb 18, 2022, 4:29 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार (tamilnadu government ) ने LGBT समुदाय को पुलिस उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून में संशोधन किया है. राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इन समुदायों के लोगों और इनके कल्याण से जुड़े गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करेगा.

राज्य सरकार का यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट 2021 के फैसले के मद्देनजर आया है जिसमें राज्य सरकार को मौजूदा पुलिस नियमावली में संशोधन करने को कहा गया था. इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार को मौजूदा कानूनों में संशोधन कर यह प्रावधान करना चाहिए ताकि कोई भी पुलिस अधिकारी इन समुदायों से जुड़े लोगों या गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करे. ऐसा करने वाले अधिकारी के खिलाफ दंड़ात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंद वैंकटेश ने अपने आदेश में कहा था पुलिस नियमावली में विशेष उपबंध जोड़ा जाना चाहिए ताकि कोई भी पुलिस अधिकारी इन वर्गों के लोगों या इनके कल्याण के लिए काम करे रहे गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करे. ऐसा करने वाले अधिकारी के आचरण को दुर्व्यवहार माना जाएगा तथा इसके लिए दंड़ का प्रावधान होगा.

इन समुदायों के लिए काम करने वाले संगठन इरूक्कु ल नीरम के कार्यकर्ता सारंगपानी ने बताया कि पुलिस नियमावली में संशोधन किए जाने संबंधी आदेश ऐतिहाासिक है. हम पिछले कईं वर्षों से इन समुदायों के लोगों के लिए काम करते रहे हैं और पुलिस का हस्तक्षेप तथा उत्पीड़न झेलना हमारे लिए असहनीय हो गया था. न्यायाधीश महोदय ने राज्य सरकार को जो आदेश दिया है हम उन्हें इसके लिए धन्यवाद देते हैं. अब इन समुदायों के लोगों तथा उनके लिए काम करने वाले लोगों का जीवन आसान हो जाएगा.

यह भी पढ़ें- पंजाब के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को पत्र लिखा, केजरीवाल के खिलाफ जांच की मांग

इन वर्गों के लिए पिछले 15 वर्षों से काम करने वाले मनोचिकित्सक एम जयारत्नम ने बताया कि यह एक बड़ा कदम है. खासकर इन समुदायों से जुड़ी महिलाओं के कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम है. अब ये लोग पुलिस उत्पीड़न से बचते हुए अपने मौलिक अधिकारों का आनंद ले सकेंगे. चेन्नई में सांथोम की एक कार्यकर्ता और किन्नर जीवा के. ने बातचीत करते हुए कहा मैं इतनी खुश हूं कि इस पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि मैंने इतने दिनों से जो पुलिस उत्पीड़न झेला है वह असहनीय था. इसने मुझे मानसिक तौर पर बहुत परेशान किया था और अब इस आदेश से काफी राहत मिली है. अदालत तथा राज्य सरकार के इस फैसले के हम आभारी हैं.

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार (tamilnadu government ) ने LGBT समुदाय को पुलिस उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून में संशोधन किया है. राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इन समुदायों के लोगों और इनके कल्याण से जुड़े गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करेगा.

राज्य सरकार का यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट 2021 के फैसले के मद्देनजर आया है जिसमें राज्य सरकार को मौजूदा पुलिस नियमावली में संशोधन करने को कहा गया था. इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार को मौजूदा कानूनों में संशोधन कर यह प्रावधान करना चाहिए ताकि कोई भी पुलिस अधिकारी इन समुदायों से जुड़े लोगों या गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करे. ऐसा करने वाले अधिकारी के खिलाफ दंड़ात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंद वैंकटेश ने अपने आदेश में कहा था पुलिस नियमावली में विशेष उपबंध जोड़ा जाना चाहिए ताकि कोई भी पुलिस अधिकारी इन वर्गों के लोगों या इनके कल्याण के लिए काम करे रहे गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं करे. ऐसा करने वाले अधिकारी के आचरण को दुर्व्यवहार माना जाएगा तथा इसके लिए दंड़ का प्रावधान होगा.

इन समुदायों के लिए काम करने वाले संगठन इरूक्कु ल नीरम के कार्यकर्ता सारंगपानी ने बताया कि पुलिस नियमावली में संशोधन किए जाने संबंधी आदेश ऐतिहाासिक है. हम पिछले कईं वर्षों से इन समुदायों के लोगों के लिए काम करते रहे हैं और पुलिस का हस्तक्षेप तथा उत्पीड़न झेलना हमारे लिए असहनीय हो गया था. न्यायाधीश महोदय ने राज्य सरकार को जो आदेश दिया है हम उन्हें इसके लिए धन्यवाद देते हैं. अब इन समुदायों के लोगों तथा उनके लिए काम करने वाले लोगों का जीवन आसान हो जाएगा.

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इन वर्गों के लिए पिछले 15 वर्षों से काम करने वाले मनोचिकित्सक एम जयारत्नम ने बताया कि यह एक बड़ा कदम है. खासकर इन समुदायों से जुड़ी महिलाओं के कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम है. अब ये लोग पुलिस उत्पीड़न से बचते हुए अपने मौलिक अधिकारों का आनंद ले सकेंगे. चेन्नई में सांथोम की एक कार्यकर्ता और किन्नर जीवा के. ने बातचीत करते हुए कहा मैं इतनी खुश हूं कि इस पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि मैंने इतने दिनों से जो पुलिस उत्पीड़न झेला है वह असहनीय था. इसने मुझे मानसिक तौर पर बहुत परेशान किया था और अब इस आदेश से काफी राहत मिली है. अदालत तथा राज्य सरकार के इस फैसले के हम आभारी हैं.

Last Updated : Feb 18, 2022, 4:29 PM IST
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