सागर। 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा को पूरा फोकस दलित और आदिवासी वोट बैंक पर है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद में शहडोल का दौरा कर चुके हैं. अब दलितों को साधने के लिए अगस्त महीने में बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर का दौरा करेंगे. जहां मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दलित समुदाय के धर्मगुरू संत रविदास का 100 करोड़ की लागत से भव्य मंदिर तैयार किया जा रहा है. मंदिर की सौगात को भुनाने के लिए भाजपा ने मेगा प्लान तैयार किया है. प्लान के तहत पूरे प्रदेश में पांच स्थानों से संत रविदास मंदिर निर्माण यात्रा 25 जुलाई को शुरू की जा रही है. जो प्रदेश के 50 जिलों का दौरा करते हुए 12 अगस्त तक सागर पहुंचेगी. यात्रा में संत रविदास का चित्र, चरण पादुका और उनके संदेश शामिल किए जाएंगे. सभी जिलों से मिट्टी और वहां की नदियों का पवित्र जल सागर लाया जाएगा. फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में भव्य रविदास मंदिर का भूमिपूजन होगा.
रविदास मंदिर निर्माण यात्रा का मेगा प्लान: सागर में संत रविदास जयंती के मौके पर आयोजित रविदास महाकुंभ में सीएम शिवराज सिंह ने सागर के बडतूमा में 100 करोड़ की लागत से भव्य रविदास मंदिर बनाने का एलान किया था. इसके लिए सागर जिला प्रशासन द्वारा जमीन तय कर ली गयी है. एमपी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए सत्ताधारी दल जन अभियान परिषद के जरिए मध्यप्रदेश में पांच स्थानों से संत रविदास मंदिर निर्माण यात्रा निकलेगी. संत रविदास मंदिर निर्माण यात्रा प्रदेश के मांडू, नीमच, सिंगरौली, बालाघाट और श्योपुर से 25 जुलाई से शुरू होकर प्रदेश के 50 जिलों से होकर होते हुए 12 अगस्त को सागर पहुंचेगी. यात्रा में संत रविदास का चित्र, चरण, पादुका और कलश रहेगा. यात्रा के जरिए प्रदेश भर में माहौल बनाने के लिए भाजपा पूरे प्रदेश से मिट्टी और नदियों का जल एकत्रित करेगी. 12 अगस्त तक सागर पहुंचेगी.
हालांकि पूरी जिम्मेदारी जन अभियान परिषद को सौंपी गयी है. वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने दौरे की तैयारियां तेज कर दी है. यात्रा की व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय समिति बनाई है. इसके अलावा जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में आयोजन समिति यात्रा की व्यवस्थाओं का जिम्मा उठाएगी.
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पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नहीं मिली एससी वोट: मध्यप्रदेश में 35 सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. अनुसूचित जाति वर्ग में वैसे तो कई उपजातियां है, लेकिन बुंदेलखंड में अहिरवार और ग्वालियर चंबल का जाटव वोट बैंक भाजपा से जमकर नाराज है. खासकर पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अप्रैल महीने में आरक्षण को लेकर दलितों ने ग्वालियर चंबल इलाके में जमकर प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान हुए विवाद में गोली चलने और बाद में अनूसूचित जाति के लोगों पर सरकार द्वारा हजारों की संख्या में प्रकरण दर्ज करने से अनूसूचित जाति वर्ग का भाजपा से मोहभंग हो गया था. इसका नतीजा ये हुआ कि एससी के लिए आरक्षित 35 सीटों में से 18 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की और अन्य सीटों पर भी भाजपा का गणित एससी मतदाताओं ने बिगाड़ दिया.
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए सारी मशक्कत: भाजपा भले ही इस यात्रा को सामाजिक समरसता से जोड़ते हुए राजनीतिक नहीं सामाजिक कार्यक्रम के रूप में पेश कर रही है. लेकिन आमतौर पर कांग्रेस और बसपा का वोट बैंक माने जाने वाले दलित समुदाय के अहिरवार और जाटव मतदाताओं को भाजपा की तरफ लाने के लिए ये पूरी कवायद की जा रही है. दरअसल मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड में अहिरवार और ग्वालियर चंबल में जाटव मतदाता काफी संख्या में है और कई सीटों पर हार जीत का फैसला इसी वोट बैंक के रूख को देखकर होता है. इसी बात को ध्यान रखते हुए भाजपा ने संत रविदास के जरिए दलित वोट को साधने की कवायद शुरू की है.
मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक का गणित: मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक के सियासी गणित की बात करें तो साढ़े सात करोड़ आबादी वाले मध्यप्रदेश में करीब-करीब 80 लाख वोटर अनुसूचित जाति के हैं जो मध्यप्रदेश की आबादी के लिहाज से करीब 17 फीसदी है. वहीं प्रदेश में करीब 80 सीटें ऐसी है, जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाताओं का रूख जीत हार में निर्णायक भूमिका निभाता है. खास बात ये है कि उपजातियों में बंटे दलित समुदाय में बुंदेलखंड में अहिरवार और ग्वालियर चंबल में जाटव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. अहिरवार और जाटव मतदाता संत रविदास के अनुयायी है. विशेषकर इसी वोट बैंक को साधने के लिए ये पूरी मशक्कत हो रही है. खास बात ये है कि अगर बीजेपी 2013 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन अनुसूचित जाति वर्ग की आरक्षित सीटों पर दोहरा देती है, तो भाजपा की सरकार बनना सुनिश्चित होगा. क्योंकि 2013 में मोदी लहर के बीच हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जाति वर्ग की आरक्षित 35 सीटों में से सिर्फ तीन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन अब वो प्रदर्शन दोहराना काफी मुश्किल नजर आ रहा है.
भाजपा जुटी तैयारियों में: इस आयोजन को लेकर सागर भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी है. आयोजन की पूर्व की तैयारियों में भाजपा संगठन और सरकार में शामिल लोग दिन रात मेहनत कर रहे हैं. खासकर सागर शहर के करीब बडतूमा गांव में जहां रविदास मंदिर प्रस्तावित है, वह नरयावली विधानसभा के अंतर्गत आता है, जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. हालांकि भाजपा इसे पूरी तरह से सामाजिक समरसता का कार्यक्रम बता रही है. सियासी गणित को लेकर भाजपा जिला अध्यक्ष गौरव सीरोठिया का कहना है कि "ये कार्यक्रम संत रविदास को समर्पित है, जिन्होनें हमेशा सामाजिक समरसता का संदेश दिया है, कांग्रेस हमेशा हर चीज को राजनीति के चश्में से देखती है. इसके पहले सागर में चार बार रविदास महाकुंभ का आयोजन हो चुका है, जब कोई चुनाव नहीं थे."