इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में फिर मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार 7वीं बार सबसे स्वच्छ शहर बने रहने की दौड़ में बाजी मारी है. नई दिल्ली में स्वच्छता सर्वेक्षण अवॉर्ड सेरेमनी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीएम मोहन यादव को अवार्ड सौंपा. गुजरात के शहर सूरत को भी सबसे स्वच्छ शहर के अवार्ड से नवाजा गया. एमपी के 6 और छत्तीसगढ़ के पांच शहरों को अवार्ड मिले हैं. वहीं भोपाल को गार्बेज फ्री सिटी का अवार्ड मिला है. वहीं मध्य प्रदेश के अमरकंटक, महू और बुधनी भी नेशनल अवॉर्ड मिला है. आइए जानते हैं इंदौर हर बार ऐसा क्या करता है जिसकी बदौलत वह स्वच्छता रैंकिंग में पहले नंबर पर अपना मुकाम बनाए हुए हैं.
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मुस्कुराइए आप मध्य प्रदेश में हैं...
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) January 11, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में मध्य प्रदेश को देश के दूसरे सबसे स्वच्छ राज्य का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह मध्य प्रदेश की जनता की इच्छाशक्ति का परिणाम है, जो अपने शहरों को, अपने घरों की तरह स्वच्छ रखने का संकल्प लिए हुए है।
सभी नागरिकों को… pic.twitter.com/4aZwmroxa1
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स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में मध्य प्रदेश को देश के दूसरे सबसे स्वच्छ राज्य का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह मध्य प्रदेश की जनता की इच्छाशक्ति का परिणाम है, जो अपने शहरों को, अपने घरों की तरह स्वच्छ रखने का संकल्प लिए हुए है।
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स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में मध्य प्रदेश को देश के दूसरे सबसे स्वच्छ राज्य का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह मध्य प्रदेश की जनता की इच्छाशक्ति का परिणाम है, जो अपने शहरों को, अपने घरों की तरह स्वच्छ रखने का संकल्प लिए हुए है।
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स्वच्छता गीत से सफाई की शुरुआत: दरअसल मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में हर दिन की शुरुआत गली मोहल्ले गूंजते स्वच्छता गीत से होती है. यहां सूरज उगाने के पहले ही स्वच्छताकर्मी शहर के विभिन्न हिस्सों में जहां जिसकी ड्यूटी होती है वहां स्वच्छता के लिए मोर्चा संभाल लेते हैं और शहर भर में स्वच्छता का दौर शुरू हो जाता है. इसी दौरान शहर के सभी 85 वार्ड में कचरा वाहन अलग-अलग स्टेशनों से रवाना होते हैं जो शहर के चार लाख 65000 घरों से गिला और सूखा कचरा एकत्र करते हैं.
गीला और सूखा कचरा अलग एकत्रित: यहां प्रतिदिन करीब 6 लाख डोर स्टेप से निकलने वाला 1192 टन कचरे में 992 टन गीला कचरा जबकि बाकी सूखा कचरा होता है, यह कचरा घर-घर से ही गीले और सूखे रूप में अलग-अलग लिया जाता है. जिससे पहली ही स्टेप में गीले और सुखे कचरे का सेग्रीगेशन हो जाता है. इस कचरे की भी खासियत यह है कि इसका सेग्रीगेशनपरसेंटेज देश में सबसे ज्यादा 97% है. यह कचरा शहर के 85 वार्डों में चलने वाली 575 कचरा गाड़ियों से शहर के विभिन्न स्थानों पर तैयार किए गए 10 गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन पर इकट्ठा किए जाने के बाद गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने और सूखे कचरे को अलग-अलग रूपों में छटाई करके बेचने के लिए ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है.
एशिया का सबसे बड़ा गोबरधन प्लांट स्थापित: यहां गीले कचरे से बायो मीथेन बनाने के लिए पीपीपी मोड पर एशिया का सबसे बड़ा गोवर्धन प्लांट स्थापित किया गया है. जिसके जरिए बायो मिथेन गैस बनाकर बेची जा रही है. सूखे कचरे के लिए स्थापित नेप्रा प्लांट से कचरे की छटाई कराकर उसे अलग-अलग उत्पाद तैयार करने के लिए पीपीपी मॉडल से विकसित किए गए प्लांट के जरिए बेचा जा रहा है. देश के अन्य नगरीय निकाय जहां कचरे के कारण ₹600 मेट्रिक टन के हिसाब से अपनी आय का बड़ा हिस्सा उसके निपटान में खर्च करते हैं. वही, इंदौर में नगर निगम को सालाना ₹12 करोड़ रुपए की कमाई कचरे से होती है.
इंदौर में स्वच्छता को बनाया ब्रांड: इंदौर शहर ने स्वच्छता को ही अपना ब्रांड बना रखा है. फिलहाल स्वच्छता के क्षेत्र में 22 से ज्यादा स्टार्टअप यहां शुरू हुए हैं. यह मशीन मैन्युफैक्चरिंग क्लीन सर्विसेज प्रोसेसिंग और गार्बेज इनोवेशन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों प्रवासी भारतीय सम्मेलन की-20 की मेजबानी के कारण इंदौर चर्चा में है. होटल इंडस्ट्री में इंदौर की सुरक्षा के कारण 20% कारोबार बड़ा है. यहां पर विजय 2 साल में 20 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि इंदौर की स्वच्छता देखने के लिए पहुंचे हैं. इसके अलावा झोला बैंक के जरिए प्लास्टिक थैलियां का विकल्प तैयार किया 3 स्टार रैंकिंग में अनुपयोगी वस्तुओं के पुनः उपयोग के लिए केंद्र खोले गए.
डिस्पोजल को प्रतिबंधित किया: स्क्रैप पार्क में वेस्ट मटेरियल से कई तरह की कृतियां, झूले और मनोरंजन की चीज बनाकर पर तैयार किया गया है. इसके अलावा शहर में 50 से ज्यादा लाइनों का सफाई कर सौंदरीकरण किया गया है. डिस्पोजल को प्रतिबंधित करने के साथ बर्तन बैंक बनाए गए हैं. जिसमें विभिन्न आयोजनों के लिए नगर निगम किराए पर बर्तन देता है. वही हम कंपोस्टिंग के जरिए जैविक खाद बनाने के लिए पहल की गई है वहीं शहर में एक लाख से ज्यादा रूप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं एवं वाटर बॉडी की जिओ फेंसिंग की गई है.
इंदौर की स्वच्छता का सफर: इन्दौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब पहली बार वर्ष 2017 में मिला, इसके बाद वर्ष 2016 से घर-घर कचरा कलेक्शन गीला-सूखे कचरे को अलग करना सैनिटेशन के तहत टॉयलेट एवं यूरिनल का निर्माण तथा गीले-सूखे कचरे के शत-प्रतिशत प्रोसेसिंग शुरू की गई. इसी दरमियान 2018 एवं 2019 में शहर के नागरिकों जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, रहवासी एवं बाजार, मीडिया साथियों एवं नगर निगम इन्दौर के सफाई कर्मियों तथा अन्य अधिकारियों को इस अभियान में शामिल किया.
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन अभियान: इसी दरमियान नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर रहे मनीष सिंह ने नगर निगम की जो राशि कचरे के निपटान में खर्च होती थी उस राशि से कचरा गाड़ी खरीद कर कुछ वार्ड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुरू किया, इसके बाद जरूरत के मुताबिक गीले और सूखे कचरे को अलग किए जाने लगा. यही आदत नगर निगम ने अभियान चलाकर शहर भर के लोगों को डलवाई और कचरा कलेक्शन एवं परिवहन को लेकर कलेक्शन पॉइंट और गार्बेज स्टेशन तैयार किए गए.
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ड्रेनेज व्यवस्था में बदलाव: इन स्टेशनों से शहर के देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर फेंके जाने वाले कचरे का जेसीबी और अन्य मशीनों से मिट्टी डालकर बायो रेमेडाइजेशन कार्य किया गया. जिसके फलस्वरूप देवगुराड़िया ट्रेचिंग ग्राउंड में जहां पहले हजारों टन कचरा पड़ा था वह स्थान पूर्ण रूप से स्वच्छ हो सका वर्ष 2020-21 में शहर को वाटर प्लस का खिताब दिलाने के लिए शहर की पूरी ड्रेनेज व्यवस्था में बदलाव किया. इस दौरान दूषित पानी को जल स्त्रोतों में जाने से रोका गया और शहर के तमाम दूषित जल स्त्रोतों को ड्रेनेज लाइन से जोड़ा गया लिहाजा शहर में बहने वाले गंदे नालों को सुंदर रूप में तब्दील किया जा सका.
कचरे का निस्तारण: इसके बाद शहर की सरस्वती और खान नदी को अपना पुराना स्वरूप लौटाया गया. जिसका पानी अब काफी हद तक स्वच्छ हो चुका है. जिसका उपयोग अब शहर के फव्वारे और गार्डन में होता है. इसी का पानी अब नगर द्वारा विकसित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस के माध्यम से अब नदी में केवल इन प्लांटस में उपचारित जल ही जा रहा है. इसी साल नगर निगम ने वार्ड स्तर पर ही कचरे का निस्तारण करके खाद बनाने के लिए 6 जीरो वेस्ट वार्ड तैयार किए. इसके अलावा हर गंदी पड़ी बैकलेन को रहवासियों के सहयोग से साफ-सूथरा एवं सुंदर बनाने का काम शुरू किया गया.
पूरे शहर का सौंदर्यीकरण: शहर में विभिन्न बस्तियों, चौराहों, फुटपाथों आदि पर भी वृहद सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य स्वच्छता के तहत किए गए. जिसके फलस्वरूप शहर का हर इलाका स्वच्छ और सुंदर दिखने लगा. अब हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण के पैमानों के अनुरूप स्वच्छता की पूरी व्यवस्था को मेंटेन किया जाता है. वहीं स्वच्छता सर्वेक्षण के बिंदुओं को फोकस करके स्वच्छता के इनोवेशन की दिशा में काम किया जाता है.
स्वच्छता की बेस्ट प्रैक्टिस की ट्रेनिंग भी इंदौर में: आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय इंदौर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट और नगर निगम के बीच अब स्वच्छता की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए ट्राय पार्टी एग्रीमेंट किया गया है. जिसमें तीनों संस्थाएं मिलकर देश के तमाम नगरीय निकायों को स्वच्छता की बेस्ट प्रैक्टिस की ट्रेनिंग देंगे. इसके लिए वर्ल्ड क्लास स्तर की केस स्टडी और इंदौर में सक्सेस केस स्टडी को पढ़ाया जाएगा. वही, इंदौर को अब स्वच्छता की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का सेंटर भी बनाया जा रहा है. जहां से देशभर के लोग ट्रेनिंग ले सकेंगे, इसके अलावा अब शहर में स्वच्छता प्रोजेक्ट की विजिट के लिए अब ₹2000 का शुल्क लगेगा जो किसी शहर में पहली बार होगा.