ETV Bharat / bharat

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दांव पर दिग्गजों की साख, क्या इस अग्निपरीक्षा में खरे उतर पाएंगे केन्द्रीय मंत्री और सांसद - bhopal latest news

बीजेपी के बड़े दिग्गजों या कहे कि एमपी के 'बड़े खिलाड़ियों' की साख दांव पर लगी है. या यूं कहें कि 3 केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और राष्ट्रीय महासचिव को विधानसभा चुनाव में उतारकर उनकी अग्निपरीक्षा ली जा रही है. अपनी साख बचाने के लिए इसमें उन्हें खरा उतरना ही पड़ेगा. बीजेपी का मकसद है कि पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर दिग्गजों के सहारे इन सीटों की संख्या बढ़ाना. खैर इतना तो तय है कि इन दिग्गजों की जीत की राह इतनी आसान भी नहीं है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 17, 2023, 9:28 AM IST

भोपाल। एमपी विधानसभा चुनाव में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है. इनमें तीन केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी शामिल हैं. पार्टी ने इन्हें विधानसभा चुनाव में उतारकर बड़ा उलटफेर किया है. इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से,केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास से और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट दिया गया है. वहीं सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से,सांसद रीति पाठक को सीधी से,सांसद गणेश सिंह को सतना से,सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा से टिकट दिया है साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर 1 से टिकट दिया है.

MP Elections 2023
3 केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और महासचिव मैदान में

क्या है समीकरण: दिग्गजों को विधानसभा चुनाव में उतराने के पीछे बीजेपी की बड़ी रणनीति बताई जा रही है. ऐसा माना जाता है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ग्वालियर और चंबल के कई इलाकों में अच्छी पकड़ है.उन्हें चुनाव में उतारने का मकसद यही है कि अपनी सीट के साथ वह आसपास की कई सीट बीजेपी के खाते में डाल सकें. पिछले चुनाव में बीजेपी यहां चारों खाने चित हो गई थी.

केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते महाकौशल बेल्ट के आदिवासी क्षेत्रों में अपनी अच्छी छवि के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही कुछ केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ है. उन्हें अपनी सीट के साथ बुंदेलखंड और महाकौशल में कई सीट जिताने की जिम्मेदारी दी गई है. दूसरे सांसदों की बात की जाए तो सभी अपने क्षेत्र में नाम के साथ काम के लिए भी जाने जाते हैं और लंबे समय से राजनीति में हैं. इंदौर-1 से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का मालवा क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा बताया जाता है. उनके बेटे का टिकट काटकर पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है. लेकिन इतना तो तय है कि इन दिग्गजों की जीत की राह इतनी आसान भी नहीं है.

  • हार को सामने देख कर रावण ने कुंभकर्ण, अहिरावण, मेघनाद सबको उतार दिया था…बस यही दूसरी लिस्ट में हुआ है।

    — MP Congress (@INCMP) September 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दिग्गजों को लेकर कांग्रेस ने क्या कहा: बीजेपी के मंत्रियों और दिग्गजों को टिकट देने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ विवादित ट्विट किया. जिसमें लिखा कि 'हार को सामने देखकर रावण ने कुंभकर्ण, अहिरावण, मेघनाद सबको उतार दिया था. बस यही दूसरी लिस्ट में हुआ है.' वहीं कई कांग्रेसियों ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा इन मंत्रियों को अब केंद्रीय कैबिनेट में रखने के मूड में नहीं है.

किन वोटर्स पर है नजर: युवाओं के साथ ही बीजेपी की नजर आदिवासियों और महिला मतदाताओं पर है. सरकार ने पेसा एक्ट बनाकर आदिवासियों के बीच जमकर प्रचार किया. तो महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना की शुरुआत की.वहीं सीएम शिवराज ने युवाओं को साधने के लिए एक लाख सरकारी नौकरियां देने का भी ऐलान किया है.

कहां है बीजेपी का फोकस: बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर है. इनमें ग्वालियर-चंबल पर सबसे ज्यादा फोकस है जहां पिछले चुनाव यानि 2018 में बीजेपी को 34 सीटों में से महज 5 सीटें ही मिली थीं. इसके बाद महाकौशल में 38 में से बीजेपी ने 13 सीट पर जीत दर्ज की थी तो कांग्रेस को 24 सीट मिली थी. इसके चलते महाकौशल इलाके पर बीजेपी ज्यादा मेहनत कर रही है. मालवा निमाड़ में भी पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी और 66 सीटों में से 31 सीट अपने खाते में डाल दी थी तो बीजेपी को 29 सीट मिली थीं. पार्टी के सभी दिग्गजों को इन क्षेत्रों पर विशेष फोकस की जिम्मेदारी मिली हुई है.

Also Read:

कौन डाल सकता है असर: बीजेपी पार्टी ने असंतुष्टों को मनाने का पूरा प्रयास किया है. रूठे हुए कई नेताओं को तो मना लिया गया लेकिन कई पुराने नेता नहीं माने. टिकट कटने से नाराज होने के चलते वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कहा जाए तो ऐसे बागी बीजेपी को कुछ जगहों पर नुकसान पहुंचा सकते हैं. आप पार्टी की बात की जाए तो पार्टी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.दिल्ली की तर्ज पर यहां भी अरविंद केजरीवाल ने कई घोषणाएं की हैं. विंध्य में सीधी और सिंगरौली में पार्टी अच्छा काम कर रही है लेकिन दूसरे क्षेत्रों कितना असर है यह देखने वाली बात होगी.

समीकरण बनेंगे या बिगड़ेंगे: दिग्गजों के चुनावी मैदान में आने से बीजेपी को कुछ जगह फायदा जरुर मिल रहा है लेकिन कई जगह पार्टी के सीनियर नेता जिन्हें वहां से टिकट की उम्मीद थी वह अब भी नाराज बताए जा रहे हैं भले ही वह पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्गजों की अपनी साख दांव पर है उन्हें अपनी सीट तो जीतना ही है साथ ही दूसरी सीटों पर भी नजर रखना है,ऐसे में कई जगह समीकरण बन रहे हैं तो कुछ जगह स्थिति ठीक नहीं है.पार्टी का यह प्रयोग नया नहीं है लेकिन यहां कितना सटीक बैठेगा यह तो नतीजे ही तय करेंगे. साथ ही यह कहने में कोई संकोच नहीं कि इन दिग्गजों को मिल रही चुनौती उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है और अपनी साख बचाने के लिए इसमें उन्हें खरा उतरना पड़ेगा.

भोपाल। एमपी विधानसभा चुनाव में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है. इनमें तीन केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी शामिल हैं. पार्टी ने इन्हें विधानसभा चुनाव में उतारकर बड़ा उलटफेर किया है. इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से,केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास से और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट दिया गया है. वहीं सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से,सांसद रीति पाठक को सीधी से,सांसद गणेश सिंह को सतना से,सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा से टिकट दिया है साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर 1 से टिकट दिया है.

MP Elections 2023
3 केन्द्रीय मंत्री, 4 सांसद और महासचिव मैदान में

क्या है समीकरण: दिग्गजों को विधानसभा चुनाव में उतराने के पीछे बीजेपी की बड़ी रणनीति बताई जा रही है. ऐसा माना जाता है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ग्वालियर और चंबल के कई इलाकों में अच्छी पकड़ है.उन्हें चुनाव में उतारने का मकसद यही है कि अपनी सीट के साथ वह आसपास की कई सीट बीजेपी के खाते में डाल सकें. पिछले चुनाव में बीजेपी यहां चारों खाने चित हो गई थी.

केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते महाकौशल बेल्ट के आदिवासी क्षेत्रों में अपनी अच्छी छवि के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही कुछ केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ है. उन्हें अपनी सीट के साथ बुंदेलखंड और महाकौशल में कई सीट जिताने की जिम्मेदारी दी गई है. दूसरे सांसदों की बात की जाए तो सभी अपने क्षेत्र में नाम के साथ काम के लिए भी जाने जाते हैं और लंबे समय से राजनीति में हैं. इंदौर-1 से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का मालवा क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा बताया जाता है. उनके बेटे का टिकट काटकर पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है. लेकिन इतना तो तय है कि इन दिग्गजों की जीत की राह इतनी आसान भी नहीं है.

  • हार को सामने देख कर रावण ने कुंभकर्ण, अहिरावण, मेघनाद सबको उतार दिया था…बस यही दूसरी लिस्ट में हुआ है।

    — MP Congress (@INCMP) September 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दिग्गजों को लेकर कांग्रेस ने क्या कहा: बीजेपी के मंत्रियों और दिग्गजों को टिकट देने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ विवादित ट्विट किया. जिसमें लिखा कि 'हार को सामने देखकर रावण ने कुंभकर्ण, अहिरावण, मेघनाद सबको उतार दिया था. बस यही दूसरी लिस्ट में हुआ है.' वहीं कई कांग्रेसियों ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा इन मंत्रियों को अब केंद्रीय कैबिनेट में रखने के मूड में नहीं है.

किन वोटर्स पर है नजर: युवाओं के साथ ही बीजेपी की नजर आदिवासियों और महिला मतदाताओं पर है. सरकार ने पेसा एक्ट बनाकर आदिवासियों के बीच जमकर प्रचार किया. तो महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना की शुरुआत की.वहीं सीएम शिवराज ने युवाओं को साधने के लिए एक लाख सरकारी नौकरियां देने का भी ऐलान किया है.

कहां है बीजेपी का फोकस: बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर है. इनमें ग्वालियर-चंबल पर सबसे ज्यादा फोकस है जहां पिछले चुनाव यानि 2018 में बीजेपी को 34 सीटों में से महज 5 सीटें ही मिली थीं. इसके बाद महाकौशल में 38 में से बीजेपी ने 13 सीट पर जीत दर्ज की थी तो कांग्रेस को 24 सीट मिली थी. इसके चलते महाकौशल इलाके पर बीजेपी ज्यादा मेहनत कर रही है. मालवा निमाड़ में भी पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी और 66 सीटों में से 31 सीट अपने खाते में डाल दी थी तो बीजेपी को 29 सीट मिली थीं. पार्टी के सभी दिग्गजों को इन क्षेत्रों पर विशेष फोकस की जिम्मेदारी मिली हुई है.

Also Read:

कौन डाल सकता है असर: बीजेपी पार्टी ने असंतुष्टों को मनाने का पूरा प्रयास किया है. रूठे हुए कई नेताओं को तो मना लिया गया लेकिन कई पुराने नेता नहीं माने. टिकट कटने से नाराज होने के चलते वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कहा जाए तो ऐसे बागी बीजेपी को कुछ जगहों पर नुकसान पहुंचा सकते हैं. आप पार्टी की बात की जाए तो पार्टी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.दिल्ली की तर्ज पर यहां भी अरविंद केजरीवाल ने कई घोषणाएं की हैं. विंध्य में सीधी और सिंगरौली में पार्टी अच्छा काम कर रही है लेकिन दूसरे क्षेत्रों कितना असर है यह देखने वाली बात होगी.

समीकरण बनेंगे या बिगड़ेंगे: दिग्गजों के चुनावी मैदान में आने से बीजेपी को कुछ जगह फायदा जरुर मिल रहा है लेकिन कई जगह पार्टी के सीनियर नेता जिन्हें वहां से टिकट की उम्मीद थी वह अब भी नाराज बताए जा रहे हैं भले ही वह पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्गजों की अपनी साख दांव पर है उन्हें अपनी सीट तो जीतना ही है साथ ही दूसरी सीटों पर भी नजर रखना है,ऐसे में कई जगह समीकरण बन रहे हैं तो कुछ जगह स्थिति ठीक नहीं है.पार्टी का यह प्रयोग नया नहीं है लेकिन यहां कितना सटीक बैठेगा यह तो नतीजे ही तय करेंगे. साथ ही यह कहने में कोई संकोच नहीं कि इन दिग्गजों को मिल रही चुनौती उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है और अपनी साख बचाने के लिए इसमें उन्हें खरा उतरना पड़ेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.