सागर। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची में सांसदों और मंत्रियों को टिकट देकर विधानसभा चुनाव को लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फगन सिंह कुलस्ते जैसे मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतारने के बाद अब अन्य मंत्रियों के भी चुनाव में उतारे जाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. इन अटकलें में सबसे ज्यादा नाम केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र खटीक का सामने आ रहा है. वीरेंद्र खटीक फिलहाल टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद है. एक तरफ उनकी बेटी निवेदिता रत्नाकर सागर जिले के बीना और नरयावली से टिकट की दावेदारी कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ टीकमगढ़ के जतारा या सागर के बीना से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. वही इस तरह की खबरें उन राजनेताओं के बेटा-बेटियों के लिए चिंता का विषय बन रही है, जो अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.
दूसरी सूची में तीन मंत्री और सात सांसद: भाजपा की दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्री मुरैना की दिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर से प्रहलाद पटेल और मंडला के निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी बनाया गया है. इसके अलावा भाजपा ने चार सांसद जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 से टिकट दिया गया है. भाजपा के इस कदम से माना जा रहा है कि चुनाव किसी भी कीमत में जीतना चाहती है. दरअसल पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर भाजपा को अपनी स्थिति खराब नजर आ रही थी. इसलिए पार्टी ने दिग्गज सांसद और मंत्रियों को मैदान में उतार कर संदेश दिया है कि हमारे लिए जीत जरूरी है, चाहे किसी को भी मैदान में क्यों ना उतारना पड़े.
एक और केंद्रीय मंत्री के चुनाव लड़ने की चर्चा: यहां तक तो ठीक था, लेकिन भाजपा ने 78 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. उनमें ही सात संसद और तीन मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार दिया है. अब चर्चा जोर पकड़ रही है कि अभी और केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में सामने आ सकते हैं. जिनमें सबसे बड़ा नाम केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र खटीक का सामने आ रहा है. वीरेंद्र खटीक सागर के रहने वाले हैं और फिलहाल टीकमगढ़ से सांसद है. एक तरफ जहां उनकी सागर जिले की बीना सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ रही है. जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और 2018 में भाजपा महज 492 वोटों से चुनाव जीती थी, तो दूसरी तरफ टीकमगढ़ के जतारा से भी वीरेंद्र खटीक के चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ रही है. जतारा सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. हालांकि 2018 में यहां से बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था.
बेटी मांग रही टिकट पिता के चुनाव लड़ने की चर्चा: सागर जिले की बीना विधानसभा से जहां केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक की बेटी निवेदिता रत्नाकर टिकट मांग रही है, तो वहीं बीना से ही वीरेंद्र खटीक को टिकट दिए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है. ऐसी स्थिति में निवेदिता रत्नाकर का दावा कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है. चर्चा तो ये है कि टिकट के दूसरे दावेदारों ने मंत्री की बेटी की दावेदारी कमजोर करने के लिए मंत्री को ही लड़ाने का दावा खेला है. वीरेंद्र खटीक के चुनाव लड़ने की चर्चा से उनकी बेटी निवेदिता का दावा कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है.
परिवारवाद से मुक्ति के लिए भाजपा का दांव: दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्री और 7 सांसदों को मैदान में उतरने के बाद भाजपा उन नेता पुत्रों को संदेश देने में कामयाब रही है, जो अपने पिता के रहते हुए अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए चुनाव से उम्मीद लगाए थे. कैलाश विजयवर्गीय को तो टिकट मिलने के बाद ये हालात बने हैं कि उनके बेटे मौजूदा विधायक होने के बाद भी टिकट की दौड़ से बाहर हो गए. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिए जाने से उनके बेटे प्रबल प्रताप सिंह तोमर भी विधानसभा चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए हैं. हालांकि मंत्री गोपाल भार्गव शुरु से वेट एंड बॉच की नीति पर काम करते हुए चुनाव को लेकर पत्ते नहीं खोल रहे थे. चर्चा उनके बेटे अभिषेक भार्गव के चुनाव के लड़ने की जोर पकड़ रही थी. लेकिन पिछले दिनों उन्होंने गुरु के आदेश पर तीन और चुनाव लड़ने का ऐलान कर सियासी दांव खेल दिया. हालांकि इस स्थिति से साफ है कि मौजूदा चुनाव में परिवारवाद के आरोप से बचने और सत्ता विरोधी लहर के बीच दमदार प्रत्याशी उतारने के लिए भाजपा का यह दांव कारगर साबित हुआ है.
क्या कहना है केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का: केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक कहते हैं कि "मेरा परिवार पीढ़ियों से संघ से जुड़ा हुआ परिवार है. हम पार्टी की सेवा निस्वार्थ भाव से करते आ रहे हैं. संघ के संस्कार के बीच पली बढ़ी मेरी बेटी राजनीति के जरिए जन सेवा में आना चाहती है. इसलिए वह टिकट की दावेदारी कर रही है. जहां तक मेरा चुनाव लड़ने का सवाल है, पार्टी जो भी आदेश देगी वह मंजूर होगा.