जबलपुर: आम फलों का राजा कहलाता है लेकिन आज आपको ऐसे आम के बारे में बताते हैं जिसे आम की किस्मों का महाराजा कहें तो गलत नहीं होगा. मध्य प्रदेश के जबलपुर में संकल्प परिहार के बगीचे में जापानी नस्ल के आठ वैरायटी के आम हैं. जबलपुर में संकल्प परिहार के बगीचे में एक ऐसे वैरायटी का आम है जिसकी सुरक्षा में वो हर महीने हजारों रुपये खर्च रहे हैं. इन आमों पर चोरों की नजर पड़ गई है. जिसके चलते इनकी सुरक्षा का बंदोबस्त किया गया है. उस खास वैरायटी के आम के बारे में आपको बताएंगे लेकिन पहले उनकी सुरक्षा के इंतजाम आपको बताते हैं.
- 9 कुत्ते और 6 सुरक्षा गार्ड दे रहे सुरक्षा
बगीचे के मालिक संकल्प परिहार का कहना है कि इस बगीचे में अलग-अलग कोनों पर 9 कुत्तों की तैनाती की गई है. दो कुत्ते गार्ड के साथ पूरे गार्डन का चक्कर लगाते रहते हैं. दिन में गार्ड आमों के आस-पास ही चौकसी करते रहते हैं और कुत्ते जैसे ही किसी अनजान आदमी को आस-पास देखते हैं, तो भौंकना शुरू कर देते हैं. कुत्ते इस ढंग से रखे गए हैं, कि हर ओर से आने वालों पर इनकी नजर पड़ जाए. बीते साल भी चोर इन आमों को चुरा कर ले गए थे, इसलिए इस साल इनकी सुरक्षा को बढ़ाना पड़ा है. इन आमों की सुरक्षा में हर महीने 50 हजार रुपए के आस-पास खर्च आता है.
संकल्प के मुताबिक आम पर चोरों की नजर पड़ गई है. हालांकि अभी तक 'Taiou No Tamago' (ताइऔ नो तमगौ) सुरक्षित है. लेकिन इसकी सुरक्षा के लिए अब ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. पहले जहां केवल बगीचे की दीवार के जरिए ही सुरक्षा हो जाती थी, अब उसकी जगह संकल्प परिहार को 24 घंटे के हिसाब से दो अलग-अलग पाली में गार्ड लगाने पड़ रहे है.
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- जापान से आता है ये आम, 2 लाख रुपए है दाम
यह खास आम जापान में पाए जाते हैं, जिसे 'ताइऔ नो तमगौ' के नाम से जाना जाता है. इसे 'एग ऑफ द सन' भी कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जबलपुर में चरगवां रोड पर संकल्प परिहार और रानी परिहार का बगीचा है, यहां 14 अलग-अलग किस्म के आम हैं. इनमें से सबसे महंगे आम ताइऔ नो तमगौ के भी कुछ पेड़ हैं और बीते 4 सालों से इनमें लगातार फल आ रहे हैं. इन आमों की कीमत दो लाख रुपये प्रति किलो है.
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- आम के पकने का आ गया है वक्त
इस मौसम में 'टोरगो दी टमेगो' आम पकता है. लगभग 1 किलो का यह आम 15 जुलाई के आस-पास पूरी तहर पक जाएगा. तब तक इसकी सुरक्षा बहुत जरूरी है. पिछले दिनों ईटीवी भारत ने इस आम को लेकर खबर प्रसारित की थी. इस खबर के प्रसारण के बाद आम की पूछताछ बढ़ गई और मुंबई, हैदराबाद, उत्तराखंड के अलावा विदेशों से भी आम की जानकारी को लेकर फोन आ रहे हैं. संकल्प परिहार का कहना है कि ज्यादा चर्चा में होने की वजह से इस आम की सुरक्षा करना कठिन हो रहा है. संकल्प सिंह परिहार इन आमों के और पेड़ तैयार कर रहे हैं, ताकि इसकी उपलब्धता और ज्यादा बढ़ाई जा सके. हो सकता है जब यह ज्यादा मात्रा में होने लगे, तो इसकी चोरी की समस्या भी खत्म हो जाए.