सागर। शहर और जिले के रहवासियों का कई सालों से एक अजीबोगरीब परेशानी का कभी ना कभी सामना करना पड़ता है. दरअसल शहर के साथ समस्या है कि हिंदी में तो शहर को सागर कहा जाता है लेकिन जब अंग्रेजी में सागर नाम लिखा जाता है, तो SAGAR नहीं SAGOUR लिखा जाता है. राज्य सरकार के दस्तावेजों में SAGAR ही लिखा जाता है लेकिन केंद्र सरकार के दफ्तरों में आज भी SAGAR को SAGOUR लिखा जा रहा है. इस वजह से लोगों को जरूरी दस्तावेजों और रेलवे से संबंधित जानकारी जुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं आज इंटरनेट के युग में ज्यादातर सरकारी व्यवस्था का डिजिटिलाइजेशन हो चुका है. तब कामकाज में ये समस्या और ज्यादा बढ़ गयी है. पिछले कई सालों से लोग समस्या से छुटकारे के लिए कोशिश कर रहे थे. अब जाकर उम्मीद की किरण जगी है. हाल ही में सागर छावनी परिषद ने SAGOUR को SAGAR कहे और लिखे जाने की अधिसूचना जारी की है. हालांकि रेलवे को भी ये प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन रेलवे ने अब तक फैसला नहीं लिया है.
कैसी परेशानियों का करना पड़ता है सामना: अंग्रेजी में शहर के 2 नाम होने से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी रेलवे से संबंधित कामकाज में होती है. चाहे रिजर्वेशन का मामला हो या ट्रेन की लोकेशन देखना हो या रेलवे से जुड़ा कोई दूसरा काम हो. सागर के लोगों का ऐसी समस्याओं से आए दिन सामना होता है. ज्यादातर लोग नाम की गड़बड़ी का मामला जानते हैं, लेकिन जो नहीं जानते कि सागर अंग्रेजी में दो तरह से लिखा जाता है. वह कई बार परेशानी में फंस जाते हैं. कोई बाहर का व्यक्ति ट्रेन में सफर कर सागर आना चाहता है, तो रेलवे रिजर्वेशन में उसे ध्यान रखना होता है कि सागर को SAGAR नहीं रेलवे में SAGOUR लिखे और सागर का शार्ट फार्म SGR नहीं, बल्कि रेलवे में SGO है.
इसी तरह ऑनलाइन या इंटरनेट के माध्यम से होने वाले कामकाज में भी कई बार नाम की गड़बड़ी को ध्यान ना रखने पर समस्या का सामना करना पड़ता है. आज ज्यादातर दफ्तरों का कामकाज डिजिटल हो चुका है, तब अंग्रेजी में सागर शहर के 2 नाम होने से लोग कई बार परेशानी में फंस जाते हैं. उन्हें भी यह ध्यान रखना होता है कि कई जगह सागर को अंग्रेजी में SAGAR नहीं बल्कि SAGOUR लिखा जाता है. खासकर रक्षा मंत्रालय से संबंधित कामकाज में इस बात का ध्यान रखना पड़ता है. सागर सेना की एक बड़ी छावनी है, जो ब्रिटिश काल में स्थापित की गई थी. सेना से जुड़े तमाम मामलों में सागर को हिंदी में तो सागर लिखा गया, लेकिन अंग्रेजी में SAGAR नहीं बल्कि SAGOUR लिखा जाता है.
कैसे बनी सागर शहर के साथ ये समस्या: सागर शहर के लोगों के साथ अजीबोगरीब समस्या को लेकर वैसे तो कई तर्क सुनने मिलते हैं लेकिन जो तर्क सबसे सटीक बैठता है, वो है कि सागर में ब्रिटिश काल में सेना की बड़ी छावनी स्थापित की गई थी. खासकर बुंदेला विद्रोह और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के चलते अंग्रेजों ने ये सैन्य छावनी स्थापित की थी. सेना के अंग्रेज अफसर और कर्मचारी जब सागर का उच्चारण करते थे, तो वह SAGAR की जगह SAGOUR सुनाई देता था और इसी कारण नाम की समस्या खड़ी हो गई. सागर में रेलवे लाइन भी ब्रिटिश काल में बिछाई गई थी. इसलिए रेलवे में भी इसी समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा केंद्र सरकार के जो भी दफ्तर सागर में आजादी के पहले स्थापित हुए. उनमें भी सागर को SAGAR नहीं, बल्कि SAGOUR लिखा जाता है.
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छावनी परिषद का नाम बदलने से जगी उम्मीद: कई सालों से राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर चल रहे प्रयासों का अब नतीजा मिलना शुरू हो गया है. हाल ही में 12 अप्रैल 2023 को केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि अब सागर छावनी परिषद को SAGOUR नहीं, बल्कि SAGAR कहा जाएगा. हालांकि अभी छावनी परिषद सागर में व्यवस्था को लागू करने की शुरुआत की है और धीरे-धीरे दफ्तरों के नाम और दस्तावेजों में सुधार किया जा रहा है.
रेलवे को भी भेजा गया है प्रस्ताव: सागर सांसद राजबहादुर सिंह की अगुवाई में रेल सुधार और सलाहकार समिति ने रेलवे को ये प्रस्ताव भेजा गया है. हालांकि रेलवे ने प्रस्ताव पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया. लेकिन छावनी परिषद द्वारा इस फैसले के बाद रेलवे फिर से पत्राचार की तैयारी की जा रही है और रेलवे को बताया जाएगा कि रक्षा मंत्रालय में अधिसूचना जारी कर सुधार कर लिया है, तो अब रेलवे को भी गलती में सुधार करना चाहिए.
क्या कहना है सांसद का: सागर सांसद राज बहादुर सिंह कहते हैं कि समस्या के निदान के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं. जो हमारा सागर छावनी परिषद है, उसको लेकर सफलता मिल गई है. इसमें जो SAGOUR और SAGAR को लेकर भ्रम है और ऐसी स्थिति कई जगह है, उसे छावनी परिषद ने तो सुधार लिया है और उधर आगे जो भी पत्राचार या प्रशासनिक काम होंगे, वहां SAGAR का उल्लेख होगा. दूसरे हमारे रेलवे के स्तर पर भी प्रयास जारी हैं. निकट भविष्य में मुझे आशा है कि जो भ्रम की स्थिति है, उसमें सुधार में जल्द सफलता मिलेगी. उसमें छावनी परिषद ने जो नाम बदला है, उसे हम रेलवे में नाम बदलने के लिए आधार बनाएंगे. हमें लगता है कि इस भ्रम को जल्द से जल्द दूर होना चाहिए. क्योंकि कई जगह SAGAR और SAGOUR को लेकर जो भ्रम की स्थिति है. हमारे कई दस्तावेज, इसके अलावा इंटरनेट से जुड़े कामकाज में कई जगह SAGAR डालने पर साइट ही नहीं खुलती है. मुझे लगता है कि ये भ्रम जल्दी दूर होना चाहिए.