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MP Chunav 2023: जबलपुर के दिल में बसता है नेहरू परिवार, इंदिरा से लेकर प्रियंका तक इस शहर ने संजो रखी है इनकी यादें - Indira Gandhi connections with Jabalpur

मध्यप्रदेश के संस्कारधानी और गांधी परिवार का रिश्ता बहुत खास है. जवाहर लाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक जबलपुर आ चुके हैं और चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं. गांधी परिवार में प्रियंका गांधा का यह पहला मौका है, जब वे जबलपुर दौरे पर आ रही हैं. हालांकि गांधी परिवार के हर सदस्य को जबलपुर की जनता ने बराबर प्यार दिया है. पढ़िए जबलपुर और गांधी परिवार का कनेक्शन...

Nehru family political relations with Jabalpur
नेहरू परिवार का जबलपुर से नाता
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Published : Jun 9, 2023, 5:44 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 8:15 PM IST

जबलपुर के दिल में बसता है नेहरू परिवार

जबलपुर। मध्यप्रदेश में कुछ महीनें में विधानसभा चुनाव है. चुनाव के मद्देनजर एमपी में नेताओं द्वारा लगातार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा जारी है. हालांकि प्रदेश स्तर के नेता चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं द्वारा चुनावी सभा को संबोधित करने की शुरुआत 12 जून से होगी, क्योंकि 12 जून को प्रियंका गांधी जबलपुर दौरे पर आ रही हैं. प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर जहां एक तरफ कांग्रेस की तैयारियां युद्ध स्तर की चल रही है, तो वहीं हम आपको बताते हैं गांधी परिवार का एमपी और जबलपुर से खास कनकेशन के बारे में. मोतीलाल नेहरू से प्रियंका गांधी तक बीते लगभग 100 सालों से अलग-अलग समय में नेहरू परिवार जबलपुर आता रहा है. जबलपुर की जनता ने कई बार नेहरू परिवार की बात पर भरोसा जता कर जबलपुर से कांग्रेसियों को जीत दिलाती रही है.

मोतीलाल नेहरू: राष्ट्रीय विधान परिषद के बाद विवाद की सरकारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोतीलाल नेहरू जबलपुर आए थे. जहां उन्होंने सेठ गोविंद दास और जबलपुर की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बैठकर तिरंगे झंडे को सरकारी इमारतों पर फहराने का विचार किया था. इसके बाद भारत में पहली बार किसी अंग्रेजों की सरकारी इमारत पर झंडा जबलपुर में ही फहराया गया था और यह घटना जबलपुर के टाउन हॉल में हुई थी.

MP Chunav 2023
मोतीलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जबलपुर में आगमन कई बार हुआ. 1957 में जब जबलपुर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई, इस स्थापना के समारोह में जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे. बाद में इस यूनिवर्सिटी का नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के नाम पर किया गया था. इसके अलावा 12 जुलाई 1961 को भी जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे और उन्होंने यहां पर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का भूमि पूजन किया था. इस दौरान उन्होंने जबलपुर के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की थी. 1962 में जबलपुर में एक बड़ा दंगा हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे को जबलपुर भेजा था. यहां उन्हें तत्कालीन कांग्रेसियों ने मदद नहीं की थी और उन्हें कॉफी हाउस की टेबल पर सोना पड़ा था. इसके बाद ही जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि जबलपुर गुंडों का शहर है.

Nehru family political relations with Jabalpur
जवाहर लाल नेहरू

इंदिरा गांधी कई बार जबलपुर आईं: इंदिरा गांधी सबसे पहले 2 अक्टूबर 1964 को जबलपुर आईं थीं. जब जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ था, उस समय इंदिरा गांधी देश की सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. इस दौरान उन्होंने भी जबलपुर के कांग्रेसी नेताओं के साथ ही कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए किसानों और वैज्ञानिकों को संबोधित किया था. इसके बाद भी 1971, 1977 और 1980 में चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर आईं. जबलपुर में उनका एक छोटा रोड शो भी हुआ था. जो सीएमएम से शुरू होकर और गैरिसन मैदान तक चला था. जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि इंदिरा गांधी सेठ गोविंद दास परिवार की बहुत गरीबी थीं, इसलिए हितकारिणी कॉलेज के कार्यक्रमों में भी 1982 में वे जबलपुर आई थीं. इंदिरा गांधी की सभा जबलपुर के सिविक सेंटर और सुपरमार्केट कॉफी हाउस में हुई है. इंदिरा गांधी को सुनने के लिए हजारों की भीड़ खुद-ब-खुद यहां इकट्ठी हो जाती थी.

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इंदिया गांधी की जबलपुर में सभा

राजीव गांधी के दौरे: 1985 में कर्नल अजय नारायण मुश्रान के चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी जबलपुर आए हुए थे. उन्होंने यहां पर सिविक सेंटर में एक सभा को संबोधित किया था. इसके अलावा 1991 में भी राजीव गांधी जबलपुर में श्रवण भाई पटेल के चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर पहुंचे थे. उस समय राजीव गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी और जबलपुर के एयरपोर्ट डुमना से लेकर सुपर मार्केट तक लंबा रोड शो हुआ था. इसमें उन्हें तीन बार अपनी गाड़ी बदलनी पड़ी थी और हजारों की तादाद में लोग राजीव गांधी को सुनने के लिए आए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश जबलपुर से ही दक्षिण की यात्रा पर निकले थे. जहां उनको बम विस्फोट के जरिए मार दिया गया था.

वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भाषण देते हुए सुना है और उनकी सभाओं में खुद ब खुद जनता दौड़ी चली आती थी, किसी को बुलाने की जरूरत नहीं होती थी और उनकी सभाओं का असर भी होता था, इसलिए उनके दोनों के बाद के चुनाव में अच्छे परिणाम कांग्रेस को देखने को मिले.

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राजीव गांधी

सोनिया गांधी के जबलपुर दौरे: सोनिया गांधी भी जबलपुर चार बार आईं हैं. उन्होंने जबलपुर में चारों बार केवल चुनावी दौरे किए. पहली बार वे चंद्र मोहन दास के लोकसभा चुनाव में आई थी. इसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार आलोक चंद्र सोरिया के चुनाव प्रचार में जबलपुर आई, फिर विश्वनाथ दुबे के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सोनिया गांधी ने जबलपुर में सभा ली थी और अंतिम बार सोनिया गांधी का आगमन विवेक तंखा के चुनाव प्रचार के दौरान हुआ था, लेकिन दुर्भाग्यवश सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार का बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ और यह तीनों ही उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए. सोनिया गांधी की सभा में जबलपुर की गैरिसन मैदान और सिहोरा में हुई थी. इसे भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेयी के असर का दौर माना जा सकता है. जब अटल बिहारी वाजपेयी की छवि काम कर रही थी तो गांधी परिवार का असर कम हो रहा था.

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सोनिया गांधी

राहुल गांधी के दौरे: राहुल गांधी इसके पहले अपने पिता राजीव गांधी के साथ भी एक बार जबलपुर आ चुके थे, लेकिन उनका पहला राजनीतिक दौरा 2008 में हुआ था. जब गैरिसन मैदान में एक बड़ी सभा को उन्होंने संबोधित किया था, लेकिन इसका बहुत असर जबलपुर की राजनीति पर नहीं हुआ था और केवल एक सीट पर ही कांग्रेस जीती थी. इसके बाद जबलपुर में राहुल गांधी 2019 में आए थे, तब जबलपुर के गौरी घाट पर नर्मदा नदी में उन्होंने पूजा अर्चन किया था. गौरी घाट से रद्दी चौकी तक लगभग 10 किलोमीटर लंबा एक रोड शो हुआ था, क्योंकि दक्षिण से उत्तर की तरफ था और इस रोड शो के बाद जबलपुर में गहरा असर हुआ और जबलपुर शहर की ही उस विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर कांग्रेस को विजय हासिल हुई. एक ग्रामीण सीट भी कांग्रेस के पक्ष में गई थी. इसके बाद से जबलपुर की जनता का मन कांग्रेस की तरफ झुकता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि इसके बाद के चुनाव में भी जबलपुर में महापौर कांग्रेस से चुना गया.

MP Chunav 2023
राहुल गांधी

कुछ खबरें यहां पढ़ें...

प्रियंका गांधी का दौरा: प्रियंका गांधी पहली बार जबलपुर आ रही हैं. कांग्रेस ने उनकी सभा का आयोजन गोल बाजार मैदान में किया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा भी जबलपुर के इसी मैदान में हुई थी. यह मैदान शहर के बीचों-बीच है. ऐसी संभावना है कि इस सभा में 50,000 से ज्यादा लोग प्रियंका गांधी को सुनने आएंगे. हालांकि कांग्रेसी खुद भी उन्हें लाने का पूरा इंतजाम कर रहे हैं. अब यह वह दौर नहीं है, जब जनता खुद ब खुद अपने नेताओं को सुनने के लिए आती थी, लेकिन प्रियंका गांधी की सभा मध्य प्रदेश मेहताब हो रही है. जब भारतीय जनता पार्टी के चमत्कारी नेतृत्व का असर घटता हुआ नजर आ रहा है. मोदी का जादू अब कुछ कम हो गया है. शिवराज सिंह के चेहरे पर भी अब लोगों को इतना भरोसा नहीं रहा है, ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी के जरिए मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव प्रचार का आगाज करना कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा यह देखना होगा.

हालांकि लोकतांत्रिक देश में किसी एक परिवार का ज्यादा राजनीतिक प्रभाव लोकतंत्र के मूल्यों के अनुसार ठीक नहीं है, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि भारत के विकास में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का बड़ा योगदान है. भारत के कम ही प्रधानमंत्री इतने सफल हो पाए जिनके फैसलों के परिणाम दूरगामी हुए. 2023 का मध्य प्रदेश का चुनाव यह तय कर देगा कि नेहरू परिवार की मौजूदा पीढ़ी पर जनता कितना भरोसा करती है.

जबलपुर के दिल में बसता है नेहरू परिवार

जबलपुर। मध्यप्रदेश में कुछ महीनें में विधानसभा चुनाव है. चुनाव के मद्देनजर एमपी में नेताओं द्वारा लगातार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा जारी है. हालांकि प्रदेश स्तर के नेता चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं द्वारा चुनावी सभा को संबोधित करने की शुरुआत 12 जून से होगी, क्योंकि 12 जून को प्रियंका गांधी जबलपुर दौरे पर आ रही हैं. प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर जहां एक तरफ कांग्रेस की तैयारियां युद्ध स्तर की चल रही है, तो वहीं हम आपको बताते हैं गांधी परिवार का एमपी और जबलपुर से खास कनकेशन के बारे में. मोतीलाल नेहरू से प्रियंका गांधी तक बीते लगभग 100 सालों से अलग-अलग समय में नेहरू परिवार जबलपुर आता रहा है. जबलपुर की जनता ने कई बार नेहरू परिवार की बात पर भरोसा जता कर जबलपुर से कांग्रेसियों को जीत दिलाती रही है.

मोतीलाल नेहरू: राष्ट्रीय विधान परिषद के बाद विवाद की सरकारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोतीलाल नेहरू जबलपुर आए थे. जहां उन्होंने सेठ गोविंद दास और जबलपुर की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बैठकर तिरंगे झंडे को सरकारी इमारतों पर फहराने का विचार किया था. इसके बाद भारत में पहली बार किसी अंग्रेजों की सरकारी इमारत पर झंडा जबलपुर में ही फहराया गया था और यह घटना जबलपुर के टाउन हॉल में हुई थी.

MP Chunav 2023
मोतीलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जबलपुर में आगमन कई बार हुआ. 1957 में जब जबलपुर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई, इस स्थापना के समारोह में जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे. बाद में इस यूनिवर्सिटी का नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के नाम पर किया गया था. इसके अलावा 12 जुलाई 1961 को भी जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे और उन्होंने यहां पर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का भूमि पूजन किया था. इस दौरान उन्होंने जबलपुर के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की थी. 1962 में जबलपुर में एक बड़ा दंगा हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे को जबलपुर भेजा था. यहां उन्हें तत्कालीन कांग्रेसियों ने मदद नहीं की थी और उन्हें कॉफी हाउस की टेबल पर सोना पड़ा था. इसके बाद ही जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि जबलपुर गुंडों का शहर है.

Nehru family political relations with Jabalpur
जवाहर लाल नेहरू

इंदिरा गांधी कई बार जबलपुर आईं: इंदिरा गांधी सबसे पहले 2 अक्टूबर 1964 को जबलपुर आईं थीं. जब जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ था, उस समय इंदिरा गांधी देश की सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. इस दौरान उन्होंने भी जबलपुर के कांग्रेसी नेताओं के साथ ही कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए किसानों और वैज्ञानिकों को संबोधित किया था. इसके बाद भी 1971, 1977 और 1980 में चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर आईं. जबलपुर में उनका एक छोटा रोड शो भी हुआ था. जो सीएमएम से शुरू होकर और गैरिसन मैदान तक चला था. जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि इंदिरा गांधी सेठ गोविंद दास परिवार की बहुत गरीबी थीं, इसलिए हितकारिणी कॉलेज के कार्यक्रमों में भी 1982 में वे जबलपुर आई थीं. इंदिरा गांधी की सभा जबलपुर के सिविक सेंटर और सुपरमार्केट कॉफी हाउस में हुई है. इंदिरा गांधी को सुनने के लिए हजारों की भीड़ खुद-ब-खुद यहां इकट्ठी हो जाती थी.

Nehru family political connections with Jabalpur
इंदिया गांधी की जबलपुर में सभा

राजीव गांधी के दौरे: 1985 में कर्नल अजय नारायण मुश्रान के चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी जबलपुर आए हुए थे. उन्होंने यहां पर सिविक सेंटर में एक सभा को संबोधित किया था. इसके अलावा 1991 में भी राजीव गांधी जबलपुर में श्रवण भाई पटेल के चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर पहुंचे थे. उस समय राजीव गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी और जबलपुर के एयरपोर्ट डुमना से लेकर सुपर मार्केट तक लंबा रोड शो हुआ था. इसमें उन्हें तीन बार अपनी गाड़ी बदलनी पड़ी थी और हजारों की तादाद में लोग राजीव गांधी को सुनने के लिए आए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश जबलपुर से ही दक्षिण की यात्रा पर निकले थे. जहां उनको बम विस्फोट के जरिए मार दिया गया था.

वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भाषण देते हुए सुना है और उनकी सभाओं में खुद ब खुद जनता दौड़ी चली आती थी, किसी को बुलाने की जरूरत नहीं होती थी और उनकी सभाओं का असर भी होता था, इसलिए उनके दोनों के बाद के चुनाव में अच्छे परिणाम कांग्रेस को देखने को मिले.

Nehru family political relations with Jabalpur
राजीव गांधी

सोनिया गांधी के जबलपुर दौरे: सोनिया गांधी भी जबलपुर चार बार आईं हैं. उन्होंने जबलपुर में चारों बार केवल चुनावी दौरे किए. पहली बार वे चंद्र मोहन दास के लोकसभा चुनाव में आई थी. इसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार आलोक चंद्र सोरिया के चुनाव प्रचार में जबलपुर आई, फिर विश्वनाथ दुबे के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सोनिया गांधी ने जबलपुर में सभा ली थी और अंतिम बार सोनिया गांधी का आगमन विवेक तंखा के चुनाव प्रचार के दौरान हुआ था, लेकिन दुर्भाग्यवश सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार का बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ और यह तीनों ही उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए. सोनिया गांधी की सभा में जबलपुर की गैरिसन मैदान और सिहोरा में हुई थी. इसे भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेयी के असर का दौर माना जा सकता है. जब अटल बिहारी वाजपेयी की छवि काम कर रही थी तो गांधी परिवार का असर कम हो रहा था.

Nehru family political relations with Jabalpur
सोनिया गांधी

राहुल गांधी के दौरे: राहुल गांधी इसके पहले अपने पिता राजीव गांधी के साथ भी एक बार जबलपुर आ चुके थे, लेकिन उनका पहला राजनीतिक दौरा 2008 में हुआ था. जब गैरिसन मैदान में एक बड़ी सभा को उन्होंने संबोधित किया था, लेकिन इसका बहुत असर जबलपुर की राजनीति पर नहीं हुआ था और केवल एक सीट पर ही कांग्रेस जीती थी. इसके बाद जबलपुर में राहुल गांधी 2019 में आए थे, तब जबलपुर के गौरी घाट पर नर्मदा नदी में उन्होंने पूजा अर्चन किया था. गौरी घाट से रद्दी चौकी तक लगभग 10 किलोमीटर लंबा एक रोड शो हुआ था, क्योंकि दक्षिण से उत्तर की तरफ था और इस रोड शो के बाद जबलपुर में गहरा असर हुआ और जबलपुर शहर की ही उस विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर कांग्रेस को विजय हासिल हुई. एक ग्रामीण सीट भी कांग्रेस के पक्ष में गई थी. इसके बाद से जबलपुर की जनता का मन कांग्रेस की तरफ झुकता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि इसके बाद के चुनाव में भी जबलपुर में महापौर कांग्रेस से चुना गया.

MP Chunav 2023
राहुल गांधी

कुछ खबरें यहां पढ़ें...

प्रियंका गांधी का दौरा: प्रियंका गांधी पहली बार जबलपुर आ रही हैं. कांग्रेस ने उनकी सभा का आयोजन गोल बाजार मैदान में किया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा भी जबलपुर के इसी मैदान में हुई थी. यह मैदान शहर के बीचों-बीच है. ऐसी संभावना है कि इस सभा में 50,000 से ज्यादा लोग प्रियंका गांधी को सुनने आएंगे. हालांकि कांग्रेसी खुद भी उन्हें लाने का पूरा इंतजाम कर रहे हैं. अब यह वह दौर नहीं है, जब जनता खुद ब खुद अपने नेताओं को सुनने के लिए आती थी, लेकिन प्रियंका गांधी की सभा मध्य प्रदेश मेहताब हो रही है. जब भारतीय जनता पार्टी के चमत्कारी नेतृत्व का असर घटता हुआ नजर आ रहा है. मोदी का जादू अब कुछ कम हो गया है. शिवराज सिंह के चेहरे पर भी अब लोगों को इतना भरोसा नहीं रहा है, ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी के जरिए मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव प्रचार का आगाज करना कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा यह देखना होगा.

हालांकि लोकतांत्रिक देश में किसी एक परिवार का ज्यादा राजनीतिक प्रभाव लोकतंत्र के मूल्यों के अनुसार ठीक नहीं है, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि भारत के विकास में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का बड़ा योगदान है. भारत के कम ही प्रधानमंत्री इतने सफल हो पाए जिनके फैसलों के परिणाम दूरगामी हुए. 2023 का मध्य प्रदेश का चुनाव यह तय कर देगा कि नेहरू परिवार की मौजूदा पीढ़ी पर जनता कितना भरोसा करती है.

Last Updated : Jun 9, 2023, 8:15 PM IST
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