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MP: यहां है रावण का मंदिर, रोजाना होती है पूजा, कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहीं दिया था आशीर्वाद

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Published : Oct 4, 2022, 2:19 PM IST

कई जगह ऐसी हैं, जहां आज भी रावण को आराध्य के रूप में पूजा जाता है. छिंदवाड़ा जिले में ऐसा ही एक आदिवासी गांव है, जहां रावण का एक ऊंचे टीले पर मंदिर है. मंदिर के आसपास पड़े पुराने शिलालेख बताते हैं कि रावण की याद में इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा है. छिंदवाड़ा जिले के कोल माइंस इलाके में स्थित रावनवाड़ा गांव का नाम रावण के नाम से पड़ने के पीछे पुख्ता प्रमाण तो नहीं है. लेकिन स्थानीय निवासी और रावण की पूजा करने वालों भक्तों का कहना है कि इसी गांव के जंगलों में रावण ने आकर कठोर तप किया था. तब से ही गांव का नाम रावनवाड़ा है. Dussehra 2022, MP Ravan Temple, villagers worship Ravana, Ravanpada village Chhindwara, Lord Shiva blessed ravana

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छिंदवाड़ा। जिले के रावनवाड़ा थाना क्षेत्र के गांव रावनवाड़ा में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में रावण ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी. उसी के बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा. कहा जाता है कि पहले इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था. इसी जंगल के बीचोंबीच रावण ने भगवान शिव की आराधना की. उसे भगवान शिव ने दर्शन देकर यहीं पर आशीर्वाद दिया था.

Ravanpada village Chhindwara
छिंदवाड़ा जिले में रावनवाड़ा

रावनवाड़ा के पास है महादेवपुरी और विष्णुपुरी : लोगों का विश्वास पुख्ता इसलिए भी होता है कि रावनवाड़ा के अगल-बगल से ही विष्णुपुरी और महादेवपुरी नाम के 2 गांव में स्थित हैं. जहां पर वेस्टर्न कोलफील्ड्स की कोयला खदानें संचालित होती थीं. गांव के आदिवासी रावण को आराध्य देव के रूप में पूजते हैं. रावनवाड़ा के रहने वाले राजेश धुर्वे बताते हैं कि उनके ही खेत में रावण देव का मंदिर है, उनकी कई पीढ़ियों से रावण की पूजा की जाती रही है.

MP के इस गांव में रावण का दहन नहीं सम्मान होता है, जय लंकेश से होता है अभिवादन

दशहरा और दीपावली पर लगता है मेला : स्थानीय लोगों का कहना है कि आदिवासी रावण को आराध्य मानते हैं, जिसके चलते दशहरा और दीपावली के बाद यहां पर मेला लगता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैं और मंदिर में मुर्गे-मुर्गियां बकरे की बलि का भी रिवाज है. बुराई के प्रतीक रावण का दशहरा के मौके पर पुतला तो हर जगह दहन किया जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ अब आदिवासी समाज हर तरफ से इसका विरोध करने लगा है. आदिवासियों का मानना है कि रावण उनके पूर्वज हैं. इसलिए प्रतीकात्मक रूप से पुतले दहन पर रोक लगना चाहिए. Dussehra 2022, MP Ravan Temple , villagers worship Rravana, Ravanpada village Chhindwara, Lord Shiva blessed ravana

छिंदवाड़ा। जिले के रावनवाड़ा थाना क्षेत्र के गांव रावनवाड़ा में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में रावण ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी. उसी के बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा. कहा जाता है कि पहले इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था. इसी जंगल के बीचोंबीच रावण ने भगवान शिव की आराधना की. उसे भगवान शिव ने दर्शन देकर यहीं पर आशीर्वाद दिया था.

Ravanpada village Chhindwara
छिंदवाड़ा जिले में रावनवाड़ा

रावनवाड़ा के पास है महादेवपुरी और विष्णुपुरी : लोगों का विश्वास पुख्ता इसलिए भी होता है कि रावनवाड़ा के अगल-बगल से ही विष्णुपुरी और महादेवपुरी नाम के 2 गांव में स्थित हैं. जहां पर वेस्टर्न कोलफील्ड्स की कोयला खदानें संचालित होती थीं. गांव के आदिवासी रावण को आराध्य देव के रूप में पूजते हैं. रावनवाड़ा के रहने वाले राजेश धुर्वे बताते हैं कि उनके ही खेत में रावण देव का मंदिर है, उनकी कई पीढ़ियों से रावण की पूजा की जाती रही है.

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दशहरा और दीपावली पर लगता है मेला : स्थानीय लोगों का कहना है कि आदिवासी रावण को आराध्य मानते हैं, जिसके चलते दशहरा और दीपावली के बाद यहां पर मेला लगता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैं और मंदिर में मुर्गे-मुर्गियां बकरे की बलि का भी रिवाज है. बुराई के प्रतीक रावण का दशहरा के मौके पर पुतला तो हर जगह दहन किया जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ अब आदिवासी समाज हर तरफ से इसका विरोध करने लगा है. आदिवासियों का मानना है कि रावण उनके पूर्वज हैं. इसलिए प्रतीकात्मक रूप से पुतले दहन पर रोक लगना चाहिए. Dussehra 2022, MP Ravan Temple , villagers worship Rravana, Ravanpada village Chhindwara, Lord Shiva blessed ravana

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