ग्वालियर। कूनो नेशनल पार्क में आज रविवार को खुशियों का दौर है. कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधक एवं वाणी कर्मियों द्वारा आज चीता प्रोजेक्ट को एक वर्ष होने पर खुशियां और उत्साह मनाया जा रहा है. कुछ पल दुखद के भी रहे तो कुछ पल खुशियों से भर भी रहे. जहां कूनो नेशनल पार्क पर चीतों की मॉनिटरिंग पर सवाल उठाते रहे तो कहीं ना कहीं यह भी एक सुखद खबर मिलती रही की जो चीते जीवित है अब उनकी देखरेख सही तरीके से हो रही है. Cheetah Project One Year Complete.
भारत में चार शावकों का जन्म: भारत के कूनो नेशनल पार्क में जन्मे चार शवाकों की तो इनमें से तीन की मौत हो चुकी है. लेकिन जो एक शावक बचा है वह यहां के माहौल में जलवायु में घुल मिल चुका है. वह शावक हस्त पुष्ट और खेलते नजर आ रहा है. 6 महीने के इस शावक के बारे में यह बताया जा रहा है कि यह भारत की ही जलवायु में जन्मा है, इस वजह से यह अपने आप को इस वातावरण में ढाल चुका है और अब कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता और जो नर चीते हैं वह भी स्वस्थ और भागते दौड़ते नजर आ रहे हैं.
कूनों में अब तक 9 चीतों की मौत: चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा होने पर लग रहा है कि भारत का यह चिता प्रोजेक्ट सफल हो चुका है. क्योंकि जिन चीतों की मौतें हुई वह चीते कहीं ना कहीं कोई ना कोई बीमारी से ग्रसित थे. लेकिन अब जो बड़े बाड़े में बंद नर मादा चीते हैं उनका स्वास्थ्य परीक्षण हो चुका है और यह सारे चीते अब स्वस्थ हैं. चीते शिकार करके भी अपना पेट भर रहे हैं. कूनो नेशनल पार्क में नौ चीतों की मौत हो चुकी है. इसमें छह चीते और तीन शावक शामिल हैं. अब कूनो नेशनल पार्क में 14 चीते और एक शावक बचा है.
17 सितंबर 2022 को भारत आए थे चीते: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा था. छह महीने बाद यहां पहले चीते की मौत हुई. दरअसल, 27 मार्च को साशा नाम की एक नामीबियाई मादा चीता की मृत्यु हो गई थी. मृत्यु का कारण वन विभाग के अनुसार, नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई मादा चीता साशा के गुर्दों में संक्रमण होने की वजह से मृत्यु हुई थी. कहा गया कि इस मादा चीता के गुर्दों में संक्रमण भारत आने के पहले से ही था.
फिर उदय- 23 अप्रैल की सुबह अचानक उदय चीते का स्वास्थ्य खराब हुआ और शाम चार बजे मौत हो गई. मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार कार्डियोपलमोनरी फेल होने की वजह से चीते की मौत हुई. वह सुबह से ही बीमार दिखाई दे रहा था, दोपहर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. चीता उदय में हार्ट और लंग्स की समस्या सामने आई थी.
दक्षा: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में घायल मादा चीता दक्षा की 9 मई को मृत्यु हो गई थी. चीता दक्षा को मॉनिटरिंग दल द्वारा नौ मई को पौने ग्यारह बजे घायल अवस्था में पाया गया था. पशु चिकित्सकों द्वारा इसका उपचार भी किया गया. दक्षा के शरीर पर पाए गए घाव प्रथम दृष्टया मेटिंग के दौरान मेल से हिंसक इन्टरेक्शन होना पाया गया.
ज्वाला के तीन शावक की मौत: 23 मई को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की मृत्यु हो गई थी. प्रथम दृष्टया शावक की मृत्यु का कारण कमजोरी से होना प्रतीत हुआ. मॉनिटरिंग टीम ने सुबह ज्वाला को अपने शावकों के साथ एक जगह बैठा पाया गया. कुछ समय बाद मादा चीता अपने शावकों के साथ चल कर जाने लगी, टीम ने तीन शावकों को उसके साथ जाते हुए देखा. चौथा शावक अपने स्थान पर ही लेटा रहा. मॉनिटरिंग टीम द्वारा कुछ समय रुकने के बाद चौथे शावक का करीब से निरीक्षण किया गया. यह शावक उठने में असमर्थ जमीन पर पड़ा मिला और टीम को देख कर अपना सिर उठाने का प्रयास भी किया. तत्काल पशु चिकित्सक दल को सूचना दी गई. 23 मई को एक शावक की मृत्यु के बाद शेष तीन शावक और मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्य-प्राणी चिकित्सकों और मॉनीटरिंग टीम द्वारा दिनभर निगरानी की गई. दिन में चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया. दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष तीन शावकों की स्थिति सामान्य नहीं हुई. तीनों शावक की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्य-प्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर उपचार किया, लेकिन दो शावक की स्थिति अधिक खराब होने से बचाया नहीं जा सका. ऐसे में तीन शावकों की मौत हो गयी.
तेजस की मौत: 11 जुलाई को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीता तेजस की मृत्यु हो गई. नर चीता तेजस की मृत्यु का प्रथम दृष्टया संभावित कारण ट्रॉमेटिक शॉक बताया गया. तेजस का शव परीक्षण 12 जुलाई को पालपुर स्थित वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल में किया गया. इस दौरान चीता का वजन 43 किग्रा पाया गया जो कि सामान्य नर चीता के औसत वजन से कम है. बाहरी तौर पर चीते के गर्दन पर घाव के निशान थे जो ज्यादा गहरे न होकर केवल बाह्य त्वचा तक सीमित थे. शव परीक्षण करने वाले वन्यप्राणी चिकित्सकों के अनुसार तेजस के आंतरिक अंग सामान्य रूप से कार्य नहीं कर रहे थे. इस अवस्था में तेजस के भविष्य में पूरी तरह स्वस्थ होने की संभावनाएं काफी कम हो गई थी. आशंका जताई गई कि तेजस के आंतरिक रूप से कमजोर होने के कारण बाड़े में मौजूद अन्य मादा चीता से हुई हिंसक झड़प से हुए ट्रामा की स्थिति से रिकवर नहीं कर पाया.
सूरज: 14 जुलाई को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया नर चीता सूरज मृत अवस्था में पाया गया. चीता निगरानी दल द्वारा सुबह पालपुर पूर्व परिक्षेत्र के मसावनी बीट में नर चीता 'सूरज' को सुस्त अवस्था में लेटा पाया. उसके गले पर मक्खी उड़ती देखी गई, पास जाने पर चीता उठकर दौड़ कर दूर चला गया. सूचना पर वन्य-प्राणी चिकित्सक दल और क्षेत्रीय अधिकारी लगभग सुबह नौ बजे मौके पर पहुंचे. लोकेशन ट्रेस करने पर चीता सूरज मौके पर मृत अवस्था में मिला. प्रारंभिक जांच में मृत्यु का कारण चीता सूरज के गर्दन और पीठ पर घाव होना पाया गया.
पांच चीतों को बाड़ों में रखा गया: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आठ और दक्षिण अफ्रीका से 12, इस प्रकार कुल 20 चीते लाए गए. 29 मार्च को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई तीन वर्ष की नामीबियाई मादा चीता ज्वाला ने चार चीता शावकों को जन्म दिया. वर्तमान में 10 चीते खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं और पांच चीतों को बाड़ों में रखा गया है. सभी चीतों की 24 घंटे मॉनीटरिंग की जा रही है. इसके अलावा कूनो वन्य-प्राणी चिकित्सक टीम और नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण में सभी चीतों को स्वस्थ्य बताया गया है.
सभी चीते स्वस्थ: आज रविवार को कूनो प्रोजेक्ट को लेकर कूनो नेशनल पार्क में खुशियां मनाई जा रही हैं. यह खुशियां चीता प्रोजेक्ट को एक वर्ष पूर्ण होने पर मनाई जा रही है. वहीं, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन असीम श्रीवास्तव कहते हैं कि ''चीता प्रोजेक्ट सफल रहा है. कूनो में ले गए चीतों में से करीब 30 फीसदी की मौत हुई है, लेकिन यह चीता एक्शन प्लान में बताए गए सर्वाइकल रेट के हिसाब से ही हैं. सभी जीते एक्सपर्ट की निगरानी में है और अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं. इन्हें जल्दी ओपन जंगल में छोड़ा जाएगा.
सालगिरह पर कूनों में कार्यक्रम आयोजित: रविवार को चीता प्रोजेक्ट को पूरा एक साल हो चुका है. गत वर्ष 2022 में आज ही के दिन 17 सितंबर को नामीबिया से चीते भारत ले गए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया था. इसी तारतम्य में चीता प्रोजेक्ट की पहली सालगिरह पर केंद्रीय वन मंत्रालय और एमपी वन विभाग की ओर से एक बड़ा कार्यक्रम कूनो में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम डीजी फॉरेस्ट सीपी गोयल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रहे. इस अवसर पर एक बाइक रैली का आयोजन भी किया गया. वहीं, चीता प्रोजेक्ट की एक साल की पूरी जर्नी पर मूवी दिखाई गई.
नन्हे शावकों पर टिका चीतों का भविष्य: गौरतलब है कि कुल 20 चीते लाए गए थे. 27 मार्च को जन्मे चीता शावक से अब सभी की उम्मीदें हैं. ये पहला भारतीय चीता है, जिसने भारत की जमीं पर ही जन्म लिया है. ये मादा चीता शावक छह महीने का हो गया है, जो पूर्ण रूप से स्वस्थ है. इस चीता शावक की मां ने कुल चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से तीन की मौत हो गई थी, सिर्फ एक यही अब जिंदा बचा है.