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MP Food Poisoning: जबलपुर के छात्रावास में कटहल की सब्जी खाकर 300 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, खून की उल्टियां हुईं - jabalpur latest news

जबलपुर के एकलव्य छात्रावास में फूड पॉइजनिंग से करीब 300 छात्र-छात्राएं बीमार हो गए. कई बच्चों को खून की उल्टियां भी हुईं. बताया जा रहा है कि बच्चों ने हॉस्टल में कटहल की सब्जी खाई थी, जिसे खाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई. सभी बच्चों को इलाज के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

300 children sick in Jabalpur hostel
जबलपुर के छात्रावास में 300 बच्चे बीमार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 18, 2023, 11:02 PM IST

जबलपुर के छात्रावास में 300 बच्चे बीमार

जबलपुर। रामपुर छापर की एकलव्य स्कूल के हॉस्टल में लगभग 300 सौ बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए हैं. इन सभी बच्चों ने शाम का भोजन खाया था. जिसमें इन लोगों ने बताया कि ''उन्हें कटहल की सब्जी खिलाई गई थी, इसी सब्जी के खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ता शुरू हुई.'' जैसे ही इस खबर की जानकारी आसपास के लोगों को मिली तुरंत लोग बच्चों को लेकर अलग-अलग अस्पतालों की तरफ भागे. वहीं स्कूल प्रबंधन तमाशा देख रहा था. तब किसी ऑटो वाले ने तो किसी मोहल्ले के नेता ने इन बच्चों की मदद की और उन्हें अस्पताल तक पहुंचाया.

ऑटो चालक बना मददगार: रज्जू सूर्यवंशी नाम के ऑटो चालक रामपुर छापर में एकलव्य स्कूल के पास सवारी छोड़ने गए थे. इसी दौरान उन्होंने सड़क पर खड़े हुए बच्चों को रोते हुए देखा. उन्होंने तुरंत बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बताया कि शाम के खाने के बाद बच्चे बीमार होने लगे हैं, कुछ लोगों को उल्टियां हो रही हैं तो कुछ लोगों को चक्कर आ रहे हैं. जैसे ही रज्जू सूर्यवंशी हॉस्टल पहुंचे तो वहां हालत बहुत बुरे थे और करीब ढाई सौ बच्चे तड़प रहे थे. रज्जू सूर्यवंशी ने अपने ऑटो में 7 बच्चों को बैठाया और वे सीधे उन्हें सरकारी अस्पताल लेकर आए, यहां इन बच्चों का इलाज चल रहा है.

  • जबलपुर जनजातीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में फूड प्वाइजनिंग से कई बच्चों के बीमार होने का समाचार प्राप्त हुआ। मैं सभी बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
    मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आदिवासी समाज के बच्चों के साफ सुथरे भोजन का प्रबंध भी आखिर उनकी सरकार…

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

स्थानीय पार्षद ने मदद की: स्थानीय पार्षद दिनेश और अनुपम जैन 60 से 70 बच्चों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे हैं. यह स्कूल जबलपुर के शंकर शाह नगर में है, यहां के पार्षद को जब इस बात की जानकारी मिली की हॉस्टल में फूड पॉइजनिंग हो गई है तो वे तुरंत व्यवस्था करके बच्चों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जहां इन बच्चों को भर्ती कर दिया गया है और इनका इलाज शुरू हो गया है. यहां कुछ बच्चों ने बताया है कि इनमें से कुछ बच्चों को खून की उल्टियां भी हुई हैं.

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बच्चों के परिवारों का आरोप: एक बच्चे के पिता गोपाल सिंह काकुड़िया ने बताया कि ''उनका बच्चा भी एकलव्य छात्रावास में 12वीं कक्षा में पढ़ता है और हॉस्टल में रहता है. आज गोपाल सिंह काकुड़िया अपने बच्चों से मिलने के लिए आए थे, तभी उन्हें यहां इस घटना की जानकारी लगी. वह तुरंत अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे.'' गोपाल का कोरिया ने आरोप लगाया है कि ''हॉस्टल में बहुत खराब खाना बच्चों को दिया जाता है, इसी का परिणाम है कि आज अचानक बच्चे बीमार हो गए.''

छात्रावास प्रबंधन पर सवाल: इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी छात्रावासों के प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. सरकार आदिवासी छात्रावासों के लिए हजारों करोड़ रूपया खर्च कर रही है ताकि आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके लेकिन यह पैसा भ्रष्टाचार की वजह से बर्बाद हो रहा है. इस मामले में भी न केवल छात्रावास प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं बल्कि इन छात्रावासों को जांच करने वाले अधिकारी भी कितने लापरवाह हैं, इसका भी खुलासा हो गया है.

जबलपुर के छात्रावास में 300 बच्चे बीमार

जबलपुर। रामपुर छापर की एकलव्य स्कूल के हॉस्टल में लगभग 300 सौ बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए हैं. इन सभी बच्चों ने शाम का भोजन खाया था. जिसमें इन लोगों ने बताया कि ''उन्हें कटहल की सब्जी खिलाई गई थी, इसी सब्जी के खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ता शुरू हुई.'' जैसे ही इस खबर की जानकारी आसपास के लोगों को मिली तुरंत लोग बच्चों को लेकर अलग-अलग अस्पतालों की तरफ भागे. वहीं स्कूल प्रबंधन तमाशा देख रहा था. तब किसी ऑटो वाले ने तो किसी मोहल्ले के नेता ने इन बच्चों की मदद की और उन्हें अस्पताल तक पहुंचाया.

ऑटो चालक बना मददगार: रज्जू सूर्यवंशी नाम के ऑटो चालक रामपुर छापर में एकलव्य स्कूल के पास सवारी छोड़ने गए थे. इसी दौरान उन्होंने सड़क पर खड़े हुए बच्चों को रोते हुए देखा. उन्होंने तुरंत बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बताया कि शाम के खाने के बाद बच्चे बीमार होने लगे हैं, कुछ लोगों को उल्टियां हो रही हैं तो कुछ लोगों को चक्कर आ रहे हैं. जैसे ही रज्जू सूर्यवंशी हॉस्टल पहुंचे तो वहां हालत बहुत बुरे थे और करीब ढाई सौ बच्चे तड़प रहे थे. रज्जू सूर्यवंशी ने अपने ऑटो में 7 बच्चों को बैठाया और वे सीधे उन्हें सरकारी अस्पताल लेकर आए, यहां इन बच्चों का इलाज चल रहा है.

  • जबलपुर जनजातीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में फूड प्वाइजनिंग से कई बच्चों के बीमार होने का समाचार प्राप्त हुआ। मैं सभी बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
    मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आदिवासी समाज के बच्चों के साफ सुथरे भोजन का प्रबंध भी आखिर उनकी सरकार…

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

स्थानीय पार्षद ने मदद की: स्थानीय पार्षद दिनेश और अनुपम जैन 60 से 70 बच्चों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे हैं. यह स्कूल जबलपुर के शंकर शाह नगर में है, यहां के पार्षद को जब इस बात की जानकारी मिली की हॉस्टल में फूड पॉइजनिंग हो गई है तो वे तुरंत व्यवस्था करके बच्चों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जहां इन बच्चों को भर्ती कर दिया गया है और इनका इलाज शुरू हो गया है. यहां कुछ बच्चों ने बताया है कि इनमें से कुछ बच्चों को खून की उल्टियां भी हुई हैं.

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बच्चों के परिवारों का आरोप: एक बच्चे के पिता गोपाल सिंह काकुड़िया ने बताया कि ''उनका बच्चा भी एकलव्य छात्रावास में 12वीं कक्षा में पढ़ता है और हॉस्टल में रहता है. आज गोपाल सिंह काकुड़िया अपने बच्चों से मिलने के लिए आए थे, तभी उन्हें यहां इस घटना की जानकारी लगी. वह तुरंत अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे.'' गोपाल का कोरिया ने आरोप लगाया है कि ''हॉस्टल में बहुत खराब खाना बच्चों को दिया जाता है, इसी का परिणाम है कि आज अचानक बच्चे बीमार हो गए.''

छात्रावास प्रबंधन पर सवाल: इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी छात्रावासों के प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. सरकार आदिवासी छात्रावासों के लिए हजारों करोड़ रूपया खर्च कर रही है ताकि आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके लेकिन यह पैसा भ्रष्टाचार की वजह से बर्बाद हो रहा है. इस मामले में भी न केवल छात्रावास प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं बल्कि इन छात्रावासों को जांच करने वाले अधिकारी भी कितने लापरवाह हैं, इसका भी खुलासा हो गया है.

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