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फोन टैपिंग मामला : मुंबई पुलिस ने करीब दो घंटे तक फडणवीस का बयान दर्ज किया

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Published : Mar 13, 2022, 7:05 PM IST

महाराष्ट्र का फोन टैपिंग प्रकरण एक बार फिर से सुर्खियों में है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मुंबई पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया है. जानकारी के मुताबिक फडणवीस से ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में भी पूछताछ की गई है. फडणवीस को नोटिस पर महाराष्ट्र भाजपा के विरोध के बीच प्रदेश के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि विपक्ष राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा कि अभी और भी लोगों के बयान दर्ज किए जाने हैं.

dilip walse patil fadnavis
महाराष्ट्र के गृह मंत्री और देवेंद्र फडणवीस

मुंबई : महाराष्ट्र में फडणवीस को नोटिस भेजे जाने को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. बीजेपी के विरोध के बीच गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि विपक्ष इस मामले पर राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा, देवेंद्र फडणवीस को अब तक 5-6 नोटिस दिए जा चुके हैं. पाटिल ने कहा कि 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जबकि अब तक कुल 24 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में और भी दर्ज किए जाएंगे.

गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा, देवेंद्र फडणवीस को बुलाया नहीं गया, उन्हें सवालों का एक सेट भेजा गया था, जिसका उन्हें जवाब देना था. उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस की टीम फडणवीस के आवास पर गई क्योंकि उन्होंने ट्रांसफर पोस्टिंग मामले के संबंध में उन्हें भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए.

इसी बीच मुंबई स्थित बीकेसी साइबर पुलिस की टीम ने कथित अवैध फोन टैपिंग मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के घर रविवार को जाकर करीब दो घंटे तक बयान दर्ज किए. रविवार को पुलिस उपायुक्त हेमराज सिंह राजपूत के नेतृत्व में पुलिस की टीम दोपहार फडणवीस के बंगले 'सागर' पहुंची. इस टीम में सहायक पुलिस उपायुक्त नितिन जाधव और दो पुलिस निरीक्षक शामिल थे. अधिकारी ने बताया कि टीम ने फडणवीस के बंगले पर करीब दो घंटे तक उनका बयान दर्ज किया.

बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रश्मि शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) के प्रमुख पद पर रहते नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के फोन गैर कानूनी तरीके से टैप करवाए थे. गौरतलब है कि कथित रूप से फोन टैप करने और गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के मामले में पिछले साल बीकेसी (बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स) साइबर पुलिस थाने में सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में शिकायत राज्य खुफिया विभाग ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी दर्ज होने से पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने अपनी कथित जांच रिपोर्ट में कहा था कि शुक्ला ने गोपनीय रिपोर्ट लीक की है.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक पत्र का हवाला दिया था जिसे कथित तौर पर शुक्ला ने महाराष्ट्र के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पुलिस विभाग में होने वाले तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. कथित पत्र में फोन कॉल टैप की भी जानकारी दी गई थी जिसको लेकर विवाद पैदा हुआ और शिवसेना नीत सत्तारूढ़ गठबंधन ने आरोप लगाया कि शुक्ला ने बिना अनुमति फोन टैप करवाए. इसी प्रकरण में महाराष्ट्र पुलिस ने फडणवीस का बयान दर्ज किया है.

भ्रष्टाचार मामले में फडणवीस के समर्थन में बीजेपी नेता
फडणवीस के आवास पर पुलिस टीम के पहुंचने से उनके बंगले के बाहर सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई जहां पर विधायक नीतेश राणे, विधान परिषद के सदस्य(एमएलसी) प्रसाद लाड एवं प्रवीण दरेकर और पार्टी नेता कृपाशंकर सिंह सहित कई भाजपा नेता जमा हुए थे. भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा नोटिस जारी करने का पुणे, पंढरपुर (सोलापुर जिला), नागपुर, चंद्रपुर और सांगली सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध किया और फडणवीस को जारी नोटिस की प्रतियां जलाईं. भाजपा विधायक और पूर्व राज्यमंत्री आशीष शेलार ने रविवार को कहा, 'उन्हें बयान दर्ज करने दीजिए. सच को कभी छिपाया या हराया नहीं जा सकता.' उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, 'फडणवीस ने इस मामले में भ्रष्टचार को उजागर किया है. यह उम्मीद की जा रही थी कि जो भ्रष्टाचार के मामले में शामिल हैं या जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी जांच की जाएगी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार कहीं न कहीं विरोधियों पर दबाव बनाने के हथकंडे का इस्तेमाल कर रही है.' विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने भी शेलार का समर्थन किया.

शिवसेना का सवाल- कुछ लोग कानून से ऊपर क्यों ?
दरेकर ने एक अन्य समाचार चैनल से कहा, 'वह (फडणवीस) जनता के सामने (अधिकारियों के) स्थानांतरण में भ्रष्टाचार को लेकर आए...अब यह (राज्य) सरकार इन आरोपों का प्रतिकार लेने की कोशिश कर रही है.' उन्होंने दावा किया कि शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महा विकास अघाडी सरकार उस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से असहज स्थिति का सामना कर रही है और इसलिए फडणवीस को 'कमजोर' और 'दुर्भाग्यपूर्ण' तरीके से निशाना बनाने की कोशिश कर रही है.' इस बीच, शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर सवाल किया, 'क्यों कुछ लोग और राजनीतिक दल स्वयं को कानून से ऊपर समझते हैं?'

लोकतंत्र में किसी को विशेष अधिकार नहीं
शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता ने कहा, 'केंद्रीय एजेंसियों ने महाराष्ट्र के कई मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों को राजनीतिक बदले की वजह से जांच के लिए समन किया और वे उन एजेंसियों के सामने पेश हुए....किसी को भी लोकतंत्र में विशेषाधिकार नहीं है. कानून के समक्ष सभी समान है. फिर यह नौटंकी क्यों ?'

कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही एमवीए सरकार
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल विरोधियों पर 'प्रचार मशीनरी' के तौर पर नहीं करती जैसा कि केंद्र करता है. जब उनसे सत्तारूढ़ और विरोधी दलों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हम केवल कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं. मैं इस पर और टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.' आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि भाजपा हताश है और इसलिए विभिन्न मुद्दों पर प्रदर्शन कर रही है.

एनसीपी नेताओं पर भी कार्रवाई
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने के आरोपों पर कहा, इसे अदालत में चुनौती दिए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख और नवाब मलिक (दोनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हैं) जेल में है और अबतक वे अदालत से जमानत हासिल नहीं कर सके हैं क्योंकि जांच एजेंसियों की कार्रवाई सबूतों पर आधारित है. उन्होंने कहा, 'अगर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग होता तो अदालत रोक देती जैसे हाल में अदालत ने आपकी (एमवीए) अनिल देशमुख, (बर्खास्त पुलिस अधिकारी) सचिन वाजे और यहां तक (मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त) परमबीर सिंह के संबंध में किया था.'

यह भी पढ़ें-

शिवसेना नहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ है लड़ाई
पाटिल ने 10 मार्च को भाजपा को चार राज्यों की विधानसभा चुनाव में मिली जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था 'स्वतंत्र एजेंसियों और अदालत पर आशंका करना लोकतंत्र के मूल के लिए नुकसानदेह है.' पाटिल ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार फडणवीस के खिलाफ कार्रवाई करने से घबराती है क्योंकि उसे पता है कि विरोध में लाखों लोग सड़कों पर उतर आएंगे. उन्होंने कहा, 'आप (एमवीए) डरते हैं, इसलिए आप उनके (फडणवीस) घर बयान दर्ज करने जा रहे हैं.' पाटिल ने कहा कि यह लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है, न कि शिवसेना के विरुद्ध.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र में फडणवीस को नोटिस भेजे जाने को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. बीजेपी के विरोध के बीच गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि विपक्ष इस मामले पर राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा, देवेंद्र फडणवीस को अब तक 5-6 नोटिस दिए जा चुके हैं. पाटिल ने कहा कि 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जबकि अब तक कुल 24 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में और भी दर्ज किए जाएंगे.

गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा, देवेंद्र फडणवीस को बुलाया नहीं गया, उन्हें सवालों का एक सेट भेजा गया था, जिसका उन्हें जवाब देना था. उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस की टीम फडणवीस के आवास पर गई क्योंकि उन्होंने ट्रांसफर पोस्टिंग मामले के संबंध में उन्हें भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए.

इसी बीच मुंबई स्थित बीकेसी साइबर पुलिस की टीम ने कथित अवैध फोन टैपिंग मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के घर रविवार को जाकर करीब दो घंटे तक बयान दर्ज किए. रविवार को पुलिस उपायुक्त हेमराज सिंह राजपूत के नेतृत्व में पुलिस की टीम दोपहार फडणवीस के बंगले 'सागर' पहुंची. इस टीम में सहायक पुलिस उपायुक्त नितिन जाधव और दो पुलिस निरीक्षक शामिल थे. अधिकारी ने बताया कि टीम ने फडणवीस के बंगले पर करीब दो घंटे तक उनका बयान दर्ज किया.

बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रश्मि शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) के प्रमुख पद पर रहते नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के फोन गैर कानूनी तरीके से टैप करवाए थे. गौरतलब है कि कथित रूप से फोन टैप करने और गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के मामले में पिछले साल बीकेसी (बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स) साइबर पुलिस थाने में सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में शिकायत राज्य खुफिया विभाग ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी दर्ज होने से पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने अपनी कथित जांच रिपोर्ट में कहा था कि शुक्ला ने गोपनीय रिपोर्ट लीक की है.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक पत्र का हवाला दिया था जिसे कथित तौर पर शुक्ला ने महाराष्ट्र के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पुलिस विभाग में होने वाले तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. कथित पत्र में फोन कॉल टैप की भी जानकारी दी गई थी जिसको लेकर विवाद पैदा हुआ और शिवसेना नीत सत्तारूढ़ गठबंधन ने आरोप लगाया कि शुक्ला ने बिना अनुमति फोन टैप करवाए. इसी प्रकरण में महाराष्ट्र पुलिस ने फडणवीस का बयान दर्ज किया है.

भ्रष्टाचार मामले में फडणवीस के समर्थन में बीजेपी नेता
फडणवीस के आवास पर पुलिस टीम के पहुंचने से उनके बंगले के बाहर सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई जहां पर विधायक नीतेश राणे, विधान परिषद के सदस्य(एमएलसी) प्रसाद लाड एवं प्रवीण दरेकर और पार्टी नेता कृपाशंकर सिंह सहित कई भाजपा नेता जमा हुए थे. भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा नोटिस जारी करने का पुणे, पंढरपुर (सोलापुर जिला), नागपुर, चंद्रपुर और सांगली सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध किया और फडणवीस को जारी नोटिस की प्रतियां जलाईं. भाजपा विधायक और पूर्व राज्यमंत्री आशीष शेलार ने रविवार को कहा, 'उन्हें बयान दर्ज करने दीजिए. सच को कभी छिपाया या हराया नहीं जा सकता.' उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, 'फडणवीस ने इस मामले में भ्रष्टचार को उजागर किया है. यह उम्मीद की जा रही थी कि जो भ्रष्टाचार के मामले में शामिल हैं या जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी जांच की जाएगी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार कहीं न कहीं विरोधियों पर दबाव बनाने के हथकंडे का इस्तेमाल कर रही है.' विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने भी शेलार का समर्थन किया.

शिवसेना का सवाल- कुछ लोग कानून से ऊपर क्यों ?
दरेकर ने एक अन्य समाचार चैनल से कहा, 'वह (फडणवीस) जनता के सामने (अधिकारियों के) स्थानांतरण में भ्रष्टाचार को लेकर आए...अब यह (राज्य) सरकार इन आरोपों का प्रतिकार लेने की कोशिश कर रही है.' उन्होंने दावा किया कि शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महा विकास अघाडी सरकार उस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से असहज स्थिति का सामना कर रही है और इसलिए फडणवीस को 'कमजोर' और 'दुर्भाग्यपूर्ण' तरीके से निशाना बनाने की कोशिश कर रही है.' इस बीच, शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर सवाल किया, 'क्यों कुछ लोग और राजनीतिक दल स्वयं को कानून से ऊपर समझते हैं?'

लोकतंत्र में किसी को विशेष अधिकार नहीं
शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता ने कहा, 'केंद्रीय एजेंसियों ने महाराष्ट्र के कई मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों को राजनीतिक बदले की वजह से जांच के लिए समन किया और वे उन एजेंसियों के सामने पेश हुए....किसी को भी लोकतंत्र में विशेषाधिकार नहीं है. कानून के समक्ष सभी समान है. फिर यह नौटंकी क्यों ?'

कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही एमवीए सरकार
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल विरोधियों पर 'प्रचार मशीनरी' के तौर पर नहीं करती जैसा कि केंद्र करता है. जब उनसे सत्तारूढ़ और विरोधी दलों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हम केवल कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं. मैं इस पर और टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.' आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि भाजपा हताश है और इसलिए विभिन्न मुद्दों पर प्रदर्शन कर रही है.

एनसीपी नेताओं पर भी कार्रवाई
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने के आरोपों पर कहा, इसे अदालत में चुनौती दिए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख और नवाब मलिक (दोनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हैं) जेल में है और अबतक वे अदालत से जमानत हासिल नहीं कर सके हैं क्योंकि जांच एजेंसियों की कार्रवाई सबूतों पर आधारित है. उन्होंने कहा, 'अगर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग होता तो अदालत रोक देती जैसे हाल में अदालत ने आपकी (एमवीए) अनिल देशमुख, (बर्खास्त पुलिस अधिकारी) सचिन वाजे और यहां तक (मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त) परमबीर सिंह के संबंध में किया था.'

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पाटिल ने 10 मार्च को भाजपा को चार राज्यों की विधानसभा चुनाव में मिली जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था 'स्वतंत्र एजेंसियों और अदालत पर आशंका करना लोकतंत्र के मूल के लिए नुकसानदेह है.' पाटिल ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार फडणवीस के खिलाफ कार्रवाई करने से घबराती है क्योंकि उसे पता है कि विरोध में लाखों लोग सड़कों पर उतर आएंगे. उन्होंने कहा, 'आप (एमवीए) डरते हैं, इसलिए आप उनके (फडणवीस) घर बयान दर्ज करने जा रहे हैं.' पाटिल ने कहा कि यह लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है, न कि शिवसेना के विरुद्ध.

(पीटीआई-भाषा)

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