श्योपुर। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक बार फिर बुरी खबर आई है. तीन चीतों की मौत के बाद मंगलवार को हाल ही जन्मे एक शावक ने जान गंवाई दी है. पीसीसी वाइल्ड लाइफ जसवीर सिंह ने पुष्टि की है. बता दें 24 मार्च को मादा ज्वाला चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था. जन्म के बाद से सभी शावक स्वस्थ थे. कुछ दिन पहले जांच में एक शावक बीमार मिला था. जिसकी देखभाल की जा रही थी, लेकिन मंगलवार को शावक ने दम तोड़ दिया. अब तीन शावक बचे हैं.
कब कब हुई चीतों की मौत: बता दें में कूनो में चीतों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हो गई थी. बताया गया कि दो चीतों को एक साथ बाड़े में छोड़ा गया था. जिसका मकसद कुनबे में बढ़ोत्तरी थी. मगर बाड़े में हो रही चीतों की लड़ाई में मादा चीता दक्षा की जान चली गई थी. इससे पहले एमपी में 2 चीते जिसमें उदय और साशा शामिल हैं. किडनी की बीमारी के चलते मौत का शिकार हुए. चीता उदय 23 अप्रैल को अस्त हो गया था. मेडिकल रिपोर्ट उसकी मौत की वजह किडनी का फेलियर बताया गया है. कूनो नेशनल पार्क में महज 3 महीने में ही 3 नामीबियाई चीते जान गंवा चुके हैं, वहीं आज एक शावक की मौत हो गई. चीतों और शावक की मौत से पूरा वन अमला सकते में है. मार्च, अप्रैल और अब मई में भी बुरी खबर आई है. अब तक एमपी में साउथ अफ्रीका और नामीबिया से कुल 20 चीते दो बार में आए हैं. अब 3 चीतों की मौत के साथ सिर्फ 17 चीते ही बचे हैं.
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सुप्रीम कोर्ट दे चुका है शिफ्टिंग की सलाह: वहीं कूनो में लगातार हो चीतों की मौत से राज्य सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं. चीतों की लगातार हो रही मौत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार को चीतों की शिफ्टिंग की सलाह दे चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को राजस्थान शिफ्ट करने की सलाह केंद्र सरकार को दी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है की सियासत से ऊपर उठकर चीतों को राजस्थान में शिफ्ट करने पर विचार किया जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के बयान पर चुप्पी साधे हुए एमपी वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि कूनो में चीतों पूरी तरह सुरक्षित हैं. वन मंत्री ने राजस्थान की जगह एमपी में कूनो के साथ-साथ नौरादेही, इंदिरा सागर के जंगलों में चीतों को शिफ्ट करने की बात कही थी. वहीं आज चीते के शावक की मौत से फिर मामला गरमा गया है.