नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बड़े पैमाने पर आफगान नागरिक देश छोड़ रहे हैं और दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं. इस बीच केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री व पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने की वकालत की है.
पुरी ने ट्वीट किया, हमारे अस्थिर पड़ोस में हाल के घटनाक्रम और जिस तरह से वहां के सिख व हिंदू कष्टदायक समय से गुजर रहे हैं, वह बताता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करना क्यों आवश्यक था.
गौरतलब है कि तलिबान द्वारा राजधानी काबुल की घेराबंदी के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बीते 15 अगस्त को देश छोड़ दिया था, जिसके बाद तालिबानी लड़ाकों ने राष्ट्रपति महल पर कब्जा कर लिया था.
काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से भारत, अमेरिका समेत तमाम देश अपने-अपने नागरिकों को निकालने के मिशन जुटे हैं. साथ ही तालिबान के डर से बड़े पैमाने पर अफगान नागरिक देश से भागने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर पहुंच रहे हैं. जिससे काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास अफरा-तफरी मची हुई. रविवार को अफरा-तफरी के बीच सात अफगान नागरिक मारे गए.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून
नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) को संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था. लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया है.
नागरिकता संशोधन कानून में पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को संरक्षण देने और उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. जबकि मुस्लिम शरणार्थियों को इससे अलग रखा गया है, जिसके कारण इस पर सवाल उठ रहे हैं और इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है.
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वर्तमान नागरिकता कानून के मुताबिक, दूसरे देश के किसी भी नागरिक को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना जरूरी है. नागरिकता संशोधन कानून के जरिए इस समय सीमा को पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए घटाकर छह साल किया जाना है.