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भूस्खलन से पहले अलर्ट करेगा Early Warning System, ऐसे करता है काम - Landslide Monitoring and Early Warning System

पहाड़ों पर भूस्खलन के कारण हर साल जान और माल का नुकसान होता है. इस नुकसान को कम करने के लिए किन्नौर जिले में दो जगह Landslide Monitoring and Early Warning System लगाए गए हैं. ये सिस्टम भूस्खलन से पहले ही अलर्ट कर देगा. इसस सिस्टम को आईआईटी मंडी (iit mandi) ने बनाया है. सेंसर से लैस ये सिस्टम मिट्टी और जमीन के नीचे होने वाली हलचल को भांपकर अलर्ट करता है, जिसके बाद सड़क पर लगे सायरन बज उठते हैं जिन्हें सुनकर सड़क से गुजरने वाले लोग या वाहन सावधान हो जाते हैं.

भूस्खलन
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Published : Apr 13, 2022, 8:02 PM IST

किन्नौर : हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन (Landslide in Himachal Pradesh) एक बड़ी चुनौती है, जिससे हर साल जान और माल का नुकसान होता है. हिमाचल के किन्नौर जिले में ऐसे सिस्टम लगाए गए हैं, जो पहले से भूस्खलन की जानकारी देंगे. इसे आईआईटी मंडी (IIT MANDI) ने बनाया है और इस डिवाइस या सिस्टम को 'भूस्खलन निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली' (Landslide Monitoring and Early Warning System) नाम दिया गया है.

कैसे काम करता है डिवाइस : इस डिवाइस को भूस्खलन वाले पहाड़ी क्षेत्रों में लगाया जाएगा. इसमें लगे सेंसर मिट्टी या जमीन में होने वाली हलचल को महसूस करेंगे और चेतावनी सिग्नल भेजेंगे. इस सिस्टम की मदद से सड़क पर लगे चेतावनी अलार्म बज उठेंगे, जिससे कि वहां से गुजर रहे लोगों और वाहनों को पहले से संकेत मिल जाएगा. कुल मिलाकर ये सिस्टम पहाड़ों पर भूस्खलन से पहले अलर्ट कर देगा.

अब किन्नौर में पहले से मिलेगी भूस्खलन की जानकारी

पहले से मिलेगी भूस्खलन की चेतावनी : ये सिस्टम स्थानीय प्रशासन को भी भूस्खलन के बारे में चेतावनी देगा, जिससे कि प्रशासन को जरूरी तैयारी करने का वक्त मिल जाएगा. इस सिस्टम में बारिश से लेकर दबाव व तापमान की जानकारी के लिए भी सेंसर लगे हैं. सिस्टम में लगे सेंसर सड़क पर लगे अलार्म को सिग्नल भेजेंगे, जिससे वो अलार्म बज उठेगा और सड़क पर चल रहे वाहन इस चेतावनी को सुनकर उस इलाके से दूर रहेंगे.

क्या कहता है प्रशासन : किन्नौर के जिला उपायुक्त ने कहा कि बारिश के मौसम में पहाड़ों पर भूस्खलन का खतरा लगातार बना रहता है, जिसमें कई लोग अपनी जान तक गंवा बैठते हैं. ऐसे में ये सिस्टम कारगर साबित हो सकता है. किन्नौर जिले में दो स्थानों पर ये अरली वार्निंग सिस्टम लगाया जा (early warning systems installed in kinnaur) चुका है, जबकि चार अन्य स्थानों पर लगना है. जिला उपायुक्त ने बताया कि कुछ घंटे या कुछ मिनट पहले भी भूस्खलन की जानकारी मिलती है तो बहुत कारगर साबित होगा.

हिमाचल के किन्नौर जिले में लगाए गए सिस्टम
हिमाचल के किन्नौर जिले में लगाए गए सिस्टम

पढ़ें : उत्तराखंड में ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे ब्लॉक, मलबा हटाने का काम जारी

कहां-कहां लगे हैं सिस्टम : भूस्खलन की जानकारी देने वाले ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव (Early Warning System in kinnaur) के पास लगाए गए हैं. जबकि जिले मलिंग नाला, पागल नाला, पंगाी नाला और उरणी ढांक के पास ये डिवाइस इनस्टॉल किए जाएंगे. इन इलाकों में मॉनसून के दौरान भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव में लगाए गए हैं
ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव में लगाए गए हैं

किन्नौर पर भूस्खलन की मार : मॉनसून में पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन होता है. किन्नौर में भूस्खलन (landslide in kinnaur) के कारण बीते सालों में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. पिछले साल निगुलसरी में भूस्खलन की चपेट में आने से 28 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि बटसेरी गांव में पहाड़ियों से गिरी बड़ी-बड़ी चट्टानों की चपेट में पर्यटकों के वाहन आ गए थे. जिसमें नौ पर्यटकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. ऐसे हादसों को देखते हुए Early warning system किसी बड़ी उम्मीद से कम नहीं है.

किन्नौर : हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन (Landslide in Himachal Pradesh) एक बड़ी चुनौती है, जिससे हर साल जान और माल का नुकसान होता है. हिमाचल के किन्नौर जिले में ऐसे सिस्टम लगाए गए हैं, जो पहले से भूस्खलन की जानकारी देंगे. इसे आईआईटी मंडी (IIT MANDI) ने बनाया है और इस डिवाइस या सिस्टम को 'भूस्खलन निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली' (Landslide Monitoring and Early Warning System) नाम दिया गया है.

कैसे काम करता है डिवाइस : इस डिवाइस को भूस्खलन वाले पहाड़ी क्षेत्रों में लगाया जाएगा. इसमें लगे सेंसर मिट्टी या जमीन में होने वाली हलचल को महसूस करेंगे और चेतावनी सिग्नल भेजेंगे. इस सिस्टम की मदद से सड़क पर लगे चेतावनी अलार्म बज उठेंगे, जिससे कि वहां से गुजर रहे लोगों और वाहनों को पहले से संकेत मिल जाएगा. कुल मिलाकर ये सिस्टम पहाड़ों पर भूस्खलन से पहले अलर्ट कर देगा.

अब किन्नौर में पहले से मिलेगी भूस्खलन की जानकारी

पहले से मिलेगी भूस्खलन की चेतावनी : ये सिस्टम स्थानीय प्रशासन को भी भूस्खलन के बारे में चेतावनी देगा, जिससे कि प्रशासन को जरूरी तैयारी करने का वक्त मिल जाएगा. इस सिस्टम में बारिश से लेकर दबाव व तापमान की जानकारी के लिए भी सेंसर लगे हैं. सिस्टम में लगे सेंसर सड़क पर लगे अलार्म को सिग्नल भेजेंगे, जिससे वो अलार्म बज उठेगा और सड़क पर चल रहे वाहन इस चेतावनी को सुनकर उस इलाके से दूर रहेंगे.

क्या कहता है प्रशासन : किन्नौर के जिला उपायुक्त ने कहा कि बारिश के मौसम में पहाड़ों पर भूस्खलन का खतरा लगातार बना रहता है, जिसमें कई लोग अपनी जान तक गंवा बैठते हैं. ऐसे में ये सिस्टम कारगर साबित हो सकता है. किन्नौर जिले में दो स्थानों पर ये अरली वार्निंग सिस्टम लगाया जा (early warning systems installed in kinnaur) चुका है, जबकि चार अन्य स्थानों पर लगना है. जिला उपायुक्त ने बताया कि कुछ घंटे या कुछ मिनट पहले भी भूस्खलन की जानकारी मिलती है तो बहुत कारगर साबित होगा.

हिमाचल के किन्नौर जिले में लगाए गए सिस्टम
हिमाचल के किन्नौर जिले में लगाए गए सिस्टम

पढ़ें : उत्तराखंड में ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे ब्लॉक, मलबा हटाने का काम जारी

कहां-कहां लगे हैं सिस्टम : भूस्खलन की जानकारी देने वाले ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव (Early Warning System in kinnaur) के पास लगाए गए हैं. जबकि जिले मलिंग नाला, पागल नाला, पंगाी नाला और उरणी ढांक के पास ये डिवाइस इनस्टॉल किए जाएंगे. इन इलाकों में मॉनसून के दौरान भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव में लगाए गए हैं
ये सिस्टम फिलहाल किन्नौर जिले के बटसेरी और निगुलसरी गांव में लगाए गए हैं

किन्नौर पर भूस्खलन की मार : मॉनसून में पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन होता है. किन्नौर में भूस्खलन (landslide in kinnaur) के कारण बीते सालों में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. पिछले साल निगुलसरी में भूस्खलन की चपेट में आने से 28 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि बटसेरी गांव में पहाड़ियों से गिरी बड़ी-बड़ी चट्टानों की चपेट में पर्यटकों के वाहन आ गए थे. जिसमें नौ पर्यटकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. ऐसे हादसों को देखते हुए Early warning system किसी बड़ी उम्मीद से कम नहीं है.

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