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Holi Festival : जानिए कब मनाई जाएगी होली, राशि के अनुसार किस रंग से होली खेलना होगा आपके लिए फायदेमंद - राशिफल के अनुसार गुलाल का रंग

होली का पर्व पास आ रहा है. ऐसे में हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक रहता है कि होली कब मनाई जाएगी और होलिका दहन कब होगा. इसे लेकर विद्वानों और ज्योतिष आचार्यों का क्या कहना है जानिए.

Holi Festival
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Published : Mar 1, 2023, 2:26 PM IST

Updated : Mar 1, 2023, 3:07 PM IST

वाराणसी: होली का पर्व नजदीक है और इस बार होली को लेकर काफी कंफ्यूजन की स्थिति है. क्योंकि कोई 7 तो कोई 8 मार्च को होली का पर्व मनाया जाने की बात कर रहा है. लेकिन, होलिका दहन के अगले दिन ही होली का मान्य होती है. यही वजह है कि इस बार होली कब मनाई जाएगी, इसे लेकर काशी के विद्वानों और ज्योतिष आचार्यों का एक ही मत है और वह है कि 6 मार्च को भद्रा का साया होने की वजह से देर रात के बाद होने वाले होलिका दहन के कारण होली का पर्व 7 मार्च को ही मनाया जाएगा. लेकिन, इसमें भी कुछ वजह और शर्तें क्या है, जानिए.

होली को लेकर क्या कहता है शास्त्रों धर्मसिंधु समेत अन्य सनातनी पंचांग

इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के वरिष्ठ विद्वान पंडित सुभाष पांडेय का स्पष्ट तौर पर कहना है कि भद्रा की वजह से इस बार होली का पर्व काशी में 7 मार्च और अन्यत्र यानी देश के अन्य हिस्सों में 8 मार्च को मनाया जाना श्रेयस्कर होगा. उनका कहना है कि काशी के लिए यह अलग इसलिए माना जाता है. क्योंकि, काशी में षष्ठी देवी का पूजन होलिका दहन के बाद किया जाता है और उसी दिन ही होली मनाने की परंपरा है और यही वजह है कि होलिका दहन 6 मार्च की रात्रि संपन्न होने के बाद देवी दर्शन के पश्चात 7 मार्च को ही होली का पर्व मनाया जाएगा, जबकि 8 मार्च को बाकी हिस्सों में होली मनाया जाना उचित होगा.

वहीं ज्योतिषाचार्य पंडित दैवज्ञ कृष्ण का कहना है कि होलिका दहन के दूसरे दिन ही होली मनाने की परंपरा है, चाहे पूर्णिमा हो या प्रतिपदा. ऐसे में सात मार्च को ही काशी की होली मनाई जाएगी. होली का रंगारंग त्योहार इस बार सात मार्च को वाराणसी में और 8 मार्च को पूरे देश भर में मनाया जाएगा. वाराणसी में होलिका दहन के दूसरे दिन चौसठ्ठी देवी की यात्रा की परंपरा होने के कारण होली का त्योहार सात को मनाया जाएगा, जबकि उदया तिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का मान 8 मार्च को होने के कारण काशी को छोड़कर देश भर में होली का त्योहार मनेगा.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च की शाम को 4:18 बजे से लगेगी और सात मार्च की शाम को 5:30 बजे समाप्त हो रही है. ऐसे में प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को ही किया जाएगा. पूर्णिमा के साथ भद्रा होने के कारण भद्रा के पुच्छकाल में होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि में 12:23 बजे से 1:35 बजे तक मिलेगा. पूर्णिमा सात मार्च को समाप्त होने के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शाम को शुरू हो रही है. लेकिन, होली उदया तिथि में मनाने का शास्त्रीय विधान है. ऐसे में आठ मार्च को होली मनाई जाएगी.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण के मुताबिक, 6 मार्च को होलिका दहन भद्रा निशीथ के बाद समाप्त हो रही हो तो भद्रा मुख को छोड़कर पहले ही दिन होलिका दहन कर लेना चाहिए. फाल्गुन पूर्णिमा पर दोनों ही दिन प्रदोष न हो तो पहले दिन भद्रा पुच्छ में होली जलानी चाहिए. इस साल 6 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन का महत्व होली के त्योहार पर फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि पर लकड़ियों और उपलों की होली बनाकर इसे जलाया जाता है. सभी भक्त इस दिन होलिका दहन से पहले होलिका का पूजन करते हैं. लोग होलिका दहन के समय परिक्रमा करते हुए होली में गेहूं की बालियां जलाते हैं और चने आदि भूनकर एक दूसरे को देते हुए होली की बधाई देते हैं. होली के अगले दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और होली मनाते हैं.

राशिफल के हिसाब से भी गुलाल का रंग

मेष और वृश्चिक: लाल, केसरिया, सिन्दूरी रंग गुलाल.
वृष व तुला : सफेदा चमकीला गुलाल.
मिथुन व कन्या: हरे अबीर गुलाल.
कर्क : श्वेत चूर्ण गुलाल हल्का चमकीला.
सिंह : लाल केशरी गुलाल.
धनु व मीन : पीला रंग का गुलाल
मकर एवं कुंभ राशि : काला नीला एवं भूरा ग़ुलाल.

जन्म राशि के अनुसार रंगों का निर्धारण

मेष: लाल रंग से होली खेलना लाभकारी होगा. मेष राशि के स्वामी मंगल हैं और मंगल के शत्रु शनि माने जाते हैं. इसलिए मेष राशि वालों को होली खेलते समय काले और नीले रंग से दूर रहना चाहिए.

वृष: वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं और शुक्र एक चमकीला ग्रह है. इसलिए वृष राशि वालों को सफेद रंग से होली खेलनी चाहिए.

मिथुन: मिथुन राशि के स्वामी बुध माने जाते हैं, इसलिए बुध ग्रह वालों को हरे रंग से होली खेलनी चाहिए.

कर्क: कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं, जो जल के प्रतीक भी माने जाते हैं. कर्क राशि वालों को होली खेलते समय पानी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए.

सिंह: सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं और सूर्य की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सिंह राशि वालों को लाल, गुलाबी, नारंगी जैसे रंगों से होली खेलनी चाहिए. काले, नीले रंग से सिंह राशि वालों को दूर रहना चाहिए.

कन्या: कन्या राशि के स्वामी बुध हैं. कन्या राशि वालों के लिए भी हरे रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

तुला: तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं. तुला राशि वालों को सफेदा का इस्तेमाल करने के बाद होली खेलना चाहिए.

वृश्चिक: वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. मंगल राशि वालों के लिए लाल रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

धनु: धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं. धनु राशि वालों के लिए पीले रंग, केसर के रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

मकर: मकर राशि के स्वामी शनि हैं. शनिदेव को खुश करने के लिए मकर राशि वालों को काले और नीले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

कुंभ: कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं. कुंभ राशि वालों को और काले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

मीन: मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं. मीन राशि वालों को प्राकृतिक रंगों के साथ पीले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

वाराणसी: होली का पर्व नजदीक है और इस बार होली को लेकर काफी कंफ्यूजन की स्थिति है. क्योंकि कोई 7 तो कोई 8 मार्च को होली का पर्व मनाया जाने की बात कर रहा है. लेकिन, होलिका दहन के अगले दिन ही होली का मान्य होती है. यही वजह है कि इस बार होली कब मनाई जाएगी, इसे लेकर काशी के विद्वानों और ज्योतिष आचार्यों का एक ही मत है और वह है कि 6 मार्च को भद्रा का साया होने की वजह से देर रात के बाद होने वाले होलिका दहन के कारण होली का पर्व 7 मार्च को ही मनाया जाएगा. लेकिन, इसमें भी कुछ वजह और शर्तें क्या है, जानिए.

होली को लेकर क्या कहता है शास्त्रों धर्मसिंधु समेत अन्य सनातनी पंचांग

इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के वरिष्ठ विद्वान पंडित सुभाष पांडेय का स्पष्ट तौर पर कहना है कि भद्रा की वजह से इस बार होली का पर्व काशी में 7 मार्च और अन्यत्र यानी देश के अन्य हिस्सों में 8 मार्च को मनाया जाना श्रेयस्कर होगा. उनका कहना है कि काशी के लिए यह अलग इसलिए माना जाता है. क्योंकि, काशी में षष्ठी देवी का पूजन होलिका दहन के बाद किया जाता है और उसी दिन ही होली मनाने की परंपरा है और यही वजह है कि होलिका दहन 6 मार्च की रात्रि संपन्न होने के बाद देवी दर्शन के पश्चात 7 मार्च को ही होली का पर्व मनाया जाएगा, जबकि 8 मार्च को बाकी हिस्सों में होली मनाया जाना उचित होगा.

वहीं ज्योतिषाचार्य पंडित दैवज्ञ कृष्ण का कहना है कि होलिका दहन के दूसरे दिन ही होली मनाने की परंपरा है, चाहे पूर्णिमा हो या प्रतिपदा. ऐसे में सात मार्च को ही काशी की होली मनाई जाएगी. होली का रंगारंग त्योहार इस बार सात मार्च को वाराणसी में और 8 मार्च को पूरे देश भर में मनाया जाएगा. वाराणसी में होलिका दहन के दूसरे दिन चौसठ्ठी देवी की यात्रा की परंपरा होने के कारण होली का त्योहार सात को मनाया जाएगा, जबकि उदया तिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का मान 8 मार्च को होने के कारण काशी को छोड़कर देश भर में होली का त्योहार मनेगा.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च की शाम को 4:18 बजे से लगेगी और सात मार्च की शाम को 5:30 बजे समाप्त हो रही है. ऐसे में प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को ही किया जाएगा. पूर्णिमा के साथ भद्रा होने के कारण भद्रा के पुच्छकाल में होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि में 12:23 बजे से 1:35 बजे तक मिलेगा. पूर्णिमा सात मार्च को समाप्त होने के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शाम को शुरू हो रही है. लेकिन, होली उदया तिथि में मनाने का शास्त्रीय विधान है. ऐसे में आठ मार्च को होली मनाई जाएगी.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण के मुताबिक, 6 मार्च को होलिका दहन भद्रा निशीथ के बाद समाप्त हो रही हो तो भद्रा मुख को छोड़कर पहले ही दिन होलिका दहन कर लेना चाहिए. फाल्गुन पूर्णिमा पर दोनों ही दिन प्रदोष न हो तो पहले दिन भद्रा पुच्छ में होली जलानी चाहिए. इस साल 6 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन का महत्व होली के त्योहार पर फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि पर लकड़ियों और उपलों की होली बनाकर इसे जलाया जाता है. सभी भक्त इस दिन होलिका दहन से पहले होलिका का पूजन करते हैं. लोग होलिका दहन के समय परिक्रमा करते हुए होली में गेहूं की बालियां जलाते हैं और चने आदि भूनकर एक दूसरे को देते हुए होली की बधाई देते हैं. होली के अगले दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और होली मनाते हैं.

राशिफल के हिसाब से भी गुलाल का रंग

मेष और वृश्चिक: लाल, केसरिया, सिन्दूरी रंग गुलाल.
वृष व तुला : सफेदा चमकीला गुलाल.
मिथुन व कन्या: हरे अबीर गुलाल.
कर्क : श्वेत चूर्ण गुलाल हल्का चमकीला.
सिंह : लाल केशरी गुलाल.
धनु व मीन : पीला रंग का गुलाल
मकर एवं कुंभ राशि : काला नीला एवं भूरा ग़ुलाल.

जन्म राशि के अनुसार रंगों का निर्धारण

मेष: लाल रंग से होली खेलना लाभकारी होगा. मेष राशि के स्वामी मंगल हैं और मंगल के शत्रु शनि माने जाते हैं. इसलिए मेष राशि वालों को होली खेलते समय काले और नीले रंग से दूर रहना चाहिए.

वृष: वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं और शुक्र एक चमकीला ग्रह है. इसलिए वृष राशि वालों को सफेद रंग से होली खेलनी चाहिए.

मिथुन: मिथुन राशि के स्वामी बुध माने जाते हैं, इसलिए बुध ग्रह वालों को हरे रंग से होली खेलनी चाहिए.

कर्क: कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं, जो जल के प्रतीक भी माने जाते हैं. कर्क राशि वालों को होली खेलते समय पानी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए.

सिंह: सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं और सूर्य की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सिंह राशि वालों को लाल, गुलाबी, नारंगी जैसे रंगों से होली खेलनी चाहिए. काले, नीले रंग से सिंह राशि वालों को दूर रहना चाहिए.

कन्या: कन्या राशि के स्वामी बुध हैं. कन्या राशि वालों के लिए भी हरे रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

तुला: तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं. तुला राशि वालों को सफेदा का इस्तेमाल करने के बाद होली खेलना चाहिए.

वृश्चिक: वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. मंगल राशि वालों के लिए लाल रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

धनु: धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं. धनु राशि वालों के लिए पीले रंग, केसर के रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

मकर: मकर राशि के स्वामी शनि हैं. शनिदेव को खुश करने के लिए मकर राशि वालों को काले और नीले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

कुंभ: कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं. कुंभ राशि वालों को और काले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

मीन: मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं. मीन राशि वालों को प्राकृतिक रंगों के साथ पीले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा.

Last Updated : Mar 1, 2023, 3:07 PM IST
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