मुंबई: कर्नाटक में हिजाब को लेकर हो रहे विरोध के बीच महाराष्ट्र में भी इसका असर देखने को मिला. मालेगांव में हिजाब दिवस मनाने के एलान के कारण सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही.
बीड में हिजाब विवाद अब सियासी रंग लेता जा रहा है. यहां बशीरगंज चौक पर हिजाब के समर्थन में एक पोस्टर लगाया गया था. इस पोस्टर को 'पहले हिजाब फिर किताब' थीम के साथ लगाया गया था. मुंबई मुंबई के नागपाड़ा में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. विधायक रईस शेख ने कहा कि संविधान हर धर्म के व्यक्तियों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है. मुस्लिम महिलाओं के इस संवैधानिक अधिकार को कोई नहीं छीन सकता.
सोलापुर में मुस्लिम महिलाओं ने 'एक नारी सब पर भारी' का एलान करते हुए कलेक्टर कार्यालय तक मार्च निकाला. सोलापुर में एआईएमआईएम पार्टी की ओर से बड़ी संख्या में महिलाओं ने मार्च निकाला. उन्होंने कर्नाटक सरकार का विरोध करते हुए कहा कि चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो या बाजार हो, उन्हें बुर्का और हिजाब पहनना है.
औरंगाबाद में भी प्रदर्शन
हिजाब के समर्थन में जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया. आंदोलनकारी महिलाओं ने चेतावनी दी कि सरकार को मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, अन्यथा सरकार को परिणाम भुगतने होंगे. पुणे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने महात्मा फुले वाडिया (Mahatma Phule Wadya) में जोरदार प्रदर्शन किया. एनसीपी कार्यकर्ताओं के साथ मुस्लिम महिलाएं भी आंदोलन में शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि हम क्या पहनते हैं या क्या खाते हैं, यह कोई तय नहीं कर सकता. प्रदर्शनकारियों ने भाजपा सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाया है.
हिजाब समर्थक मुस्लिम महिलाओं ने जालना में जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया. विरोध करने वाली महिलाओं ने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, जिसके अनुसार हम या हमारी बेटियां हिजाब पहनती हैं. महिलाओं ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ 'पहले हिजाब, फिर किताब' के नारे भी लगाए. अमरावती में कई युवतियां हिजाब पहनकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचीं. युवतियों ने मांग की कि हिजाब की राजनीति कर समाज में दरार पैदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
क्या है विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद की कई घटनाएं सामने आई हैं. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. कुछ हिंदू छात्र हिजाब के जवाब में भगवा शॉल पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं. यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था. यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए.
पढ़ें- हिजाब विवाद ने पकड़ा तूल, देश भर में सामने आ रही विरोध की घटनाएं
कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने के विवाद ने राज्य के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने इसे एक 'राजनीतिक' कदम करार दिया और पूछा कि क्या शिक्षण संस्थान धार्मिक केंद्रों में बदल गए हैं. हाई कोर्ट अब सोमवार को इसपर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई.