भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हवन के दौरान बावड़ी में कई लोगों के मृत व घायल होने की घटना बहुत दुखद है. इससे दुखद और कोई खबर नहीं हो सकती. हम सभी की जिम्मेदारी है कि रेस्क्यू में बाधा न पहुंचाएं. उन्होंने कहा कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए. आखिर ये हादसा हुआ कैसे? बावड़ी के ऊपर स्लैब डालने की परमिशन किसने दी? वहीं कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी सरकार से पूछा कि भीड़ इतनी ज्यादा थी तो सरकार ने वहां इंतज़ाम क्यों नहीं किए. हादसे के लिए जिम्मेदारों पर सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करती.
क्या मुआवजे से भरेंगे जख्म : बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं. इससे पहले ये भीषण हादसा हो गया. इससे राज्य सरकार की मशीनरी परेशान है. हादसे के तुरंत बाद सीएम शिवराज सिंह ने बिना देर किए इस मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से बात की. मृतकों के परिजनो को 5 लाख रुपए और घायलों को 50 हज़ार की मदद की घोषणा की तो पीएम की तरफ से भी पीड़ित परिजनों को 2-2 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की गई है. सवाल ये उठता है कि क्या मुआवजा से पीड़ित परिजनों की क्षतिपूर्ति हो सकेगी. इसकी क्या गारंटी है कि भविष्य में ऐसे दुखद हादसे न हों. सवाल ये भी उठता है कि हादसे के बाद ही सरकार क्यों जागती है.
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इससे पहले हादसों की जांच का ये हश्र : मध्यप्रदेश में इससे पहले हुए हादसों की जांच का अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. 2013 में रतनगढ़ मंदिर पर पुल टूटने से भगदड़ मची थी. इस हादसे में 109 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में न्यायिक जांच आयोग अभी तक रिपोर्ट नहीं दे सका. 2015 में भिंड में गोली चलाने की घटना की अभी तक रिपोर्ट पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला. इसके अलावा 2015 में पेटलावद विस्फोट में 78 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन अभी तक मामला लंबित है. जांच आयोग बना लेकिन कुछ नहीं कर पाया. पिछले 15 सालों में बड़े हादसों पर सरकार ने जांच कराई. न्यायिक जांच आयोग भी बनाए गए. करोड़ो खर्च हुए. लेकिन किसी मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.