श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में हुई मुठभेड़ के मामले में बुधवार को कहा गया था इसकी जांच रिपोर्ट समीक्षा के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेजी जाएगी. इसी क्रम में जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मुठभेड़ के संबंध में कुछ अहम दस्तावेज और वीडियो को सार्वजनिक किया है. मामले में मारे गए लोगों के परिजनों ने पुलिस जांच को निराधार बताया है.
इस बारे में एसआईटी के प्रभारी और मध्य कश्मीर के डीआईजी सुजीत कुमार (SIT in-charge DIG (Central) Sujit Kumar Singh) ने जांच का विस्तृत ब्योरा देते हुए दावा किया कि ऐसा लगता है कि डॉ. मुदासिर गुल की हत्या विदेशी आतंकवादी बिलाल भाई उर्फ माज उर्फ सकलैन ने की थी.
उन्होंने कहा कि अल्ताफ भट को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया था और गोलीबारी के दौरान स्थानीय आतंकवादी अमीर माग्रे के साथ मारा गया था. हालांकि आतंकवादी बिलाल को बाद में सुरक्षा बलाें ने उस समय मार गिराया था जब वो मुठभेड़ स्थल से भागने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए लोगों के शरीर पर कोई यातना के निशान नहीं पाए गए. हालांकि गोली के घाव के अलावा कुछ अन्य चोट के निशान थे जो उनके सीढ़ियों से गिरने की वजह से हो सकते हैं.
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पुलिस ने पत्रकारों को एसआईटी जांच का प्रेजेंटेशन दिखाते हुए दावा किया कि बरजुल्ला निवासी मोहम्मद अल्ताफ भट और रावलपोरा निवासी डॉ. मुदासिर गुल बिना किसी पुलिस की मदद के इमारत में गए. इससे ऐसा लगता है कि वे आश्वस्त थे कि इमारत में कुछ भी असामान्य या संदिग्ध गतिविधि नहीं हो रही थी. हालांकि, कुछ चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि विदेशी आतंकवादी (बिलाल) को डॉ गुल और माग्रे के साथ देखा गया था, जो डॉ गुल का कर्मचारी था. सीडीआर रिपोर्ट भी यही खुलासा करती है.
भट के बड़े भाई अब्दुल मजीद भट (Abdul Majeed Bhat) ने ईटीवी भारत को बताया कि पुलिस जांच निराधार है. उन्होंने कहा कि मेरे भाई (अल्ताफ) के शरीर पर यातना के निशान थे. पुलिस का कहना है कि एक विदेशी आतंकवादी (बिलाल) ने मेरे भाई को मार डाला. उसे मानव ढाल के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, सुरक्षा बलों के 2,000 जवानों की मौजूदगी में मौके पर? वे वहां क्या कर रहे थे? उन्होंने कहा कि कि हम पुलिस जांच से सहमत नहीं हैं. यह एक काल्पनिक कथा प्रतीत होती है, हम भगवान से न्याय की उम्मीद करते हैं लेकिन मैं मामले में दिलचस्पी लेने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को धन्यवाद देना चाहता हूं. पुलिस का दावा है कि वे हमारे रक्षक हैं, फिर वे इस तरह के झूठे दावे क्यों कर रहे हैं.
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वहीं डॉ. गुल की पत्नी हुमैरा ने भी पुलिस जांच को गलत बताया और कहा कि जो उस दिन मारे गए थे, वे ही जानते हैं कि वहां क्या हुआ था. उन्होंने कहा कि मेरे पति पेशे से एक डॉक्टर थे और उन्होंने बिना किसी कारण के अपने परिवार को क्यों दांव पर लगाया. उनका चरित्र एक खुली किताब है और इसे उनके दोस्तों और मेरे द्वारा सत्यापित किया जा सकता है. मैं उनकी पत्नी होने के नाते जानती हूं कि मेरे पति किस तरह के आदमी थे.
उन्होंने कहा कि अगर एक गवाह ने पुलिस को बताया कि मेरा पति एक विदेशी आतंकवादी के संपर्क में था और उसे अपनी कार में घुमाता था, तो पुलिस को हमारे साथ सबूत (सीसीटीवी) साझा करना चाहिए ... ताकि भ्रम को दूर किया जा सके. दिलचस्प बात यह है कि हैदरपोरा मुठभेड़ 15 नवंबर को हुई थी जिसमें एक विदेशी आतंकवादी बिलाल भाई समेत चार लोग मारे गए थे. भट और डॉ गुल के शव तीन दिन बाद हंदवाड़ा कब्रिस्तान से निकाले जाने के बाद उनके परिवारों को सौंप दिए गए थे.