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20,000 साल से भी पहले फैला था कोरोना का प्रकोप! जानें क्या कहता है DNA - East Asia coronavirus

ताजा अध्ययन में पता चला है कि 20,000 साल से भी पहले पूर्वी एशिया में कोरोना वायरस महामारी फैली हो सकती है. इस शोध में इस क्षेत्र में आधुनिक आबादी में 42 जीन में वायरस के कोरोना वायरस परिवार के आनुवंशिक अनुकूलन के प्रमाण मिले हैं.

कोरोना का प्रकोप
कोरोना का प्रकोप
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Published : Jun 29, 2021, 11:08 AM IST

Updated : Jun 29, 2021, 12:58 PM IST

हैदराबाद : अध्ययन में दावा किया गया है कि 20,000 साल से अधिक समय पहले पूर्वी एशिया ने एक कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना किया होगा, जिसके निशान आधुनिक चीन, जापान और वियतनाम के लोगों के डीएनए में हो सकते हैं.

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोध में इन क्षेत्रों में आधुनिक आबादी में 42 जीन में वायरस के कोरोना वायरस परिवार के आनुवंशिक अनुकूलन के प्रमाण मिले हैं.

यह शोध करंट बायोलॉजी (Current Biology) में प्रकाशित हुआ है.

कोरोना वायरस SARS-CoV-2 के चलते होने वाली कोविड-19 महामारी के कारण अब तक दुनिया भर में 3.8 मिलियन से अधिक मौतें और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हो चुका है.

कोरोना वायरस परिवार में MERS और SARS वायरस भी शामिल हैं, दोनों के कारण पिछले 20 वर्षों में घातक महामारी फैली है.

मानव इतिहास जितनी पुरानी महामारी!
दुनिया पहले भी महामारी झेल चुकी है. सिर्फ 20वीं शताब्दी में, इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन स्वरूपों में से प्रत्येक के कारण व्यापक प्रकोप हुए और लाखों लोगों की जान गई. इनमें 'स्पैनिश फ्लू' (1918-20), 'एशियन फ्लू' (1957-58) और 'हांगकांग फ्लू' (1968-69) शामिल हैं.

अफ्रीका से दुनिया भर में हुए प्राचीन प्रवासों ने हमारे पूर्वजों को नए रोगजनकों (pathogens) से परिचित कराया होगा.

कई अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों की तरह, इन प्राचीन वायरल संघर्षों (ancient viral encounters) ने अनुकूलन को बढ़ाया, जिससे हमारे पूर्वजों को जीवित रहने में मदद मिली.

इन अनुकूलन (adaptation) में शारीरिक या प्रतिरक्षात्मक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं, जिसने संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में सुधार किया या बीमारी के स्वास्थ्य प्रभावों को कम किया.

प्राचीन कोरोना वायरस के निशान
अध्ययन में दुनिया भर के 26 अलग-अलग जगहों के 2,500 से अधिक निवासियों के जीनोम के लिए अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विश्लेषण लागू किया गया. इसमें 42 विभिन्न मानव जीन में अनुकूलन के संकेत मिले, जो वायरल इंटरेक्टिंग प्रोटीन (वीआईपी) को एन्कोड करता है.

ये वीआईपी सिग्नल केवल पांच जगहों के निवासियों में मौजूद थे, ये सभी पूर्वी एशिया से थे, जो कोरोना वायरस परिवार की संभावित पैतृक मातृभूमि हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- 12-18 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल पूरा, जानें कब से टीकाकरण

इससे पता चलता है कि आधुनिक पूर्वी एशियाई लोगों के पूर्वजों ने लगभग 25,000 साल पहले ही कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना किया था. आगे के परीक्षण से पता चला कि 42 वीआईपी मुख्य रूप से फेफड़ों में व्यक्त किए जाते हैं, जो कि कोविड-19 लक्षणों से सबसे अधिक प्रभावित ऊतक है.

अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि ये वीआईपी मौजूदा महामारी के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस से सीधे तौर पर जुड़े हैं.

हैदराबाद : अध्ययन में दावा किया गया है कि 20,000 साल से अधिक समय पहले पूर्वी एशिया ने एक कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना किया होगा, जिसके निशान आधुनिक चीन, जापान और वियतनाम के लोगों के डीएनए में हो सकते हैं.

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोध में इन क्षेत्रों में आधुनिक आबादी में 42 जीन में वायरस के कोरोना वायरस परिवार के आनुवंशिक अनुकूलन के प्रमाण मिले हैं.

यह शोध करंट बायोलॉजी (Current Biology) में प्रकाशित हुआ है.

कोरोना वायरस SARS-CoV-2 के चलते होने वाली कोविड-19 महामारी के कारण अब तक दुनिया भर में 3.8 मिलियन से अधिक मौतें और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हो चुका है.

कोरोना वायरस परिवार में MERS और SARS वायरस भी शामिल हैं, दोनों के कारण पिछले 20 वर्षों में घातक महामारी फैली है.

मानव इतिहास जितनी पुरानी महामारी!
दुनिया पहले भी महामारी झेल चुकी है. सिर्फ 20वीं शताब्दी में, इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन स्वरूपों में से प्रत्येक के कारण व्यापक प्रकोप हुए और लाखों लोगों की जान गई. इनमें 'स्पैनिश फ्लू' (1918-20), 'एशियन फ्लू' (1957-58) और 'हांगकांग फ्लू' (1968-69) शामिल हैं.

अफ्रीका से दुनिया भर में हुए प्राचीन प्रवासों ने हमारे पूर्वजों को नए रोगजनकों (pathogens) से परिचित कराया होगा.

कई अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों की तरह, इन प्राचीन वायरल संघर्षों (ancient viral encounters) ने अनुकूलन को बढ़ाया, जिससे हमारे पूर्वजों को जीवित रहने में मदद मिली.

इन अनुकूलन (adaptation) में शारीरिक या प्रतिरक्षात्मक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं, जिसने संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में सुधार किया या बीमारी के स्वास्थ्य प्रभावों को कम किया.

प्राचीन कोरोना वायरस के निशान
अध्ययन में दुनिया भर के 26 अलग-अलग जगहों के 2,500 से अधिक निवासियों के जीनोम के लिए अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विश्लेषण लागू किया गया. इसमें 42 विभिन्न मानव जीन में अनुकूलन के संकेत मिले, जो वायरल इंटरेक्टिंग प्रोटीन (वीआईपी) को एन्कोड करता है.

ये वीआईपी सिग्नल केवल पांच जगहों के निवासियों में मौजूद थे, ये सभी पूर्वी एशिया से थे, जो कोरोना वायरस परिवार की संभावित पैतृक मातृभूमि हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- 12-18 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल पूरा, जानें कब से टीकाकरण

इससे पता चलता है कि आधुनिक पूर्वी एशियाई लोगों के पूर्वजों ने लगभग 25,000 साल पहले ही कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना किया था. आगे के परीक्षण से पता चला कि 42 वीआईपी मुख्य रूप से फेफड़ों में व्यक्त किए जाते हैं, जो कि कोविड-19 लक्षणों से सबसे अधिक प्रभावित ऊतक है.

अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि ये वीआईपी मौजूदा महामारी के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस से सीधे तौर पर जुड़े हैं.

Last Updated : Jun 29, 2021, 12:58 PM IST
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