श्रीगंगानगर : कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का चल रहा आंदोलन (Farmers protest Sriganganagar) शुक्रवार को उग्र हो गया. धरना दे रहे किसानों ने बीजेपी अनुसूचित जाति के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश मेघवाल के कपड़े फाड़ दिए. जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग करते हुए भीड़ को तितर-बितर कर दिया.
आपको बता दें कि किसान महाराजा गंगासिंह चौक पर धरना दे रहे थे. उसी दौरान अनुसूचित जाति के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश मेघवाल वहां से गुजर रहे थे. किसानों ने भाजपा नेता को पहले तो काले झंडे दिखाए और फिर उनका घेराव किया. भीड़ में कुछ किसान आक्रोशित हो गए और कैलाश मेघवाल का कुर्ता फाड़ दिया.
घटना के बाद पुलिस ने किसानों पर हल्का बल प्रयोग करते हुए उन्हें तितर-बितर कर मौके से खदेड़ दिया. जिसके बाद गंगा सिंह चौक पर चल रहा किसानों का धरना समाप्त हो गया. फिलहाल, पुलिस ने किसानों को धरना स्थल से हटा दिया है.
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वहीं घटनाक्रम के बाद कैलाश मेघवाल भारतीय जनता पार्टी की चल रही सभा में पहुंचे और वहां पर पुलिस प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए बोले कि पुलिस के इशारे पर पूरी घटना हुई है. वहीं, कैलाश मेघवाल का कुर्ता फटने के बाद पुलिस ने उन्हें घेरे में लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. पुलिस ने किसानों की सभा को बंद करवा दिया.
दरअसल भाजपा ने किसानों की सिंचाई पानी की मांग व राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर धरना आयोजित किया था. वहीं केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इलाके में भाजपा के किसी भी कार्यक्रम का विरोध करने की घोषणा कर रखी है.
भाजपा के कार्यक्रम में मौजूद रहे उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट किया, 'राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है. श्रीगंगानगर में भाजपा का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था, लेकिन इसके बावजूद पुलिस प्रशासन की नाकामी का आलम यह रहा कि असामाजिक तत्वों ने दलित नेता कैलाश मेघवाल पर जानलेवा हमला कर दिया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही.'
उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार भाजपा के जनप्रतिनिधियों के साथ हो रही ऐसी घटनाओं की रोकथाम सुनिश्चित करें एवं दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करें.'
वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने एक बयान में कहा कि मेघवाल के साथ हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है, लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है.
किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक अमराराम ने बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया, 'किसानों के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करोगे तो किसान स्वागत तो करेगा नहीं.'