नई दिल्ली: सेना मुख्यालय ने अपने सभी कमांडों को लाइन ऑफ ड्यूटी (Line Of Duty) में वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिकों के लिए 'शहीद' (Martyrs) शब्द के गलत इस्तेमाल पर एक पत्र जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि 'शहीद' (Martyrs) शब्द का इस्तेमाल उचित नहीं है. दो फरवरी के पत्र में कहा गया है कि शहीद एक ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है जो किसी धर्म को त्यागने से इनकार करने के लिए दंड के रूप में मृत्यु (Death As A Penalty) का सामना करता है या एक व्यक्ति जो अपकी धार्मिक या राजनीतिक मान्यताओं (Religious Or Political Beliefs) के कारण मारा जाता है.
पत्र में कहा गया है कि भारतीय सेना के जवानों को शहीद कहना उचित नहीं होगा. पत्र के अनुसार वर्षों से, सशस्त्र बलों और मीडिया सर्वोच्च बलिदान (Supreme Sacrifice) देने वाले सैनिकों का वर्णन 'शहीद' के रूप में करते रहे हैं. जो सही नहीं है. पत्र में छह शब्द सूचीबद्ध हैं जिनका उपयोग 'सर्वोच्च बलिदान' देने वाले सैनिकों के लिए किया जा सकता है. पत्र में आगे कहा गया है कि भारतीय सेना के सैनिकों, जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करते हुए 'सर्वोच्च बलिदान' दिया है, की स्मृति और गरिमा को बनाए रखने के लिए यह अनुरोध किया जाता है कि निम्नलिखित शब्दों में से कोई एक संदर्भ के अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है.
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सुझाए गए छह शब्द हैं: कार्रवाई में मारे गए (Killed In Action), अपने प्राणों की आहुति दी (Laid Down Their Lives), राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान (Supreme Sacrifice For The Nation), शहीद हुए वीर (Fallen Heroes), भारतीय सेना के बहादुर (Indian Army Braves) और शहीद हुए सैनिक (Fallen Soldiers). हाल के वर्षों में ड्यूटी के दौरान 'सर्वोच्च बलिदान' देने वाले सैनिकों को 'शहीद' कहने का चलन बढ़ा है. वर्षों से, रक्षा और गृह मंत्रालय दोनों ने कई मौकों पर दोहराया है कि 'शहीद' शब्द का कोई आधिकारिक उपयोग नहीं है.
उदाहरण के लिए, 22 दिसंबर, 2015 को गृह मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि 'शहीद' शब्द का इस्तेमाल भारतीय सशस्त्र बलों में किसी भी हताहत के संदर्भ में नहीं किया गया है. तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लिखित में जवाब दिया था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स (एआर) के जवानों के संदर्भ में या किसी ऑपरेशन में मारे गए किसी भी जवान के लिए 'शहीद' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हाल ही में गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में इसे दोहराया भी था.