आजमगढ़ : मशहूर फिल्म अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी (Shabana Azmi) ने खास बातचीत में अपने पिता और उर्दू कवि कैफ़ी आज़मी के बारे में खुलकर बात की. साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिय़ा.
शबाना ने कहा, 'कैफी महान कम्युनिस्ट विचारधारा का पालन करते थे. इससे भी बढ़कर मुझे लगता है कि कैफ़ी आज़मी की विचारधारा मानवता की विचारधारा थी.' उन्होंने कहा कि उनके पिता ने गरीबी के खिलाफ, महिलाओं के मुद्दों और सांप्रदायिक ताकतों पर कविता लिखी.
शबाना ने बताया कि कैफी आज़मी को अपने गृहनगर मिजवां की काफी चिंता थी. उन्होंने अपने गांव की दुर्दशा को देखते हुए और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए मिजवां वेलफेयर सोसाइटी की स्थापना की और इसके तत्वावधान में काफी विकास कार्य किए.
शबाना ने पैतृक गांव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां और पहचान दिलाने के लिए अपने पिता के प्रयासों को श्रेय दिया. दिग्गज अभिनेत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां लोग कई सदियों से एक साथ रह रहे हैं. उन्होंने कहा, भारत एक ऐसा देश है जहां महिलाओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया है. साथ ही उन्होंने कहा, लड़कियों की छवि को हर स्तर पर बदलने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, जब हम लड़कियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाएंगे, तो बदलाव अपने आप आ जाएगा. शबाना आज़मी ने खेद व्यक्त किया कि वर्तमान समय में भी महिलाओं को उनकी पसंद की पोशाक और उनके घरों में या बाहर रहने के समय के आधार पर आंका जाता है. उन्होंने कहा कि इस मानसिकता को बदलना आवश्यक है.
आजमगढ़ को लेकर कही ये बात
शबाना ने कहा कि कुछ वर्षों से कुछ लोग आजमगढ़ का नाम खराब करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि आजमगढ़ एक ऐतिहासिक शहर रहा है. आजमगढ़ ने 1857 की आजादी की लड़ाई लड़ी. यहां कैफ़ी आज़मी, शिबली नोमानी, राहुल सांकृत्यायन जैसे लोग पैदा हुए जिन्होंने अपने देश के लिए बहुत कुछ किया है.
पढ़ें- शबाना आजमी के पैरेंट्स को पसंद नहीं थे शादीशुदा जावेद अख्तर, इन बातों ने जीता दिल