हैदराबाद: ऐसा कहा जाता है कि समय सब भूला देता है, लेकिन ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई को रियो में मिला घाव समय के साथ और भी गहराता गया. फिलहाल, 7 अगस्त 2016 रियो ओलंपिक का वो दिन मीराबाई के लिए एक बुरे सपने से कम नहीं था. उस दिन मीरा अपने इवेंट को पूरा न कर सकीं थीं. 12 वेटलिफ्टर की लिस्ट में मीराबाई दूसरी ऐसी खिलाड़ी बनीं, जो क्लीन एंड जर्क में वेट उठाने का एक भी सफल प्रयत्न न कर सकीं. जबकि क्लीन एंड जर्क को मीराबाई की यूएसपी माना जाता था.
देश की जनता वेटलिफ्टिंग के मैट पर मिले इस पतन को समय के साथ भूल गई. लेकिन मीराबाई ने खुद को माफ नहीं किया और उस दिन मिली पराजय के बाद उन्होंने खुद से वादा किया कि टोक्यो में देश के खाते में एक मेडल उनके नाम का जरूर होगा.
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मीराबाई ने उन दिनों को याद करते हुए कहा...
"रियो मेरा पहला ओलंपिक था, मैंने बहुत मेहनत की थी. मुझे पता है कि उस ओलंपिक में भी मेरा मेडल का चांस था. मैंने रियो के लिए ट्रायल दिया था. तब मैंने जो वेट उठाया था, वही वेट अगर मैं ओलंपिक में उठा पाती तो मेरा सिल्वर मेडल तब ही आ गया होता, लेकिन उस दिन मेरा भाग्य मेरे साथ नहीं था. शायद वो दिन मेरा नहीं था, इसलिए मेडल नहीं आया."
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मीराबाई से बातचीत के कुछ अंश...
भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिला दिया है. चानू ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट हैं. उन्होंने 49 किलोग्राम भार में यह पदक जीता है. इस वर्ग में चीन की होऊ ज़हुई ने गोल्ड और इंडोनेशिया की विंडी असाह ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता. चानू ने कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर भारत को सिल्वर मेडल दिलाया.
प्रश्न: ओलंपिक सिल्वर मेडल लेकर आप भारत आईं हैं, कितना अलग है ये अनुभव आपके लिए?
उत्तर: (हसतें हुए...) मुझे बहुत खुशी हो रही है. बहुत सारा प्यार मिला है, जबसे इंडिया आई हूं. पूरे भारत से प्यार मिला है, मैं बयां नहीं कर सकती हूं.
प्रश्न: ...और पिज्जा खाया आपने?
उत्तर: हां, मैने खाया. जबसे इंडिया आईं हूं, पिज्जा ही खा रहीं हूं. इतने खा लिए हैं कि अब मुझे डर लग रहा है कि ज्यादा हो गया है.
प्रश्न: रियो ओलंपिक में लड़खड़ने के बाद आपने खुद को कैसे संभाला?
उत्तर: रियो मेरा पहला ओलंपिक था, मैंने बहुत मेहनत की थी. मुझे पता है कि उस ओलंपिक में भी मेरा मेडल का चांस था. मैंने रियो के लिए ट्रायल दिया था. तब मैंने जो वेट उठाया था, वहीं वेट अगर मैं ओलंपिक में उठा पाती तो मेरा सिल्वर मेडल तब ही आ गया होता, लेकिन उस दिन मेरा भाग्य मेरे साथ नहीं था. शायद वो दिन मेरा नहीं था इसलिए मेडल नहीं आया.
मैं बहुत दुखी थी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी मेहनत करने के बाद भी मेरे साथ ये क्या हो रहा है. मैंने कई दिनों तक कुछ नहीं खाया था. फिर मेरे कोच और परिवार ने मुझे समझाया तब मैंने खुद को वादा किया था कि टोक्यो में मेडल लाना ही है. इसलिए मैं खूब मेहनत करूंगी, मैंने अपनी ट्रेनिंग में और टेक्नीक में बदलाव किए, जिसके बाद मैं जल्दी अच्छे फ्लो में आ गई थी और जो मैं ओलंपिक में नहीं कर पाई वो मैंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में किया.
प्रश्न: लॉकडाउन के समय में आपको ट्रेनिंग के दौरान इंजरी हो गई थी, उस समय आपने अपने आप को कैसे संभाला?
उत्तर: दो महीने तो मैंने ट्रेनिंग की ही नहीं थी, लंबा रेस्ट हो गया था और वेटलिफ्टिंग ऐसा स्पोर्ट है कि बिना लगातार ट्रेनिंग किए आप कुछ नहीं कर सकते हैं. इतना फर्क पड़ता है कि आप एक दिन ट्रेनिंग नहीं करोंगे तो आप गेम में एक हफ्ता पीछे चले जाओगे. काफी मुश्किल था, 2 महीने वेट ट्रेनिंग से दूर रहना, मेरा शरीर कठोर हो गया था, उस वक्त मैं पटियाला में ही थी तो मैंने आग्रह किया था कि मेरी ट्रेनिंग शुरू कर दें, तो हमको दो महीने बाद मौका मिला था. अचानक ट्रेनिंग शुरू करने के चलते मुझसे नहीं हो पा रहा था. जबकि ओलंपिक एशियन क्वालीफायर करीब था तो वो समय काफी मुश्किल था.
प्रश्न: आप काफी समय से घर से बाहर रहीं, आपने बहुत कठिनाइयां सही हैं. इस मेडल को पाने के लिए, ऐसे में आपके अनुसार आपका सबसे बड़ा त्याग क्या है?
उत्तर: (हंसते हुए...) साल 2016 में मुझे याद है, मैं जब वर्ल्ड चैंपियन बनी थी. उस वक्त मेरी दीदी की शादी थी और वो मैंने मिस कर दी थी. उस कॉम्पटीशन के लिए फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था. मेरे अंदर ये आग थी कि मुझे वेटलिफ्टिंग के लिए और इंडिया के लिए कुछ करना है. इसलिए मैंने दीदी की शादी और अपना पसंदीदा खाना सबका त्याग कर दिया था. कोई भी पार्टी में नहीं जाती थी. उस समय मैंने अपने ऊपर पूरा ध्याना केंद्रित किया था.
प्रश्न: ओलंपिक मेडल तो आ गया...अब आगे आपका क्या प्लान है?
उत्तर: अभी के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स हैं, एशियन गेम्स हैं, फिर पेरिस के लिए मेहनत करूंगी, अभी मुझे सिल्वर मिला है मैं इसे पेरिस में गोल्ड में बदलूंगी.
प्रश्न: आगे आने वाले दिनों के बारे में क्या सोचा है आपने? कैसे जश्न मनाएंगी अपने मेडल का?
उत्तर: मैं अपने परिवार के साथ हूं, मजे कर रही हूं. कई लोग मुझसे मिलने आए, मैंने सबके साथ बात की. ये सब कुछ दिन और चलेगा फिर मैं ट्रेनिंग पर लौट रही हूं.
...आयुष्मान पांडे