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दिल्ली दंगों के आरोपी खुले घूम रहे, निर्दोष जेल में : शबनम हाशमी - सीएए के खिलाफ आंदोलन

दिल्ली दंगों के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी का कहना है कि जिन लोगों ने दिल्ली दंगों के लिए माहौल तैयार किया और भड़काऊ भाषण दिए, वो आज भी खुले घूम रहे हैं, जबकि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले निर्दोष लोग आज भी जेल में बंद हैं. दिल्ली में ईटीवी भारत के संवाददाता मोहम्मद राहिम ने शबनम हाशमी से खास बातचीत की...

शबनम हाशमी
शबनम हाशमी
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Published : Feb 25, 2021, 8:39 PM IST

दिल्ली पुलिस : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली में हुए दंगों के एक साल पूरे हो गए हैं. पिछले साल 23 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई पर सवाल उठे थे. पुलिस ने सीएए के खिलाफ आंदोलन से जुड़े लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की थी.

शबनम हाशमी से खास बातचीत

ईटीवी भारत से बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि जिन लोगों ने दिल्ली दंगों के लिए माहौल तैयार किया और भड़काऊ भाषण दिए, वो आज भी खुले घूम रहे हैं, जबकि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने जेल में डाल दिया है.

पढ़ें- सरकार ने जारी की नई सोशल मीडिया गाइडलाइन, जानें यूजर्स पर क्या होगा असर

उनका कहना है कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में भाग लेने वालों को पुलिस के जरिए डराया धमकाया गया, वह सबने देखा है और शायद यही वजह है कि दिल्ली दंगों के संबंध में जो रिपोर्ट सामने आनी थी, वह नहीं आई.

दिल्ली पुलिस : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली में हुए दंगों के एक साल पूरे हो गए हैं. पिछले साल 23 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई पर सवाल उठे थे. पुलिस ने सीएए के खिलाफ आंदोलन से जुड़े लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की थी.

शबनम हाशमी से खास बातचीत

ईटीवी भारत से बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि जिन लोगों ने दिल्ली दंगों के लिए माहौल तैयार किया और भड़काऊ भाषण दिए, वो आज भी खुले घूम रहे हैं, जबकि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने जेल में डाल दिया है.

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उनका कहना है कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में भाग लेने वालों को पुलिस के जरिए डराया धमकाया गया, वह सबने देखा है और शायद यही वजह है कि दिल्ली दंगों के संबंध में जो रिपोर्ट सामने आनी थी, वह नहीं आई.

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