नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक लड़की का अपहरण करने के आरोप से एक युवक को बरी कर दिया है. उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द कर दी गई है. दरअसल, दोनों ही अब शादी कर चुके हैं.
न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि लड़की यह समझने और जानने में पूरी तरह से सक्षम थी कि उसके लिए क्या सही है और क्या बुरा. जिस समय दोनों ने भागकर शादी की, उस समय लड़की की उम्र 17 साल 10 महीने और 22 दिन थी, जबकि लड़के की आयु 17 साल 11 महीने और 12 दिन थी. कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में प्रलोभन को कोई सबूत नहीं मिला है.
लड़के पर आईपीसी की धारा 363 के तहत अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. इसके खिलाफ उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने कहा कि दोनों ही वयस्क होने की दहलीज पर खड़े थे. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि लड़की यह जानने में असमर्थ थी कि उसके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा.
कोर्ट ने कहा कि लड़की याचिकाकर्ता से शादी करना चाहती थी. वह इसी मंशा के साथ याचिकाकर्ता के पास गई. लड़के ने उसे शादी के लिए रजामंद कर लिया. हालांकि, कोर्ट ने यह जरूर कहा कि लड़के ने लड़की को अपने साथ जाने पर मजबूर किया था. लेकिन उस समय लड़की ने बहुत सोच समझकर यह निर्णय लिया कि वह आगे क्या करे. इसलिए प्रलोभन का कोई मामला नहीं बनता है.
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि लड़की एक मेट्रो सिटी में रहती है. सुनवाई के दौरान खुद लड़की ने कहा कि वह उस लड़के से प्यार करती थी, लेकिन उसके माता-पिता इस रिश्ते को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते थे. ऐसे में उन दोनों के पास और कोई भी विकल्प नहीं था, इसलिए उन्होंने शादी करने का निर्णय कर लिया. कोर्ट ने कहा कि वैसे भी व्यस्क होने में एक महीने का ही समय बाकी बच गया था. कोर्ट ने कहा कि बालिग होने पर, लड़की घटना को बताने के लिए पुलिस स्टेशन गई. इसलिए न्याय के लिए एफआईआर को रद्द करना समीचीन था.
अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 363 के तहत अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन पश्चिम विहार पूर्व में दर्ज एफआईआर संख्या 38/2021 दिनांक 07.02.2021 और उससे होने वाली कार्यवाही को रद्द किया जाता है.
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