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MP: धर्म से बड़ी इंसानियत, जब अपने हुए पराए तब मुस्लिम युवकों ने दिया साथ, हिंदू महिला का कराया अंतिम संस्कार

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Published : Jan 13, 2023, 10:38 PM IST

ग्वालियर में साप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश करने वाला एक मामला सामने आया है. जब एक बुजुर्ग परिवार से उसके रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया तब कुछ मुस्लिम युवकों ने महिला का अंतिम संस्कार किया.

gwalior hindu women last rites done by muslim boys
मुस्लिम युवकों ने महिला का कराया अंतिम संस्कार
मुस्लिम युवकों ने महिला का कराया अंतिम संस्कार

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आज सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल देखने को मिली है. जहां 90 साल की एक बुजुर्ग हिंदू महिला की मौत के बाद जब उसके परिवार में अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था तो उसे मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा आगे आए. उन्होंने ना सिर्फ बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया. बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार भी किया.

मुस्लिमों युवाओं ने किया महिला का अंतिम संस्कार: ग्वालियर के रेलवे कॉलोनी की दरगाह इलाके में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेही माहौर का निधन हो गया. रामदेही का कोई बेटा नहीं था, एक बेटी है जो दिल्ली में रहती है. ऐसे में रामदेही की मौत के बाद सबसे बड़ी परेशानी यही थी कि उनकी अर्थी को कांधा कौन देगा? अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा? ग्वालियर में रहने वाले रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया तो रामदेही को अपनी मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा आगे आए. नगर निगम कर्मचारी शाकिर खान ने अपने भाई और दोस्तों के साथ मिलकर बुजुर्ग रामदेही के लिए अर्थी तैयार की. फिर उनकी अंतिम यात्रा को कंधा देते हुए बैंड बाजों के साथ शमशान तक पहुंचाया.

Example of communal harmony
बुजुर्ग महिला का कराया अंतिम संस्कार

रिश्तेदारों ने किया किनारा: रामदेही की दिल्ली में रहने वाली बेटी शीला भी ग्वालियर आ चुकी थी. श्मशान में भी मुस्लिम युवाओं ने अपने हाथों से चिता तैयार की और फिर रामदेही की बेटी शीला ने उनकी देह को मुखाग्नि दी. बता दें कि ग्वालियर में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेवी माहौर के रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया था. यही वजह कि वह लंबे समय से दरगाह इलाके में अकेली रह रही थी. यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिम परिवार के लोग उनको खाना देते थे और छोटा-मोटा काम भी करते थे.

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बेटी बोली इन मुस्लिम भाईयों का दूंगी साथ: बता दें कि ग्वालियर में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेवी माहौर के रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया था. यही वजह कि वह लंबे समय से दरगाह इलाके में अकेली रह रही थी. यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिम परिवार के लोग उनको खाना देते थे और छोटा-मोटा काम भी करते थे. आज जब राम देवी की मौत हो गई तो फिर उनकी अर्थी को कंधा देने के लिए रिश्तेदार नहीं आए. ऐसे में मुस्लिम युवाओं ने उनके बेटे का फर्ज निभाया और अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया. मुस्लिम युवाओं का कहना है कि हिंदू और मुस्लिम धर्म दूसरों की मदद करना सिखाता है और यदि उन्होंने अपना धर्म निभाया है. जिसमें चाहे किसी प्रकार से दोनों समुदायों के बीच जहर घोला जा रहा हूं, लेकिन हम सब एक हैं और मुसीबत में एक दूसरे का साथ देने के लिए हमेशा तैयार है. वहीं मुखाग्नि देने पहुंची मृतक महिला की बेटी का कहना है कि मुझे मुस्लिम भाइयों के रूप में भाई मिले हैं और हमेशा में उनका साथ दूंगी.

मुस्लिम युवकों ने महिला का कराया अंतिम संस्कार

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आज सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल देखने को मिली है. जहां 90 साल की एक बुजुर्ग हिंदू महिला की मौत के बाद जब उसके परिवार में अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था तो उसे मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा आगे आए. उन्होंने ना सिर्फ बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया. बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार भी किया.

मुस्लिमों युवाओं ने किया महिला का अंतिम संस्कार: ग्वालियर के रेलवे कॉलोनी की दरगाह इलाके में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेही माहौर का निधन हो गया. रामदेही का कोई बेटा नहीं था, एक बेटी है जो दिल्ली में रहती है. ऐसे में रामदेही की मौत के बाद सबसे बड़ी परेशानी यही थी कि उनकी अर्थी को कांधा कौन देगा? अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा? ग्वालियर में रहने वाले रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया तो रामदेही को अपनी मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा आगे आए. नगर निगम कर्मचारी शाकिर खान ने अपने भाई और दोस्तों के साथ मिलकर बुजुर्ग रामदेही के लिए अर्थी तैयार की. फिर उनकी अंतिम यात्रा को कंधा देते हुए बैंड बाजों के साथ शमशान तक पहुंचाया.

Example of communal harmony
बुजुर्ग महिला का कराया अंतिम संस्कार

रिश्तेदारों ने किया किनारा: रामदेही की दिल्ली में रहने वाली बेटी शीला भी ग्वालियर आ चुकी थी. श्मशान में भी मुस्लिम युवाओं ने अपने हाथों से चिता तैयार की और फिर रामदेही की बेटी शीला ने उनकी देह को मुखाग्नि दी. बता दें कि ग्वालियर में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेवी माहौर के रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया था. यही वजह कि वह लंबे समय से दरगाह इलाके में अकेली रह रही थी. यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिम परिवार के लोग उनको खाना देते थे और छोटा-मोटा काम भी करते थे.

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बेटी बोली इन मुस्लिम भाईयों का दूंगी साथ: बता दें कि ग्वालियर में रहने वाली 90 साल की बुजुर्ग रामदेवी माहौर के रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया था. यही वजह कि वह लंबे समय से दरगाह इलाके में अकेली रह रही थी. यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिम परिवार के लोग उनको खाना देते थे और छोटा-मोटा काम भी करते थे. आज जब राम देवी की मौत हो गई तो फिर उनकी अर्थी को कंधा देने के लिए रिश्तेदार नहीं आए. ऐसे में मुस्लिम युवाओं ने उनके बेटे का फर्ज निभाया और अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया. मुस्लिम युवाओं का कहना है कि हिंदू और मुस्लिम धर्म दूसरों की मदद करना सिखाता है और यदि उन्होंने अपना धर्म निभाया है. जिसमें चाहे किसी प्रकार से दोनों समुदायों के बीच जहर घोला जा रहा हूं, लेकिन हम सब एक हैं और मुसीबत में एक दूसरे का साथ देने के लिए हमेशा तैयार है. वहीं मुखाग्नि देने पहुंची मृतक महिला की बेटी का कहना है कि मुझे मुस्लिम भाइयों के रूप में भाई मिले हैं और हमेशा में उनका साथ दूंगी.

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