हैदराबाद : रोमानिया के एक नागरिक द्वारा तमिलनाडु में स्थानीय निकायों के चुनाव में प्रचार करने पर विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े किए हैं. वह डीएमके लिए प्रचार कर रहा था. आव्रजन विभाग (इम्मिग्रेशन डिपार्टमेंट) ने उसे नोटिस जारी किया है. लेकिन नोटिस वीजा नियमों के उल्लंघन का है, न कि प्रचार करने के खिलाफ. दरअसल, भारत का जन प्रतिनिधित्व कानून इस मामले पर पूरी तरह से चुप है.
क्या कोई विदेशी नागरिक या फिर भारतीय मूल का नागरिक (पीआईओ) भारत में चुनाव प्रचार कर सकता है. क्या वे ऐसा करके वीजा नियमों का उल्लंघन करते हैं. दरअसल, यह सवाल इससे पहले भी कई बार उठ चुका है. दरअसल, इस विषय पर हमारे कानून में कुछ भी उल्लिखित नहीं है. यही वजह है कि चुनाव आयोग के सामने जब इस तरह का मामला उठाया गया, तो आयोग ने लॉ कमीशन से इस मामले स्पष्ट राय देने को कहा.
पश्चिम बंगाल में भी चुनाव प्रचार के दौरान भी एक बंगाली अभिनेता द्वारा टीएमसी के पक्ष में प्रचार करने का मामला तूल पकड़ा था. रायगंज लोकसभा सीट से टीएमसी के उम्मीदवार के लिए बंगलादेश के अभिनेता फिरदौस अहमद प्रचार करते हुए देखे गए थे. भाजपा ने इस पर आपत्ति जाहिर की थी.
इससे पहले पंजाब चुनाव, 2017, में इसी तरह के आरोप आम आदमी पार्टी पर लगे थे. तब पार्टी पर यह आरोप लगा था कि भारतीय मूल के कई नागरिक पंजाब में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वे आप को मदद पहुंचा रहे हैं. हालांकि, किसी भी पार्टी ने औपचारिक शिकायत नहीं की थी. मुख्य चुनाव अधिकारी ने खुद ही इस सवाल को मुख्य चुनाव आयोग के सामने उठाया था.
भारत का जन प्रतिनिधित्व कानून, जिसके तहत यहां पर चुनाव कराए जाते हैं, इस मामले पर पूरी तरह से चुप है. चुनाव आयोग ने विदेश मंत्रालय से भी इस मामले पर जवाब मांगा था. विदेश मंत्रालय ने कानून मंत्रालय को यह सवाल भेज दिया.
कानून मंत्रालय ने आयोग से पूछा कि इस सवाल का जवाब जानने के पीछे की वजह क्या है. चुनाव आयोग ने उसके बाद मंत्रालय को विस्तृत रूप से मामले की जानकारी दी. उसके बाद आज तक कानून मंत्रालय का कोई जवाब नहीं आया है.
आपको बता दें कि पीआईओ भारत के नागरिक नहीं होते हैं. वे वीजा पर भारत आते हैं. उनके वीजा पर यहां आने की वजह लिखी होती है. यह आधिकारिक भी हो सकती है या पर्यटन के लिए भी हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कोई भी विदेशी नागरिक चुनाव प्रचार को यहां आने की वजह नहीं बता सकता है, लिहाजा वे किसी और उद्देश्य से ही आते हैं. और यहां आने के बाद वे प्रचार में शामिल हो जाते हैं. ऐसे में जब तक कानून स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहता है, तो उस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
हालांकि, फंडिंग को लेकर स्थिति साफ की गई है. भारत का कोई भी नागरिक विदेश में रह रहा है या कोई भी विदेशी कंपनी भारत में अपनी साहयोगी कंपनी के जरिए किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए फंडिंग कर सकता है.
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