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Bhind Chambal Flood चंबल में तबाही की बाढ़, आशियाना छोड़ने को मजबूर ग्रामीण, ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट - Bhind Flood in Chambal

भिंड के अटेर में चंबल नदी में आई बाढ़ तबाही मचाने लगी है. जिससे चंबल के किनारे बसे गांवों के लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. SDRF की मदद से भिंड जिले के मुकुटपुरा गांव में ग्रामीण अपना सामान और बोरिया बिस्तर समेटकर ऊंची जगहों पर पलायन करते लोग. ग्रामीणों ने बताया कि, इस गांव में करीब 70 घर हैं, लेकिन निचला इलाका होने से पिछले 3 साल से यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं. गांव में पानी घुस चुका है. देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट Bhind Chambal Flood, Bhind Chambal water Level, Bhind Flood in Chambal, Bhind Villagers Problem Increased.

भिंड विस्थापन की मांग
Bhind displacement demand
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Published : Aug 25, 2022, 10:37 PM IST

भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में जिला प्रशासन ने भीषण बाढ़ की चेतावनी जारी की है. चम्बल नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर है. जिले के अटेर क्षेत्र में चंबल के किनारे बसे कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. कई गांवों जिला मुख्यालय से का संपर्क टूट चुका है. बाढ़ प्रभावित गांवों के हालत का जायजा लेने ETV भारत संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंचे. यहां लोगों की मांग है कि, उनका गांव हर बार टापू में बदल जाता है. उनकी मांग है कि अब उन्हें इस गांव से निकलकर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर जगह दी जाए है ताकि आने वाली पीढ़ियों को हर साल बारिश के मौसम में आने वाली इस बाढ़ का सामना न करना पड़े.(Bhind Flood in Chambal) (Bhind Villagers Problem Increased).

Bhind displacement demand
विस्थापित होना चाहते हैं बाढ़ प्रभावित लोग:
गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि, यहां के लोग पिछले 3 साल से शासन से विस्थापित किए जाने की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि, सरकार उन्हें मुकुटपुरा गांव से निकाल कर भिंड के आसपास कहीं भी जमीन दे दे, गांव के सभी लोग यहां से विस्थापन को तैयार हैं. सालभर यहां के लोग मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालने के लिए दो पैसे कमाते हैं, लेकिन बाढ़ आती है तो गृहस्थी, अनाज, मवेशी सब अपने साथ बहा ले जाती है. बीमारियां भी पनपती हैं जिनका शिकार होकर कई लोग असमय ही अपनी जान तक गवां चुके हैं. सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ राशन का वितरण कर दिया जाता है. कोई समाज सेवी आता है तो खाने के पैकेट या बिस्किट बांट जाता है. इनसे गुजारा नहीं होता. (Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).
Bhind displacement demand
भिंड विस्थापन की मांग

भगवान भरोसे छोड़ देता है प्रशासन: बाढ़ आने के बाद भी लोग इस गांव में रुके हुए हैं. इस बात का जवाब जानना चाहा तो बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि, वे गांव छोड़ने को तैयार है, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी उनके विस्थापन और पुनर्वास के लिए सामने नहीं आता. कोई आता भी है तो सिर्फ कह जाता है कि अपना इंतजाम कर लेना ऊंची जगहों पर चले जाना. पिछले साल गांव के लोगों को यहां से निकाल कर प्रशासन ने अटेर के स्कूलों और खेतों में छोड़ दिया. ऐसी स्थिति में क्या किया जाए घर की बहू बेटियों को कहां खेतो में छोड़ दें, क्योंकि धन दौलत, खेती मवेशी सब तो गांव में ही रह जाता है. लोगों की मांग है कि, उन्हें इस गांव से निकलकर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर जगह दी जाए. जिससे वह अपने बच्चों को अच्छा भविष्य दे पाएं.

बाढ़ में डूब जाते हैं 70 फीसदी मकान: ग्रामीणों से बात करने पर उनका कहना था कि, मुकटपुरा गांव में 70 घर हैं. जिनमें 50 घर हर बार बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. उन्होंने बताया कि हर साल अधिकारी निचली बस्तियों तक आते हैं. बाढ़ से बचने की बात कहकर वहीं से वापस चले जाते हैं. इस बार अब तक सिर्फ पटवारी और नायब तहसीलदार आए थे, लोग सरकार से जमीन उपलब्ध कराए जाने की मांग कर रहे हैं.(Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).

Chambal River Water Flood तबाही मचाने की तैयारी में चम्बल, भिंड, मुरैना में निचले गांवों तक पहुंचा पानी.

चौथी बार आई चम्बल में बाढ़: यह हालात सिर्फ मुकटपुरा में ही नहीं बल्कि बाढ़ से प्रभावित कई गांवों में बनते हैं.चम्बल नदी में अब तक 4 बार बढ़ आ चुकी है. पहली बार 1996 में बाढ़ आई थी. उस दौरान चम्बल का जलस्तर 144 मीटर तक था जो खतरे के निशान से करीब 25 मीटर ऊपर था. 2020, और 2021 में भी चम्बल ने तबाही मचाई थी इसमें करोड़ों का नुकसान हुआ था. सैकड़ों परिवार इससे प्रभावित हुए थे. अब एक बार फिर 2022 में चम्बल ने रौद्र रूप अपना लिया है. इसका खामियाजा सैकड़ों परिवार भुगत रहे हैं. (Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).

भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में जिला प्रशासन ने भीषण बाढ़ की चेतावनी जारी की है. चम्बल नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर है. जिले के अटेर क्षेत्र में चंबल के किनारे बसे कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. कई गांवों जिला मुख्यालय से का संपर्क टूट चुका है. बाढ़ प्रभावित गांवों के हालत का जायजा लेने ETV भारत संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंचे. यहां लोगों की मांग है कि, उनका गांव हर बार टापू में बदल जाता है. उनकी मांग है कि अब उन्हें इस गांव से निकलकर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर जगह दी जाए है ताकि आने वाली पीढ़ियों को हर साल बारिश के मौसम में आने वाली इस बाढ़ का सामना न करना पड़े.(Bhind Flood in Chambal) (Bhind Villagers Problem Increased).

Bhind displacement demand
विस्थापित होना चाहते हैं बाढ़ प्रभावित लोग: गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि, यहां के लोग पिछले 3 साल से शासन से विस्थापित किए जाने की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि, सरकार उन्हें मुकुटपुरा गांव से निकाल कर भिंड के आसपास कहीं भी जमीन दे दे, गांव के सभी लोग यहां से विस्थापन को तैयार हैं. सालभर यहां के लोग मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालने के लिए दो पैसे कमाते हैं, लेकिन बाढ़ आती है तो गृहस्थी, अनाज, मवेशी सब अपने साथ बहा ले जाती है. बीमारियां भी पनपती हैं जिनका शिकार होकर कई लोग असमय ही अपनी जान तक गवां चुके हैं. सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ राशन का वितरण कर दिया जाता है. कोई समाज सेवी आता है तो खाने के पैकेट या बिस्किट बांट जाता है. इनसे गुजारा नहीं होता. (Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).
Bhind displacement demand
भिंड विस्थापन की मांग

भगवान भरोसे छोड़ देता है प्रशासन: बाढ़ आने के बाद भी लोग इस गांव में रुके हुए हैं. इस बात का जवाब जानना चाहा तो बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि, वे गांव छोड़ने को तैयार है, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी उनके विस्थापन और पुनर्वास के लिए सामने नहीं आता. कोई आता भी है तो सिर्फ कह जाता है कि अपना इंतजाम कर लेना ऊंची जगहों पर चले जाना. पिछले साल गांव के लोगों को यहां से निकाल कर प्रशासन ने अटेर के स्कूलों और खेतों में छोड़ दिया. ऐसी स्थिति में क्या किया जाए घर की बहू बेटियों को कहां खेतो में छोड़ दें, क्योंकि धन दौलत, खेती मवेशी सब तो गांव में ही रह जाता है. लोगों की मांग है कि, उन्हें इस गांव से निकलकर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर जगह दी जाए. जिससे वह अपने बच्चों को अच्छा भविष्य दे पाएं.

बाढ़ में डूब जाते हैं 70 फीसदी मकान: ग्रामीणों से बात करने पर उनका कहना था कि, मुकटपुरा गांव में 70 घर हैं. जिनमें 50 घर हर बार बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. उन्होंने बताया कि हर साल अधिकारी निचली बस्तियों तक आते हैं. बाढ़ से बचने की बात कहकर वहीं से वापस चले जाते हैं. इस बार अब तक सिर्फ पटवारी और नायब तहसीलदार आए थे, लोग सरकार से जमीन उपलब्ध कराए जाने की मांग कर रहे हैं.(Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).

Chambal River Water Flood तबाही मचाने की तैयारी में चम्बल, भिंड, मुरैना में निचले गांवों तक पहुंचा पानी.

चौथी बार आई चम्बल में बाढ़: यह हालात सिर्फ मुकटपुरा में ही नहीं बल्कि बाढ़ से प्रभावित कई गांवों में बनते हैं.चम्बल नदी में अब तक 4 बार बढ़ आ चुकी है. पहली बार 1996 में बाढ़ आई थी. उस दौरान चम्बल का जलस्तर 144 मीटर तक था जो खतरे के निशान से करीब 25 मीटर ऊपर था. 2020, और 2021 में भी चम्बल ने तबाही मचाई थी इसमें करोड़ों का नुकसान हुआ था. सैकड़ों परिवार इससे प्रभावित हुए थे. अब एक बार फिर 2022 में चम्बल ने रौद्र रूप अपना लिया है. इसका खामियाजा सैकड़ों परिवार भुगत रहे हैं. (Bhind Chambal Floods) (Bhind Chambal Water Level).

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