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जानें धरती पर जीवन के लिए कितनी जरूरी है ओजोन परत

16 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. इस दिवस का आयोजन करने की वजह यह है कि ओजोन परत के विषय में लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसे बचाने के समाधान की ओर ध्यान एकत्रित किया जा सके.

विश्व ओजोन दिवस
विश्व ओजोन दिवस
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Published : Sep 16, 2020, 2:13 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 3:57 PM IST

हैदराबाद : पर्यावरण प्रदूषण के कारण लगातार ओजोन परत को नुकसान हो रहा है. लोगों तक इसके बारे में जागरूकता फैलाने और इसे संरक्षित करने के लिए 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. ओजोन परत गैस से बनी एक नाजुक ढाल है जो सूरज की हानिकारक किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है. इसके साथ ही यह जलवायु परिवर्तन को दूर करने के लिए वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण है. इसके अलावा यह हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से बचाती है और पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा करती है. इस साल हम 35 साल के वैश्विक ओजोन परत संरक्षण का जश्न मना रहे हैं. विश्व ओजोन दिवस 2020 का थीम 'ओजोन फॉर लाइफ' है. 'ओजोन फॉर लाइफ' हमें याद दिलाता है. कि पृथ्वी पर ओजोन हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है. हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करना अभी से शुरू करना होगा.

विश्व ओजोन दिवस का इतिहास

  • सूर्य के प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है, लेकिन सूर्य से प्रकाश के साथ पराबैगनी किरणे भी आती हैं जो जीवन के लिए बहुत हानिकारक होती है. यह स्ट्रैटोस्फोरिक लेयर पृथ्वी को सूरज की सबसे हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. सूरज की रोशनी जीवन को संभव बनाती है और ओजोन परत जीवन बचाती है.
  • ओजोन परत में हुई क्षति की वैज्ञानिक पुष्टि की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ओजोन परत की रक्षा के लिए कार्रवाई करने, तंत्र स्थापित के लिए प्रेरित किया. 22 मार्च 1985 को 28 देशों द्वारा अपनाया और हस्ताक्षरित ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन में इसे औपचारिक रूप दिया गया था. सितंबर 1987 में, इसने द मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ऑन द सब्स्टेक्ट्स का मसौदा तैयार किया जो ओजोन परत को चित्रित करता है.
  • 16 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने की बात कही गई थी. इसकी पहली बार चर्चा 1987 में हुई और इस 19 दिसंबर 2000 को सौंपा गया. जिस पर राष्ट्रों ने ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया.
  • 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित की.
  • प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जाने के 30 साल बाद ओजोन परत में छेद को बंद किया गया. ओजोन की कमी के लिए जिम्मेदार गैसों की प्रकृति के कारण, उनके रासायनिक प्रभाव 50 और 100 वर्षों के बीच जारी रहने की उम्मीद है. इसके अलावा, इस दिन शिक्षकों ने अपने छात्रों को ओजोन परत के लाभों के बारे में पढ़ाया और जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन किया.
  • 16 सितंबर 2009 को, वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली संधियां बन गईं.
  • ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्ष में 15 अक्टूबर 2016 को किवली, रवांडा में पार्टियों की 28 वीं बैठक में चरणबद्ध हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) में समझौता हुआ. इस समझौते को किगाली समझौते के रूप में जाना जाता है.

ओजोन परत का महत्व
ओजोन (रासायनिक रूप से, तीन ऑक्सीजन परमाणुओं का एक अणु) मुख्य रूप से ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है, जिसे स्ट्रैटोस्फीयर कहा जाता है. यह पृथ्वी की सतह से 10 और 50 किमी के बीच स्थित होता है. यद्यपि यह एक परत के रूप में बात की जाती है, ओजोन परत वातावरण में कम सांद्रता में मौजूद है. यहां तक कि उन जगहों पर जहां यह परत सबसे मोटी है, वहां हर दस लाख वायु अणुओं के लिए ओजोन के कुछ अणुओं से अधिक नहीं हैं.

लेकिन यह परत एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती हैं. यह पृथ्वी पर सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को पहुंचने से रोकती हैं. जिससे जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा होता है. सूर्य से निकलने वाली यूवी किरणें त्वचा कैंसर, पौधों, जानवरों में कई अन्य प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती है.

ओजोन परत में कमी का कारण
ओजोन परत की कमी का मुख्य कारण मानव गतिविधि है, जिसमें मुख्य रूप से मानव निर्मित रसायन होते हैं जिनमें क्लोरीन या ब्रोमीन होता है. इन रसायनों को ओजोन डिप्लेटिंग सबस्टेंस (ओडीएस) के रूप में जाना जाता है. 1970 की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन में कमी देखी और यह पोलर रीजन में अधिक प्रमुख पाया गया. मुख्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी), कार्बन टेट्राक्लोराइड, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं. कभी-कभी ब्रोमिनेटेड फ्लोरोकार्बन के रूप में जाना जाने वाला हैलोन भी ओजोन क्षरण करने में शक्तिशाली होता है. ओडीएस पदार्थों का जीवनकाल लगभग 100 वर्ष का होता है.

इस साल आर्कटिक ओजोन में बड़ा छेद क्यो हैं ?
इस साल, आर्कटिक पर ओजोन की कमी बहुत बड़ी थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि समताप मंडल में ठंड के तापमान सहित असामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियां जिम्मेदार थीं.

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ठंडे तापमान (-80 डिग्री सेल्सियस से नीचे), सूरज की रोशनी, हवा के क्षेत्र और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ आर्कटिक ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार थे.

हालांकि इस साल अंटार्कटिका में आर्कटिक तापमान उतना कम नहीं हुआ है. उत्तरी ध्रुव के आसपास बहने वाली शक्तिशाली हवाओं को ध्रुवीय चक्रवात के रूप में जाना जाता है. जो समताप मण्डल हवाओं का एक चक्कर लगाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ध्रुवीय सर्दियों के अंत तक उत्तरी ध्रुव पर पहली धूप ने इस असान्य रूप से मजबूत ओजोन परत में कमी की थी. जिससे छेद का निर्माण हुआ, लेकिन इसका आकार अभी भी छोटा है. जो दक्षिणी गोलार्ध में देखा जा सकता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि छेद का बंद होना एक ही ध्रुवीय भंवर के कारण है, न कि कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण के स्तर में कमी के कारण.

ओजोन की रिकवरी
2018 के ओजोन डिप्लेशन डेटा के वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार, समताप मंडल के कुछ हिस्सों में ओजोन परत 2000 के बाद से 1-3 प्रतिशत की दर से रिकवर हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है. कि इस अनुमानित दरों पर, उत्तरी गोलार्ध और मध्य अक्षांश ओजोन को 2030 तक ठीक होने की भविष्यवाणी की गई, इसके बाद 2050 के आस-पास दक्षिणी गोलार्ध और ध्रुवीय क्षेत्रों में 2060 तक ठीक होने का अंदाजा लगाया गया.

पढ़ें - दुनिया भर में मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस, जानें क्यों है खास

ओजोन परत को बचाने के उपाय:-

सार्वजनिक परिवहन का अपयोग : वाहनों से निकलने वाले धुंए के कारण ओजोन परत को नुकसान पहुंचा है. इससे बचने के लिए साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें.

रीसायकल : जीवन में आप हर चीज को रीसायकल कर सकतें हैं. सूखे और जैविक कचरे को अलग करें फिर इसे रीसायकल करें. पॉलिथीन या प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें. इसके बजाय आप कपड़ों से बने बैग का उपयोग कर सकते हैं.

कीटनाशकों से बचें : सबसे हानिकारण घटकों में से एक कीटनाशक न सिर्फ जानवरों के लिए बल्कि मनुष्यों के लिए भी घातक है. इससे बचने के लिए आप बहुत सी सब्जियां घर पर उगा सकते हैं. पौधों की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग करें. इसके लिए आप दूसरों से भी सुझाव ले सकते हैं.

ईको-फ्रेंडली उत्पाद खरीदें : विभिन्न उत्पादों से निकलने वाले ऑक्सीज रसायन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. जूट के बैग, पुन: प्रयोज्य कंटेनर, पेड़-पौधे और अन्य जैसे इको-फ्रेंडली उत्पादों को खरीदकर खतरे को रोकने की कोशिश करें.

सीएफसी उत्सर्जित उत्पादों से बचें : फ्रिज और एसी से निकलने वाली सीएफसी गैसे ओजोन गैस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. इसके लिए आप इन उत्पादकों का उपयोग कम कर सकते हैं. या इसके लिए आप प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

हैदराबाद : पर्यावरण प्रदूषण के कारण लगातार ओजोन परत को नुकसान हो रहा है. लोगों तक इसके बारे में जागरूकता फैलाने और इसे संरक्षित करने के लिए 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. ओजोन परत गैस से बनी एक नाजुक ढाल है जो सूरज की हानिकारक किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है. इसके साथ ही यह जलवायु परिवर्तन को दूर करने के लिए वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण है. इसके अलावा यह हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से बचाती है और पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा करती है. इस साल हम 35 साल के वैश्विक ओजोन परत संरक्षण का जश्न मना रहे हैं. विश्व ओजोन दिवस 2020 का थीम 'ओजोन फॉर लाइफ' है. 'ओजोन फॉर लाइफ' हमें याद दिलाता है. कि पृथ्वी पर ओजोन हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है. हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करना अभी से शुरू करना होगा.

विश्व ओजोन दिवस का इतिहास

  • सूर्य के प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है, लेकिन सूर्य से प्रकाश के साथ पराबैगनी किरणे भी आती हैं जो जीवन के लिए बहुत हानिकारक होती है. यह स्ट्रैटोस्फोरिक लेयर पृथ्वी को सूरज की सबसे हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. सूरज की रोशनी जीवन को संभव बनाती है और ओजोन परत जीवन बचाती है.
  • ओजोन परत में हुई क्षति की वैज्ञानिक पुष्टि की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ओजोन परत की रक्षा के लिए कार्रवाई करने, तंत्र स्थापित के लिए प्रेरित किया. 22 मार्च 1985 को 28 देशों द्वारा अपनाया और हस्ताक्षरित ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन में इसे औपचारिक रूप दिया गया था. सितंबर 1987 में, इसने द मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ऑन द सब्स्टेक्ट्स का मसौदा तैयार किया जो ओजोन परत को चित्रित करता है.
  • 16 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने की बात कही गई थी. इसकी पहली बार चर्चा 1987 में हुई और इस 19 दिसंबर 2000 को सौंपा गया. जिस पर राष्ट्रों ने ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया.
  • 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित की.
  • प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जाने के 30 साल बाद ओजोन परत में छेद को बंद किया गया. ओजोन की कमी के लिए जिम्मेदार गैसों की प्रकृति के कारण, उनके रासायनिक प्रभाव 50 और 100 वर्षों के बीच जारी रहने की उम्मीद है. इसके अलावा, इस दिन शिक्षकों ने अपने छात्रों को ओजोन परत के लाभों के बारे में पढ़ाया और जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन किया.
  • 16 सितंबर 2009 को, वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली संधियां बन गईं.
  • ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्ष में 15 अक्टूबर 2016 को किवली, रवांडा में पार्टियों की 28 वीं बैठक में चरणबद्ध हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) में समझौता हुआ. इस समझौते को किगाली समझौते के रूप में जाना जाता है.

ओजोन परत का महत्व
ओजोन (रासायनिक रूप से, तीन ऑक्सीजन परमाणुओं का एक अणु) मुख्य रूप से ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है, जिसे स्ट्रैटोस्फीयर कहा जाता है. यह पृथ्वी की सतह से 10 और 50 किमी के बीच स्थित होता है. यद्यपि यह एक परत के रूप में बात की जाती है, ओजोन परत वातावरण में कम सांद्रता में मौजूद है. यहां तक कि उन जगहों पर जहां यह परत सबसे मोटी है, वहां हर दस लाख वायु अणुओं के लिए ओजोन के कुछ अणुओं से अधिक नहीं हैं.

लेकिन यह परत एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती हैं. यह पृथ्वी पर सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को पहुंचने से रोकती हैं. जिससे जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा होता है. सूर्य से निकलने वाली यूवी किरणें त्वचा कैंसर, पौधों, जानवरों में कई अन्य प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती है.

ओजोन परत में कमी का कारण
ओजोन परत की कमी का मुख्य कारण मानव गतिविधि है, जिसमें मुख्य रूप से मानव निर्मित रसायन होते हैं जिनमें क्लोरीन या ब्रोमीन होता है. इन रसायनों को ओजोन डिप्लेटिंग सबस्टेंस (ओडीएस) के रूप में जाना जाता है. 1970 की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन में कमी देखी और यह पोलर रीजन में अधिक प्रमुख पाया गया. मुख्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी), कार्बन टेट्राक्लोराइड, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं. कभी-कभी ब्रोमिनेटेड फ्लोरोकार्बन के रूप में जाना जाने वाला हैलोन भी ओजोन क्षरण करने में शक्तिशाली होता है. ओडीएस पदार्थों का जीवनकाल लगभग 100 वर्ष का होता है.

इस साल आर्कटिक ओजोन में बड़ा छेद क्यो हैं ?
इस साल, आर्कटिक पर ओजोन की कमी बहुत बड़ी थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि समताप मंडल में ठंड के तापमान सहित असामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियां जिम्मेदार थीं.

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ठंडे तापमान (-80 डिग्री सेल्सियस से नीचे), सूरज की रोशनी, हवा के क्षेत्र और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ आर्कटिक ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार थे.

हालांकि इस साल अंटार्कटिका में आर्कटिक तापमान उतना कम नहीं हुआ है. उत्तरी ध्रुव के आसपास बहने वाली शक्तिशाली हवाओं को ध्रुवीय चक्रवात के रूप में जाना जाता है. जो समताप मण्डल हवाओं का एक चक्कर लगाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ध्रुवीय सर्दियों के अंत तक उत्तरी ध्रुव पर पहली धूप ने इस असान्य रूप से मजबूत ओजोन परत में कमी की थी. जिससे छेद का निर्माण हुआ, लेकिन इसका आकार अभी भी छोटा है. जो दक्षिणी गोलार्ध में देखा जा सकता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि छेद का बंद होना एक ही ध्रुवीय भंवर के कारण है, न कि कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण के स्तर में कमी के कारण.

ओजोन की रिकवरी
2018 के ओजोन डिप्लेशन डेटा के वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार, समताप मंडल के कुछ हिस्सों में ओजोन परत 2000 के बाद से 1-3 प्रतिशत की दर से रिकवर हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है. कि इस अनुमानित दरों पर, उत्तरी गोलार्ध और मध्य अक्षांश ओजोन को 2030 तक ठीक होने की भविष्यवाणी की गई, इसके बाद 2050 के आस-पास दक्षिणी गोलार्ध और ध्रुवीय क्षेत्रों में 2060 तक ठीक होने का अंदाजा लगाया गया.

पढ़ें - दुनिया भर में मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस, जानें क्यों है खास

ओजोन परत को बचाने के उपाय:-

सार्वजनिक परिवहन का अपयोग : वाहनों से निकलने वाले धुंए के कारण ओजोन परत को नुकसान पहुंचा है. इससे बचने के लिए साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें.

रीसायकल : जीवन में आप हर चीज को रीसायकल कर सकतें हैं. सूखे और जैविक कचरे को अलग करें फिर इसे रीसायकल करें. पॉलिथीन या प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें. इसके बजाय आप कपड़ों से बने बैग का उपयोग कर सकते हैं.

कीटनाशकों से बचें : सबसे हानिकारण घटकों में से एक कीटनाशक न सिर्फ जानवरों के लिए बल्कि मनुष्यों के लिए भी घातक है. इससे बचने के लिए आप बहुत सी सब्जियां घर पर उगा सकते हैं. पौधों की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग करें. इसके लिए आप दूसरों से भी सुझाव ले सकते हैं.

ईको-फ्रेंडली उत्पाद खरीदें : विभिन्न उत्पादों से निकलने वाले ऑक्सीज रसायन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. जूट के बैग, पुन: प्रयोज्य कंटेनर, पेड़-पौधे और अन्य जैसे इको-फ्रेंडली उत्पादों को खरीदकर खतरे को रोकने की कोशिश करें.

सीएफसी उत्सर्जित उत्पादों से बचें : फ्रिज और एसी से निकलने वाली सीएफसी गैसे ओजोन गैस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. इसके लिए आप इन उत्पादकों का उपयोग कम कर सकते हैं. या इसके लिए आप प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

Last Updated : Sep 16, 2020, 3:57 PM IST
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