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'प्लग एंड प्ले' स्थिति में उड़ान भरने के लिए तैनात होंगे राफेल विमान

फ्रांस से आयात किए जा रहे राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय दृष्टिकोण से कुछ संशोधन किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर सुधार पहले से ही विनिर्माण चरण के दौरान किए गए हैं, जबकि कुछ सामाग्री भारत में लगाई जाएगी. लेकिन ये लड़ाकू विमान एक प्लग एंड प्ले (लगाओ और चलाओ) की स्थिति में उड़ान भरेंगे. पढ़ें विशेष संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

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Published : Jul 20, 2020, 5:50 PM IST

नई दिल्ली : चीन के साथ जारी तनाव के बीच राष्ट्रीय राजधानी में 22 जुलाई से प्रस्तावित वायु सेना कमांडरों के दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान अगले हफ्ते कुछ समय के लिए अंबाला एयरबेस पर पांच राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती पर बातचीत होनी तय है. ये विमान ऐसी स्थिति में भारत आएंगे कि वे वायु सेना के लिए बहुत अल्प समय में उड़ान भरने में सक्षम होंगे.

सेना के सूत्रों के मुताबिक इन राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय दृष्टिकोण से तनिक संशोधन किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर सुधार पहले से ही विनिर्माण चरण के दौरान किए गए हैं, जबकि कुछ सामग्री भारत में लगाई जाएगी. लेकिन वे सभी एक प्लग एंड प्ले (लगाओ और चलाओ ) की स्थिति में उड़ान भरेंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत में एक अन्य सैन्य सूत्र ने बताया कि पूरी तरह से लोड किए गए राफेल फाइटर जेट को कुछ ही हफ्तों के भीतर उनकी अनिवार्य भूमिकाओं के लिए तैनात किया जा सकता है.

भारत-चीन सैन्य तनाव के बीच दो एशियाई दिग्गजों ने जिस तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जंगी सामानों की तैनाती की है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि राफेल की तैनाती के बाद भारत की स्थिति मजबूत हो जाएगी.

बता दें कि भारतीय वायुसेना ने मिराज 2000, सुखोई-30 और मिग-29 के सभी लड़ाकू विमानों को अग्रिम चौकियों पर पहले ही तैनात कर रखा है, जो सीमा पर दिन-रात निगरानी कर रहे हैं.

इसके अलावा अपग्रेड अपाचे हेलीकॉप्टर को भी भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया है, जो रात के समय भी पूर्वी लद्दाख सीमा पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं.

दूसरी ओर, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने अपने ड्रोन के साथ साथ J-16 और J-8 लड़ाकू विमान के जे 500 एयरबोर्न को सीमा पर तैनात किया है.

उल्लेखनीय है कि भारत दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के बोर्डो स्थित डसॉल्ट एविएशन फैक्ट्री से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद कर रहा है. राफेल संचालित करने वाला भारत चौथा देश होगा. इससे पहले फ्रांस, कतर और मिस्र ने ही राफेल का उपयोग किया है.

पढ़ें - भारत-चीन सीमा विवाद : वायुसेना की इस सप्ताह बैठक, राफेल की तैनाती पर चर्चा

भारतीय वायुसेना के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा मुख्यालयों में दो राफेल स्क्वाड्रन रखे जाएंगे. इन विमानों में परमाणु हथियार लोड किए जा सकते हैं. इसके अलावा राफेल जेट में NAVIC समर्थित रीयल-टाइम पोजिशनिंग सिस्टम शामिल है. NAVIC (नेविगेशन विद इंडियन कोनस्टेलेशन) भारत के जीपीएस का स्वदेशी संस्करण है, जिसमें सात सेटेलाइट का एक तारामंडल है.

राफेल को एक संशोधित M88-4E एयरो इंजन के साथ भी फिट किया जा रहा है, जो लेह जैसे ऑक्सीजन-रहित उच्च ऊंचाई वाले हवाई अड्डों में भी लड़ाकू विमानों को बेहतर तरीके से संचालित करने में सक्षम करेगा.

अन्य संशोधनों में उन्नत एयरबोर्न वेदर रडार सिस्टम, टकराव परिहार प्रणाली सहित परिहार प्रणाली (TAWS), स्टैंडबाय इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, डिकॉय कैपेबलिटी, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले और इजराइली 'स्पाइस' मिसाइल को एकीकृत करने के लिए फिटमेंट शामिल हैं. इसके अलावा संशोधनों को एकीकृत करने के लिए विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) 'उल्का' और स्वदेशी 'एस्ट्रा' मिसाइल को शामिल किया जाएगा.

नई दिल्ली : चीन के साथ जारी तनाव के बीच राष्ट्रीय राजधानी में 22 जुलाई से प्रस्तावित वायु सेना कमांडरों के दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान अगले हफ्ते कुछ समय के लिए अंबाला एयरबेस पर पांच राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती पर बातचीत होनी तय है. ये विमान ऐसी स्थिति में भारत आएंगे कि वे वायु सेना के लिए बहुत अल्प समय में उड़ान भरने में सक्षम होंगे.

सेना के सूत्रों के मुताबिक इन राफेल लड़ाकू विमानों में भारतीय दृष्टिकोण से तनिक संशोधन किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर सुधार पहले से ही विनिर्माण चरण के दौरान किए गए हैं, जबकि कुछ सामग्री भारत में लगाई जाएगी. लेकिन वे सभी एक प्लग एंड प्ले (लगाओ और चलाओ ) की स्थिति में उड़ान भरेंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत में एक अन्य सैन्य सूत्र ने बताया कि पूरी तरह से लोड किए गए राफेल फाइटर जेट को कुछ ही हफ्तों के भीतर उनकी अनिवार्य भूमिकाओं के लिए तैनात किया जा सकता है.

भारत-चीन सैन्य तनाव के बीच दो एशियाई दिग्गजों ने जिस तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जंगी सामानों की तैनाती की है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि राफेल की तैनाती के बाद भारत की स्थिति मजबूत हो जाएगी.

बता दें कि भारतीय वायुसेना ने मिराज 2000, सुखोई-30 और मिग-29 के सभी लड़ाकू विमानों को अग्रिम चौकियों पर पहले ही तैनात कर रखा है, जो सीमा पर दिन-रात निगरानी कर रहे हैं.

इसके अलावा अपग्रेड अपाचे हेलीकॉप्टर को भी भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया है, जो रात के समय भी पूर्वी लद्दाख सीमा पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं.

दूसरी ओर, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने अपने ड्रोन के साथ साथ J-16 और J-8 लड़ाकू विमान के जे 500 एयरबोर्न को सीमा पर तैनात किया है.

उल्लेखनीय है कि भारत दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के बोर्डो स्थित डसॉल्ट एविएशन फैक्ट्री से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद कर रहा है. राफेल संचालित करने वाला भारत चौथा देश होगा. इससे पहले फ्रांस, कतर और मिस्र ने ही राफेल का उपयोग किया है.

पढ़ें - भारत-चीन सीमा विवाद : वायुसेना की इस सप्ताह बैठक, राफेल की तैनाती पर चर्चा

भारतीय वायुसेना के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा मुख्यालयों में दो राफेल स्क्वाड्रन रखे जाएंगे. इन विमानों में परमाणु हथियार लोड किए जा सकते हैं. इसके अलावा राफेल जेट में NAVIC समर्थित रीयल-टाइम पोजिशनिंग सिस्टम शामिल है. NAVIC (नेविगेशन विद इंडियन कोनस्टेलेशन) भारत के जीपीएस का स्वदेशी संस्करण है, जिसमें सात सेटेलाइट का एक तारामंडल है.

राफेल को एक संशोधित M88-4E एयरो इंजन के साथ भी फिट किया जा रहा है, जो लेह जैसे ऑक्सीजन-रहित उच्च ऊंचाई वाले हवाई अड्डों में भी लड़ाकू विमानों को बेहतर तरीके से संचालित करने में सक्षम करेगा.

अन्य संशोधनों में उन्नत एयरबोर्न वेदर रडार सिस्टम, टकराव परिहार प्रणाली सहित परिहार प्रणाली (TAWS), स्टैंडबाय इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, डिकॉय कैपेबलिटी, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले और इजराइली 'स्पाइस' मिसाइल को एकीकृत करने के लिए फिटमेंट शामिल हैं. इसके अलावा संशोधनों को एकीकृत करने के लिए विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) 'उल्का' और स्वदेशी 'एस्ट्रा' मिसाइल को शामिल किया जाएगा.

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