नई दिल्ली : चुनाव आयोग (ईसी) ने मध्य प्रदेश के डबरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार इमरती देवी के बारे में आपत्तिजनक शब्द के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस नेता कमलनाथ को नोटिस जारी किया है.
चुनाव आयोग ने कमलनाथ से 48 घंटों के अंदर जवाब देने को कहा है.
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसान, रोजगार, महंगाई से बड़ा मुद्दा कमलनाथ की टिप्पणी हो गई है. आपत्तिजनक शब्द का उपयोग करने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चौतरफा घिर गए हैं. भाजपा तो हमलावर है ही, साथ ही पार्टी के नेता भी उनसे किनारा कर रहे हैं.
कमलनाथ ने पिछले दिनों डबरा विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा की उम्मीदवार इमरती देवी का नाम लिए बगैर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उसके बाद से उन पर लगातार हमले हो रहे हैं, कमलनाथ ने अपने बयान पर खेद व्यक्त कर दिया है, मगर माफी मांगने को तैयार नहीं हैं.
कमलनाथ ने राहुल गांधी के बयान पर कहा था कि उन्हें जैसा समझाया गया होगा उसी के आधार पर अपनी बात कही होगी. इस पर तंज सकते हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कमलनाथ, क्या राहुल गांधी इतने नासमझ हैं कि उनको समझाने की जरूरत पड़ती है? क्या आप भी राहुल गांधी को वही समझते हैं जो सारा हिन्दुस्तान समझता है?
वहीं राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के बयान को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताया और कहा कि कमलनाथ ने डबरा से भाजपा की उम्मीदवार और सरकार की मंत्री इमरती देवी जो दलित वर्ग से हैं, उन पर जो टिप्पणी की, जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वह उनके चरित्र और नीयत को दर्शाता है. जनता उन्हें इसका जवाब देगी.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने कमलनाथ के माफी न मांगने पर सवाल उठाया है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबियों में गिने जाने वाले मानक अग्रवाल का कहना है कि राहुल गांधी का बयान आने के बाद कमलनाथ को माफी मांग लेनी चाहिए थी. अभी भी समय है कि वे माफी मांग लें.
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राजनीति के जानकारों का मानना है कि हर चुनाव में जनता से जुड़े मुद्दों की अपेक्षा अन्य मुद्दों की चर्चा ज्यादा होती है, मगर ऐसा पहली बार हो रहा है जब कांग्रेस नेता कमलनाथ विवादों में घिरे हों, इतना ही नहीं कांग्रेस ही उनके साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है.
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राहुल गांधी के किनारा करने से राज्य का कोई भी बड़ा नेता उनके साथ नहीं है. वर्तमान में कमलनाथ पूरी तरह घिरते और अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं. इससे इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि विधानसभा के उप-चुनाव के बाद राज्य की कांग्रेस की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता है.