नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी. नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में दिवंगत नेता की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के बाद जेपी नड्डा ने पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाये.
नड्डा ने कहा कि पूरे देश ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की जांच की मांग की, लेकिन पंडित नेहरू ने जांच के आदेश नहीं दिये. उन्होंने कहा कि इतिहास इसका गवाह है.
नड्डा ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा. भारतीय जनता पार्टी उनकी मौत के कारणों का पता लगाकर रहेगी.
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इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेताओं ने भी भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धासुमन अर्पित किये. देश भर में डॉ. श्यामा प्रसाद को श्रद्धांजिल दी जा रही है. इस बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी डॉ. मुखर्जी की पुण्यतिथि मनाने का एलान किया है.
अमित शाह ने ट्वीट किया, 'डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए सिर्फ राष्ट्र सर्वोपरि था इसीलिए उन्होंने सत्ता का त्याग कर देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान के विरुद्ध डॉ. मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रवादी आंदोलन छेड़ा था.'
शाह ने लिखा, 'भारत के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से डॉ. मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की. आज यदि हम जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट के जा सकते हैं और पश्चिम बंगाल भारत का अभिन्न अंग है तो उसके पीछे डॉ. मुखर्जी जी का बलिदान है. ऐसे अभिजात देशभक्त के बलिदान दिवस पर उनके चरणों में कोटि-कोटि वंदन.'
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी रविवार डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर नमन किया और कहा कि डॉ. मुखर्जी ने अपना पूरा जीवन भारत की एकता और अखंडता को समर्पित कर दिया.
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, 'डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर स्मरण कर रहा हूं. एक समर्पित देशभक्त और राष्ट्रवादी.'
उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी का पूरा जीवन भारत की एकता और अखंडता को समर्पित था. एक मजबूत और एकजुट भारत के लिये उनका जुनून हमें आज भी प्रेरित करता है और 130 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की ताकत प्रदान करता है.
भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस मौके पर कहा, 'पुण्यतिथि का अवलोकन करना और उनकी सोच का अनुसरण करना 2 अलग-अलग बातें हैं. ममता जी उनकी पुण्यतिथि मना रही हैं, मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. लेकिन उन्हें अपनी सोच का पालन भी करना चाहिए ताकि हिंसा, विशेष रूप से राजनीतिक हिंसा, पश्चिम बंगाल में समाप्त हो.'
उन्होंने कहा, 'जिस तरह से वह भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रतिशोध के लिए मार रहा है, वह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच के अनुरूप नहीं है. उनकी राजनीति राष्ट्र को एकजुट करती थी. ममता जी की राजनीति राष्ट्र को विभाजित करती है.'
गौरतलब है कि बंगाल की ममता सरकार ने पिछले वर्ष की भांति इस बार भी भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रविवार को पुण्यतिथि मनाने का फैसला किया है. बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि राज्य के बिजली एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय दक्षिण कोलकाता के केवड़ातल्ला शमशान घाट के निकट पार्क में लगी डॉ. मुखर्जी की आवक्ष प्रतिमा पर श्रद्धाजंलि अर्पित करेंगे.
कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी
6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था. उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे. अभी केवल जीवन के आधे ही क्षण व्यतीत हो पाए थे कि हमारी भारतीय संस्कृति के नक्षत्र अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक तथा राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र में सुविख्यात डॉ. मुखर्जी की 23 जून, 1953 को मृत्यु की घोषणा की गईं. यह क्या वास्तविक मौत थी या कोई साजिश? बरसों बाद भी ये राज, राज ही रहा. डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत कर दिया था. महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे.