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जानें गुरु को समर्पित इस खास दिन का इतिहास और महत्व

पहला शिक्षक दिवस 5 सितंबर 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद वह देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. छात्रों ने सुझाव दिया कि उनके सम्मान में उनके जन्मदिन को 'राधाकृष्णन दिवस' के रूप में मनाया जाए, लेकिन राधाकृष्णन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने के बजाय, यह पांच सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो यह मेरे लिए गर्व होगा.

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जानें क्यों मनाया जाता है गुरु को समर्पित यह खास दिन...
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Published : Sep 5, 2020, 9:03 AM IST

Updated : Sep 5, 2020, 9:42 AM IST

हैदराबाद : इस बार शिक्षक दिवस महान भारतीय दार्शनिक, विद्वान और राजनीतिज्ञ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 132वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है. राधाकृष्णन का जन्म पांच सितंबर 1888 को मद्रास प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था. उनके दर्शन और उपदेश ने दुनियाभर में एक बड़ा प्रभाव डाला. उनकी जयंती पांच सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है. उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी था, जो अधीनस्थ राजस्व अधिकारी थे और उनकी माता का नाम सर्वपल्ली सीता था. राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपने दूर की चचेरी बहन शिवकामु से शादी कर ली. दंपती की छह संतानें पांच बेटियां और एक बेटा हुआ. राधाकृष्णन ने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक किया और बाद में, मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए चले गए, जहां वे छात्रों के बीच भी लोकप्रिय रहे.

शिक्षक दिवस का इतिहास :
पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद वह देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. यह वह वर्ष है जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने लगे.

उनके सम्मान का जश्न मनाने के लिए छात्रों ने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को 'राधाकृष्णन दिवस' के रूप में मनाया जाए. लेकिन राधाकृष्णन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने के बजाय, यह पांच सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो यह मेरे लिए गर्व होगा.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े रोचक तथ्य :-

  • जन्म 5 सितंबर, 1888 तिरुत्तनी, भारत.
  • उन्होंने M.A., D.Litt सहित कई डिग्रियां (LL.D., D.C.L, Litt.D., D.L, F.R.S.L, F.B.A.) हासिल की थीं.
  • 1917 में उनकी पहली पुस्तक, द फिलॉसफी ऑफ़ रवींद्रनाथ टैगोर, को भारतीय दर्शन पर दुनिया की नज़र मिली. उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया.
  • उन्होंने मैसूर (1918–21) में दर्शन के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया.
  • वह इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ईस्टर्न रिलीजियस और नैतिकता के प्रोफेसर (1936-52) और भारत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (1939-48) के कुलपति थे.
  • यूनेस्को (1946-52) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1949-1952 तक यूएसएसआर में भारतीय राजदूत रहे.
  • 1953 से 1962 तक वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति रहे.
  • 1948 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सेवा की.
  • 1954 में उन्हें भारत रत्न, टेम्पलटन पुरस्कार (1975) से नवाजा गया.
  • 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता.
  • 1964 दिसंबर, 1964 में पोप पॉल VI, भारत के किसी भी पोप की पहली यात्रा पर, राधाकृष्णन को वेटिकन के राज्य के प्रमुख के सम्मान के लिए सम्मानित किया.
  • राधाकृष्णन को साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए 16 बार और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 11 बार नामांकित किया गया था.
  • 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे विद्वान और राजनेता.
  • उन्होंने साहित्य अकादमी फेलोशिप जीती, 1968 में एक लेखक पर साहित्य अकादमी द्वारा दिया गया सर्वोच्च सम्मान. वह इस पुरस्कार को जीतने वाले व्यक्ति थे.
  • 17 अप्रैल, 1975 को मद्रास (चेन्नई) में 86 वर्ष की उम्र में निधन.

शिक्षकों पर प्रेरणादायक उद्धरण :-

डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम -

अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है और तेज दिमाग वाले व्यक्तियों का देश बनना है, तो मुझे दृढ़ता से लगता है कि तीन प्रमुख सामाजिक लोग हैं जो बदलाव ला सकते हैं. वे पिता, माता और शिक्षक हैं.

अल्बर्ट आइंस्टीन -

यह रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाने के लिए शिक्षक की सर्वोच्च कला है.

स्वामी विवेकानंद -

शिक्षा मनुष्य में पहले से ही पूर्णता की अभिव्यक्ति है.

महात्मा गांधी -

मैंने हमेशा महसूस किया है कि शिष्य के लिए सच्ची पाठ्य-पुस्तक उसके शिक्षक हैं.

बिल गेट्स -

प्रौद्योगिकी सिर्फ एक उपकरण है. बच्चों को एक साथ काम करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए, शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण है.

नेल्सन मंडेला -

शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उद्धरण :-

  • ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है.
  • पुस्तकें वे साधन हैं जिनके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच पुलों का निर्माण करते हैं.
  • ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद का जीवन संभव है.
  • जब हमें लगता है कि हम जानते हैं तो हम सीखना बंद कर देते हैं.

शिक्षकों पर कोविड प्रभाव :-

कोरोना महामारी का सभी लोगों के साथ शिक्षकों पर भी काफी गहरा असर हुआ है. उदाहरण के लिए इबोला संकट के बाद शिक्षकों को तार्किक चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

वहीं कोरोना के दौर की अगर बात की जाए, तो शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी समस्या ऐसे क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाना है, जहां इंटरनेट का काफी समस्या है. कनेक्टिविटी कमजोर होने की वजह से अधिकांश बच्चे शिक्षकों के साथ जुड़ नहीं पाते.

ऐसे में छात्रों का मूल्यांकन कर पाना समस्या है.

हालांकि, उनका सुझाव है कि ऑनलाइन शिक्षण को आगे बढ़ाने के लिए, शिक्षकों को प्रौद्योगिकी में अपने ज्ञान और कौशल के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है, और छात्रों के साथ बातचीत का स्तर भी ऑनलाइन सीखने के दौरान बढ़ जाना चाहिए.

शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार :-

शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को इंगित करना है. उन शिक्षकों को सम्मानित करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और उद्योग के माध्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है.

हैदराबाद : इस बार शिक्षक दिवस महान भारतीय दार्शनिक, विद्वान और राजनीतिज्ञ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 132वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है. राधाकृष्णन का जन्म पांच सितंबर 1888 को मद्रास प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था. उनके दर्शन और उपदेश ने दुनियाभर में एक बड़ा प्रभाव डाला. उनकी जयंती पांच सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है. उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी था, जो अधीनस्थ राजस्व अधिकारी थे और उनकी माता का नाम सर्वपल्ली सीता था. राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपने दूर की चचेरी बहन शिवकामु से शादी कर ली. दंपती की छह संतानें पांच बेटियां और एक बेटा हुआ. राधाकृष्णन ने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक किया और बाद में, मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए चले गए, जहां वे छात्रों के बीच भी लोकप्रिय रहे.

शिक्षक दिवस का इतिहास :
पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद वह देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. यह वह वर्ष है जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने लगे.

उनके सम्मान का जश्न मनाने के लिए छात्रों ने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को 'राधाकृष्णन दिवस' के रूप में मनाया जाए. लेकिन राधाकृष्णन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने के बजाय, यह पांच सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो यह मेरे लिए गर्व होगा.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े रोचक तथ्य :-

  • जन्म 5 सितंबर, 1888 तिरुत्तनी, भारत.
  • उन्होंने M.A., D.Litt सहित कई डिग्रियां (LL.D., D.C.L, Litt.D., D.L, F.R.S.L, F.B.A.) हासिल की थीं.
  • 1917 में उनकी पहली पुस्तक, द फिलॉसफी ऑफ़ रवींद्रनाथ टैगोर, को भारतीय दर्शन पर दुनिया की नज़र मिली. उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया.
  • उन्होंने मैसूर (1918–21) में दर्शन के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया.
  • वह इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ईस्टर्न रिलीजियस और नैतिकता के प्रोफेसर (1936-52) और भारत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (1939-48) के कुलपति थे.
  • यूनेस्को (1946-52) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1949-1952 तक यूएसएसआर में भारतीय राजदूत रहे.
  • 1953 से 1962 तक वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति रहे.
  • 1948 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सेवा की.
  • 1954 में उन्हें भारत रत्न, टेम्पलटन पुरस्कार (1975) से नवाजा गया.
  • 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता.
  • 1964 दिसंबर, 1964 में पोप पॉल VI, भारत के किसी भी पोप की पहली यात्रा पर, राधाकृष्णन को वेटिकन के राज्य के प्रमुख के सम्मान के लिए सम्मानित किया.
  • राधाकृष्णन को साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए 16 बार और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 11 बार नामांकित किया गया था.
  • 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे विद्वान और राजनेता.
  • उन्होंने साहित्य अकादमी फेलोशिप जीती, 1968 में एक लेखक पर साहित्य अकादमी द्वारा दिया गया सर्वोच्च सम्मान. वह इस पुरस्कार को जीतने वाले व्यक्ति थे.
  • 17 अप्रैल, 1975 को मद्रास (चेन्नई) में 86 वर्ष की उम्र में निधन.

शिक्षकों पर प्रेरणादायक उद्धरण :-

डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम -

अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है और तेज दिमाग वाले व्यक्तियों का देश बनना है, तो मुझे दृढ़ता से लगता है कि तीन प्रमुख सामाजिक लोग हैं जो बदलाव ला सकते हैं. वे पिता, माता और शिक्षक हैं.

अल्बर्ट आइंस्टीन -

यह रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाने के लिए शिक्षक की सर्वोच्च कला है.

स्वामी विवेकानंद -

शिक्षा मनुष्य में पहले से ही पूर्णता की अभिव्यक्ति है.

महात्मा गांधी -

मैंने हमेशा महसूस किया है कि शिष्य के लिए सच्ची पाठ्य-पुस्तक उसके शिक्षक हैं.

बिल गेट्स -

प्रौद्योगिकी सिर्फ एक उपकरण है. बच्चों को एक साथ काम करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए, शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण है.

नेल्सन मंडेला -

शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उद्धरण :-

  • ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है.
  • पुस्तकें वे साधन हैं जिनके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच पुलों का निर्माण करते हैं.
  • ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद का जीवन संभव है.
  • जब हमें लगता है कि हम जानते हैं तो हम सीखना बंद कर देते हैं.

शिक्षकों पर कोविड प्रभाव :-

कोरोना महामारी का सभी लोगों के साथ शिक्षकों पर भी काफी गहरा असर हुआ है. उदाहरण के लिए इबोला संकट के बाद शिक्षकों को तार्किक चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

वहीं कोरोना के दौर की अगर बात की जाए, तो शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी समस्या ऐसे क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाना है, जहां इंटरनेट का काफी समस्या है. कनेक्टिविटी कमजोर होने की वजह से अधिकांश बच्चे शिक्षकों के साथ जुड़ नहीं पाते.

ऐसे में छात्रों का मूल्यांकन कर पाना समस्या है.

हालांकि, उनका सुझाव है कि ऑनलाइन शिक्षण को आगे बढ़ाने के लिए, शिक्षकों को प्रौद्योगिकी में अपने ज्ञान और कौशल के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है, और छात्रों के साथ बातचीत का स्तर भी ऑनलाइन सीखने के दौरान बढ़ जाना चाहिए.

शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार :-

शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को इंगित करना है. उन शिक्षकों को सम्मानित करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और उद्योग के माध्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है.

Last Updated : Sep 5, 2020, 9:42 AM IST
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