हैदराबाद: आप रोजाना ब्रश करते हैं लेकिन फिर भी आप दांत, मसूड़े (gum problem) या मुंह से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं ? दरअसल सिर्फ मुंह की साफ सफाई में कमी या गलत खानपान ही नहीं, बल्कि कई अन्य प्रकार की आदतें भी होती हैं जो हमारे ओरल हाइजीन (oral hygiene) को प्रभावित करती हैं. ये आदतें दांतों और मसूड़ों में रोग का कारण बन सकती हैं.
छोटी-छोटी आदतें बिगाड़ सकती है मुंह की सेहत
कई बार हम ध्यान नही देते और जाने अनजाने बहुत सी ऐसी आदतों को अपना लेते हैं जो हमारे ओरल हाइजीन यानी मुंह के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और दांतों व मसूड़ों में रोग का कारण बन जाती हैं. पुणे की ऑरथोंडेन्टिस्ट डॉ. विशाखा नायक बताती हैं कि वैसे तो दांतों में छोटी-बड़ी कई समस्याओं के लिए मुंह की साफ सफाई में कमी को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन इसके अलावा कुछ अन्य आदतें भी हैं जिनके कारण हमारे ओरल हाइजीन पर असर पड़ता है. इन आदतों के चलते कई बार हमारे दांत और मसूड़ों में गंभीर रोगों के लक्षण भी नजर आने लगते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी कौन सी आदतें हैं जो हमारे मुंह व दांतों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, आइए जानते हैं (oral hygiene tips).
1. दांत साफ करने के लिए बार-बार टूथपिक का इस्तेमाल
डॉ. विशाखा बताती हैं कि बहुत से लोग कुछ भी खाने के बाद दांतों में फंसे आहार को बाहर निकालने के लिए टूथपिक या माचिस की तीली आदि का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यह आदत दांतों और मसूड़ों में रोग तथा समस्याओं का कारण बन सकती है. दरअसल बार-बार टूथपिक के इस्तेमाल से दांतों की जड़ें (Frequent use of toothpicks to clean teeth) कमजोर हो सकती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा समस्या तक आती है जब सफाई के दौरान दांतों के बीच टूथपिक फंसकर टूट जाती है. इससे न सिर्फ दांतों व मसूड़ों के टिशूज को नुकसान पहुंचता है बल्कि कई बार मसूड़ों में चोट भी लग सकती है जिससे उनमें खून भी आ सकता है. वहीं एक टूथपिक के एक से ज्यादा बार इस्तेमाल से उन पर लगी गंदगी के कारण दांतों में बैक्टीरिया पनपने की आशंका भी बढ़ने लगती है. इसके अलावा इस आदत से दांतों के बीच में गैप आ सकता है, कैविटी होने की आशंका बढ़ जाती है तथा दांतों की इनेमल की परत को भी नुकसान पहुंच सकता है.
2. मुंह खोल कर सोना
मुंह खोलकर सोने की आदत मुंह में कई प्रकार के संक्रमणों को न्योता दे सकती है. डॉ. विशाखा बताती हैं की मुंह खोल कर सोने की आदत ड्राई माउथ का कारण बन सकती है. दरअसल मुंह को बैक्टीरिया से बचाने में मुंह में मौजूद नमी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. मुंह में नमी की कमी या उसके अभाव के कारण दांतों में कैविटी जैसी समस्या, दांतों में संक्रमण तथा सांसों में बदबू जैसी समस्याएं बढ़ सकतीं हैं. इसके अलावा मुंह खोलकर सोने से गले में संक्रमण की आशंका भी बढ़ जाती है.
3. ब्रश करने की खराब आदतें
डॉ. विशाखा बताती हैं कि सही तरह से दांतों को ब्रश ना करने से दांतों में फर्मेंटेंड कार्बोहाइड्रेट बैक्टीरिया इकठ्ठे हो सकते हैं. जो दांतो में स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंट एसिड का निर्माण करने लगते हैं जिससे दांतों के इनेमल यानी उनकी बाहरी परत को नुकसान पहुंचने लगता है. इसके अलावा प्रतिदिन सही ढंग से ब्रश न करने पर दांतों में प्लाक जमने लगता है जो दांतों में कैविटीज का कारण बन सकता है जिससे दांतों के साथ मसूड़े भी कमज़ोर होने लगते हैं. जिससे जिंजिवाइटिस तथा पेरियोडोंटाइटिस बीमारी भी हो सकती है.
4. एक ब्रश का लंबे समय तक इस्तेमाल करना
ज्यादातर लोग एक ही टूथब्रश को महीनों तक इस्तेमाल करते रहते हैं. फिर चाहे उनका ब्रश खराब ही क्यों ना हो गया हो. डॉ. विशाखा बताती हैं कि खराब हो चुके ब्रश का इस्तेमाल न सिर्फ दांतों और मसूड़ों को चोटिल कर सकता है बल्कि मुंह में बैक्टीरिया के पनपने का कारण भी बन सकता है. वह बताती हैं कि सामान्य तौर पर हर तीन महीने में लोगों को अपना टूथब्रश बदल (Do not use a brush for a long time) लेना चाहिए. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बीमार हो तो ठीक होते ही उसे अपना ब्रश बदल लेना चाहिए जिससे वह फिर से बीमार ना पड़ जाए. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बीमार व्यक्ति के टूथब्रश को हमेशा दूसरे लोगों के टूथब्रश से अलग रखना चाहिए.
डॉ. विशाखा बताती हैं कि सिर्फ यही नहीं, जरूरत से ज्यादा कैफीन, धूम्रपान, मीठे आहार का सेवन जैसी बहुत सी खान-पान तथा व्यवहार संबंधी आदतें होती हैं जो हमारे मुंह, खासकर दांतों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि समय रहते उन खराब आदतों के बारें में जानें और उन्हे दूर करने का प्रयास करें. इसके अलावा बहुत जरूरी है कि मुंह या दांतों में हल्की सी समस्या होने पर भी तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें, क्योंकि ये समस्याएं हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं.
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