श्रीनगर : पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने मंदिर और अमरनाथ गुफा के साथ-साथ पंजतरणी से 123 लोगों को निकाला, जबकि 29 टन राहत और बचाव सामग्री पहुंचाई. ये जानकारी आईएएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यहां दी. शुक्रवार को हुए हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे.
मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, एयर कमोडोर पंकज मित्तल ने कहा कि IAF ने निकासी प्रक्रिया के दौरान Mi-17 V5 और चीतल हेलीकॉप्टरों (Cheetal helicopters) को सेवा में लगाया था. भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने श्रीनगर से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 20 कर्मियों को एयरलिफ्ट किया. इनके साथ छह कुत्ते भी थे. ये मलबे में दबे लापता लोगों का पता लगाने के लिए उस सर्च ऑपरेशन का हिस्सा थे.
अधिकारी ने कहा कि चीतल हेलीकॉप्टरों ने 45 उड़ानें भरीं. जिसमें पांच में एनडीआरएफ और सेना के जवान थे. 3.5 टन राहत सामग्री पहुंचाई गई. पवित्र गुफा के पास से 48 लोगों को निकाला गया. उन्होंने यह भी कहा कि एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टरों ने 20 उड़ानें भरीं. इनसे 9.5 टन राहत समग्री पहुंचाई गई. 64 फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. अधिकारी ने कहा कि हेलिकॉप्टरों से सात पार्थिव शरीर लाए गए. उन्होंने कहा कि गुफा के पास से राहत बचाव अभियान पूरा कर लिया गया है. उन्होंने कहा, 'हालांकि खराब मौसम के बावजूद हमने हार नहीं मानी और अपना अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया.'
'त्वरित प्रतिक्रिया से मौतें सीमित रहीं': उन्होंने कहा कि पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद बचाव एवं राहत कार्य में सबसे पहले जुटे लोगों की कोशिश से ही यह सुनिश्चित हुआ कि इस घटना में मृतकों की संख्या 'सीमित' रही. एअर कोमोडोर पंकज मित्तल ने कहा, 'लोगों द्वारा पहले दिन किए गए प्रयासों का ही नतीजा रहा कि मृत्यु एवं हताहत होने की संख्या वाकई सीमित रही.' बचाव एवं राहत अभियान के स्तर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हम (पहले ही) बड़ा अभियान देख चुके हैं, उसकी तुलना में अब अभियान छोटे पैमाने पर है.'
उन्होंने कहा, '(बचाव एवं राहत अभियान का) बड़ा प्रयास पहले ही खत्म हो गया है और वे यात्रा बहाल करने के लिए पहले ही वहां से चीजें (मलबा आदि) हटा चुके हैं. मैं समझता हूं कि एक या दो दिन में हम, जो कुछ थोड़ा-बहुत बचा है, उसे वहां से हटा देंगे.' अधिकारी ने कहा, 'मौसम बचाव एवं राहत अभियान में सबसे बड़ी चुनौती रहा. (गुफा को जाने वाली) घाटी संकरी होने एवं बादल छाए रहने के कारण हेलीकॉप्टर का प्रवेश करना मुश्किल हो रहा था.'
उन्होंने कहा, 'दृश्यता जैसे कुछ न्यूनतम मापदंड हैं जिसे हमें उड़ान भरने से पहले ध्यान रखने की जरूरत होती है...... दस जुलाई को भी हम मौसम के कारण आधे दिन से अधिक समय या अपराह्न दो बजे के बाद हेलीकॉप्टर नहीं उड़ा पाए.' मित्तल ने कहा कि घटना के दिन मौसम बड़ा प्रतिकूल था और 'हमें समन्वित तरीके से अगले दिन अभियान शुरू करना उचित लगा.'
उन्होंने कहा, 'आठ जुलाई को नागरिक प्रशासन, कैंप कमांडरों, सैन्य कमांडरों, बीएसएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस जैसी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय एवं योजना पर विशेष ध्यान था.' उन्होंने कहा कि मुख्य हेलीकॉप्टर परिचालन नौ जुलाई को सुबह नौ बजे शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि खराब मौसम के बाद भी वायुसेना 112 अभियानों को अंजाम देने में सफल रही. उन्होंने कहा कि बचाव एवं राहत प्रयास विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल एवं सहयोग के बिना संभव नहीं हो पाता. मित्तल ने बचाव और राहत कार्यों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना के इंजीनियरों और नागरिक प्रशासन द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की.
गौरतलब है कि अमरनाथ के पवित्र गुफा मंदिर में शुक्रवार शाम को बादल फटने से कई लोगों के बह जाने से 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 65 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
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