2020-21 में झारखंड में बाल विवाह के 32 फीसदी मामले दर्ज, क्या कानून में संशोधन से रुकेंगे मामले - Jharkhand news
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रांची: झारखंड में बाल विवाह के आंकड़े डराने वाले हैं. अब लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल किए जाने को लेकर झारखंड में भी नेता अपनी अपनी राय दे रहे हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले का हफीजुल अंसारी और जगरनाथ महतो जैसे नेताओं ने विरोध किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर ये कानून लागू भी हो गया तो हो सकता है कि झारखंड में बाल विवाह के आंकड़े और बढ़ जाएं. झारखंड में सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं. एक अनुमान के मुताबिक झारखंड में 10 में से 3 लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र में ब्याह दी जा रही हैं. राष्ट्रीय फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के अनुसार साल 2020-21 की रिपोर्ट में 32.2 फीसदी मामले झारखंड में बाल विवाह को लेकर दर्ज किए गए हैं. NFHS-4 के 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार बाल विवाह के 37.9 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए थे. इस लिहाज से देखें तो बाल विवाह के अनुपात में इन 5 वर्षों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. इस मामले पर झारखंड में इस पर राजनीतिक सामाजिक स्तर पर बहस जारी है. संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम इसे राजनीतिक चश्मे से देखते हुए भाजपा पर चुनाव के वक्त इस तरह का एजेंडा चलाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि नियम कानून तो बहुत हैं मगर जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आयेगी तब तक इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफिजुल अंसारी ने लड़कियों के शादी की उम्र 18 वर्ष ही रहने को उचित माना है. उन्होंने कहा कि जब 18 साल में ही वोट डालने का अधिकार होता है तो शादी करने का भी अधिकार होना चाहिए. जबकि, भाजपा विधायक नीरा यादव ने झारखंड में बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा कि 21 वर्ष शादी की उम्र होने से वे परिपक्व हो जाएंगी और जच्चा बच्चा भी स्वस्थ रहेंगे. भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के भी विधायक और प्रदेश अध्यक्ष लड़कियों के शादी की उम्र 21 वर्ष किये जाने के पक्षधर हैं. धनबाद की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा सिंह ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इसे धार्मिक दृष्टि से नहीं देखकर जेंडर विशेष के रूप में देखना चाहिए. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भी लड़कियों के शादी का उम्र 21वर्ष करने पर सहमति जताते हुए केंद्र सरकार को इस पर व्यापक रूप से एक्सरसाइज करने की वकालत की है.