नूर फातिमा की कहानी युवाओं को कर सकती है प्रेरित, शादी के 7 साल बाद बीपीएससी की परीक्षा की पास
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Published : Jan 18, 2024, 2:45 PM IST
कोडरमा: शादी के करीब 7 साल के बाद बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाली नूर फातिमा के संघर्ष की कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली है. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा एक तरफ जहां दो-तीन असफलताओं के बाद अपनी राह बदल देते हैं, वहीं कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली नूर फातिमा ने असफलताओं से सीख लेते हुए सफलता की नई परिभाषा गढ़ दी है. नूर फातिमा ने बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित 68वीं बीपीएससी की परीक्षा में 221 रैंक प्राप्त कर समाज कल्याण विभाग में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी बनने का गौरव हासिल किया है. 2016 में बरही के करियातपुर दुलमुहा गांव में हारून रशीद से उनकी शादी हुई थी. शादी के 3 वर्षों तक पढ़ाई से ब्रेक लेने के बाद 2019 से उन्होंने दोबारा सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. जहां उन्हें 66 वीं और 67वीं बीपीएससी की परीक्षा में असफलता हाथ लगी. नूर फातिमा ने बताया कि पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए प्रतिदिन वह 6 से 7 घंटे अपनी पढ़ाई पर घ्यान देती थी. तैयारी के दौरान उन्होंने खुद को सोशल मीडिया से दूर रखा और पढ़ाई के दौरान संसाधनों की कमी होने पर उन्होंने कपड़ों की खरीदारी कम कर किताबों की खरीददारी पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि अब आगे नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी भी उनकी जारी रहेगी. रामगढ़ डीसी कार्यालय से रिटायर हुए नूर फातिमा के पिता बदरूउद्दीन ने बताया कि वे कोडरमा के जयनगर प्रखंड में भी कई वर्षों तक नाजीर के रूप में रहे. इसके कारण अधिकारियों के बीच रहने पर वह अक्सर अपने बेटे-बेटियों को अधिकारियों के समाज में प्रतिष्ठा और उनकी जीवनशैली का उदाहरण देकर बच्चों को सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते थे.