गिरिडीह में सोहराय पर्व की धूम, परंपगत गीत और मांदर की थाप पर झूमे आदिवासी - सोहराय पर्व
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Published : Jan 14, 2024, 1:05 PM IST
गिरिडीहः प्रकृति पर्व सोहराय की धूम गिरिडीह में रही. यहां आदिवासी परंपरागत गीत व मांदर की थाप पर झूमते रहे. पांच दिनों तक चले इस पर्व के अंतिम दिन भी उत्साह देखा गया. सदर प्रखंड के गंगापुर में भी यह पर्व पूरे उत्साह से मनाया गया. यहां झारखंड युवा मोर्चा के जिला सचिव कोलेश्वर सोरेन ने बताया कि सोहराय भारत के तीसरे बड़े आबादी वाले संथाल आदिवासियों का एक बड़ा पर्व है. जिसे आदिवासी बड़े ही धूमधाम के साथ युगों से मनाते आ रहे हैं. बताया कि सोहराय पर्व सिर्फ नृत्य संगीत और विशेष खानपान तक ही सीमित नहीं है यह आपसी मेलजोल, सहभागिता और प्रकृति के प्रति सम्मान का एक बड़ा आयोजन है. इस पर्व में समाज के सभी उम्र के लोग शामिल होते हैं. पर्व के बहाने समाज को एकजुट करने का काम भी किया जाता है. बताया कि सोहराय पर्व संथाल आदिवासियों में खेती के शुरुआत से शुरू होता है. कहा कि जब संथालों ने पशुओं को पालना और उसके सहारे खेती का ईजाद किया तभी से यह महापर्व चलता आ रहा है.