गिरिडीह का तुकतुको गांव, जहां जंगल की रखवाली के लिए ग्रामीण करते हैं पहरेदारी - वन बचाव समिति का संचालन
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गिरिडीह: पेड़-पौधों के दोहन और बड़े- बड़े कल- कारखानों के संचालन से बिगड़ते पर्यावरण के बीच गिरिडीह जिला का तुकतुको एक ऐसा गांव है, जहां के लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए बगैर दाम के काम करते हैं. मतलब यह है कि ग्रामीणों के द्वारा जंगल की रखवाली के लिए रोज पहरेदारी की जाती है. तीस सालों से यह प्रक्रिया सतत जारी है. इसका परिणाम आज यह है कि 30 साल पहले जहां झाड़- झंखाड़ हुआ करता था, आज वहां घना जंगल है. इतना हीं नहीं जंगल में जानवरों का भी बसेरा है. राष्ट्रीय पक्षी मोर के कलरव से लेकर जंगली सुअर, अजगर, हिरण, नीलगाय आदि का कौतूहल जंगलों में देखा जाता है. मोर की बात करें तो वह जंगल से निकलकर गांव पहुंच रहा है और घर-आंगन का भी शोभा बढ़ा रहा है. जंगल की रखवाली के लिए गांव में 30 सालों से वन बचाव समिति का संचालन होता आ रहा है. जंगल की रखवाली के प्रति वन बचाव समिति की सक्रियता को देखते वन विभाग के द्वारा भी समय- समय पर समिति के हौसले को बढ़ाया जाता रहा है. वन बचाव समिति के अध्यक्ष भुवनेश्वर महतो बताते हैं कि लगातार पेड़- पौधों का दोहन होने से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है. वन बचाव समिति तुकतुको के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए जंगल की रखवाली की जाती है.