झारखंड में उज्ज्वला योजना का हाल बेहाल, चूल्हा फूंकने को मजबूर हो रही महिलाएं
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रांची: एक मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में एक शानदार योजना की शुरुआत की. इसका नाम था उज्ज्वला योजना. इसका मकसद था उन महिलाओं की मदद करना जो गरीब हैं, और जिनके दिन की शुरुआत चूल्हे के धुएं से होती है. हालांकि मात्र सात साल में ही प्रधानमंत्री की ये महत्वकांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. झारखंड में उज्ज्वला योजना का बुरा हाल है. झारखंड में करीब 36 लाख गैस कनेक्शन उज्जवला योजना के नाम हैं. लेकिन अगर बात करें इस्तेमाल की तो आपको जानकर हैरानी होगी कि मात्र 7 लाख लोग ही ऐसे हैं, जो सिलेंडर रिफिल करवा रहे हैं. माना जा रहा है कि गैस रिफिल ना करवाने की सबसे बड़ी वजह गैस की कीमतों में बेताशा वृद्धी है. एक गैस सिलेंडर की कीमत आज करीब 1100 रुपए है. एलपीजी की बढ़ी कीमतों ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं जिन्होंने उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर लिया है. उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर पाने वाली गुड़िया कच्छप कहतीं हैं कि उनकी घर की कमाई ही इतनी नहीं है कि वे सिलेंडर के लिए खर्च कर सकें. बहरहाल उज्ज्वला योजना शुरु होने के बाद महिलाओं में उम्मीद जगी थी कि अब उनकी परेशानी दूर होगी और खाना बनाना आसान होगा, लेकिन महंगाई ने उनकी ये उम्मीद तोड़ दी है.