आदिवासी नृत्य महोत्सव में छाया झारखंड, छऊ लोक नृत्य के कलाकारों ने मोहा मन - राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
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झारखंड के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हिस्सा लिया. उन्होंने छऊ लोक नृत्य की रोमांचक प्रस्तुति दी. छऊ लोक नृत्य में मुखौटे का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें केवल पुरूष कलाकार हिस्सा लेते हैं. इसे यूनेस्को ने 2010 में विरासत नृत्यों की सूची में शामिल किया है. इस नृत्य की जन्मभूमि सरायकेला-खरसावां जिला है. यहां की शैली को छऊ की मानभूम शैली कहते हैं. यहीं से ये ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रचलित हुआ है. माना जाता है कि इसका विकास सिंहभूम की सैनिक छावनियों में हुआ है. वीर रस के इस नृत्य में पौरुष की पराकाष्ठा का प्रदर्शन किया जाता है.