ETV Bharat / sukhibhava

विश्व दिव्यांग दिवस विशेष : ये भी किसी से कम नहीं, आत्मनिर्भर बनने के लिए थोड़े से सहयोग की अपेक्षा

author img

By

Published : Dec 2, 2022, 3:31 PM IST

दुनिया भर में विकलांग या दिव्यांग जनों के अक्षमता से जुड़े मुद्दों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने तथा उनके उचित आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल 3 दिसंबर को दुनिया भर में विश्व विकलांग दिवस या विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

World Divyang Day 2022
विश्व दिव्यांग दिवस

आमतौर पर विकलांगों को लेकर लोग दया या हीन भाव रखते हैं. लोगों को लगता है कि यदि कोई व्यक्ति विकलांग है कि इसका मतलब है कि वह निश्चित तौर पर दूसरों पर बोझ बना रहेगा. जो सही नहीं है. थोड़े से प्रयास से विकलांग व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकते हैं. लोगों में इसी सोच को लेकर जागरूकता फैलाने, दुनिया भर में विकलांग या दिव्यांग जनों के अक्षमता से जुड़े मुद्दों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने तथा उनके उचित आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल 3 दिसंबर को दुनिया भर में विश्व विकलांग दिवस या विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

आमतौर पर लोगों को लगता है कि चूंकि दिव्यांग किसी ना किसी मद में शारीरिक व मानसिक अक्षमता का शिकार होते हैं तो इसलिए वे आजीवन दूसरों पर बोझ बने रहते हैं. जबकि सत्य यह है कि कई प्रकार की दिव्यांगता में सही प्रशिक्षण, सही मौके तथा सही प्रयास की मदद से ना सिर्फ उनको आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है बल्कि वे समाज में बराबरी का जीवन भी जी सकते हैं. शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से हर साल वैश्विक पटल पर अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

दिव्यांगता का उद्देश्य तथा थीम (World Divyang Day 2022 Theme)
दिव्यांगों को लेकर समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह और भेदभाव को दूर करने के लिए, उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर दुनिया भर में लोगों को जागरूक करने तथा दिव्यांग लोगों को समाज में बराबरी के स्तर पर लाने के लिए उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ बनाने के मौके पैदा करने के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

इस वर्ष विश्व दिव्यांगता दिवस का थीम "जो भविष्य हम चाहते हैं, उसके लिए 17 लक्ष्यों को प्राप्त करना" हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में भी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) को अपनाने तथा इन लक्ष्यों की भूमिका से विश्व को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से इसी थीम के साथ विश्व विकलांगता दिवस मनाया गया था.

World Divyang Day 2022
विश्व दिव्यांग दिवस

क्या कहते हैं दिव्यांगता के आँकड़े
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दिए गए एक अनुमान के अनुसार विश्व आबादी का करीब 15%, यानि एक अरब से अधिक लोग किसी ना किसी प्रकार की दिव्यांगता से पीड़ित हैं. जिनमें से 80% विकासशील देशों में रहते है.

वहीं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा नवम्बर 2021 में जारी की गई एक रिपोर्ट की माने तो विश्व भर में क़रीब 24 करोड़ विकलांग बच्चे हैं. यानि हर दस में एक बच्चा दिव्यांगता का शिकार है. रिपोर्ट के अनुसार 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र की महिलाओं में, दिव्यांगता की औसत दर जहां 19% है( क़रीब हर पाँच में से एक महिला) वहीं पुरुषों के लिये यह आँकड़ा 12 % का है. वहीं विश्व में लगभग 80 करोड़ दिव्यांगजन कामकाजी उम्र के हैं.

रिपोर्ट के अनुसार दिव्यांगता की अवस्था में रहे पुरुषों, महिलाओं व बच्चों को आमतौर पर व्यवस्थागत तथा सामाजिक अवरोधों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका सामाजिक व आर्थिक दर्जा प्रभावित होता है. चिंता की बात यह है कि अधिकांश दिव्यांग अलग-अलग कारणों से जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा नहीं ले पाते हैं, मनचाही शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं और यहां तक कि उन्हें समाज में रोजगार के अवसर भी बहुत कम मिल पाते हैं. ऐसे में विश्व दिव्यांग दिवस एक मौका है, जो दिव्यांगों को लेकर समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह और भेदभाव को दूर करने के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समुदायों को प्रयास करने के लिए एक मंच देता है, जिससे दुनिया भर के दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने तथा उनके लिए एक बाधा मुक्त समाज की स्थापना करने में सफलता मिल सके. हालांकि इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है. लेकिन अभी भी रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में दिव्यांगों को पूरे अधिकार नहीं मिल पाते हैं.

World Divyang Day 2022
विश्व दिव्यांग दिवस

क्या है दिव्यांगता और उसके कारण
गौरतलब है कि दिव्यांगता शब्द में शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार की दिव्यांगता शामिल होती है. मुख्य रूप से यदि दिव्यांगता की श्रेणियों कि बात करें तों आमतौर पर निम्नलिखित समस्याओं से पीड़ित लोगों को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा जाता जाता है.

· ऐसे लोग जो दृष्टि दोष यानी बेहद कम नजर या आंशिक अंधापन अथवा पूर्ण अंधापन का शिकार हों.

· ऐसे लोग जिन्हे बोलने या सुनने में कठिनाई हो या जो बिल्कुल भी बोल या सुन नहीं सकते हैं.

·ऐसे लोग जो किसी रोग, आनुवंशिक कारण या दुर्घटना के कारण शारीरिक अपंगता का शिकार हो और सामान्य तरीके से चलने फिरने या जीवन जीने में अक्षम हो या कठिनाई महसूस करते हों.

· ऐसे लोग जो मानसिक मंदता यानी मानसिक अक्षमता एवं मानसिक बीमारी का शिकार हों तथा जिसके चलते वे सीखने, लिखने,पढ़ने, व्यवहार करने या दूसरों के साथ संपर्क या सामंजस्य बैठाने में अक्षम हो. · ऐसे लोग जो बहु विकलांगता यानी ऐसी विकलांगता जिसमें शरीर के कई अंगों प्रभावित हों करती है या शरीर के एक या एक से ज्यादा अंग किसी भी कार्य को पूर्ण या आंशिक रूप से करने में सक्षम ना हो.

· डाउन सिंड्रोम, मल्टीपल स्केलेरोसिस तथा सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों से पीड़ित लोग

इसे भी देखें.. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस : भोपाल गैस त्रासदी को याद करने का मौका

दिव्यांग दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर वर्ष 1992 से दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरुआत की गयी थी. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1983 से 1992 तक के दशक को दिव्यांगजनों के लिए संयुक्त राष्ट्र का दशक घोषित किया था. जिसके उपरांत दिव्यांगों के स्वस्थ जीवन देने, उनका आत्मसम्मान बनाए रखने ,उन्हें उनके अधिकारों के बारें में जागरूक करने तथा उन अधिकारों को प्राप्त करने के मार्ग को सरल करने के उद्देश्य से वर्ष 1992 में 47वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर साल 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पारित किया था. जिसके बाद से हर साल 3 दिसंबर को विश्व भर में यह विशेष दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

आमतौर पर विकलांगों को लेकर लोग दया या हीन भाव रखते हैं. लोगों को लगता है कि यदि कोई व्यक्ति विकलांग है कि इसका मतलब है कि वह निश्चित तौर पर दूसरों पर बोझ बना रहेगा. जो सही नहीं है. थोड़े से प्रयास से विकलांग व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकते हैं. लोगों में इसी सोच को लेकर जागरूकता फैलाने, दुनिया भर में विकलांग या दिव्यांग जनों के अक्षमता से जुड़े मुद्दों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने तथा उनके उचित आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल 3 दिसंबर को दुनिया भर में विश्व विकलांग दिवस या विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

आमतौर पर लोगों को लगता है कि चूंकि दिव्यांग किसी ना किसी मद में शारीरिक व मानसिक अक्षमता का शिकार होते हैं तो इसलिए वे आजीवन दूसरों पर बोझ बने रहते हैं. जबकि सत्य यह है कि कई प्रकार की दिव्यांगता में सही प्रशिक्षण, सही मौके तथा सही प्रयास की मदद से ना सिर्फ उनको आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है बल्कि वे समाज में बराबरी का जीवन भी जी सकते हैं. शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से हर साल वैश्विक पटल पर अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

दिव्यांगता का उद्देश्य तथा थीम (World Divyang Day 2022 Theme)
दिव्यांगों को लेकर समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह और भेदभाव को दूर करने के लिए, उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर दुनिया भर में लोगों को जागरूक करने तथा दिव्यांग लोगों को समाज में बराबरी के स्तर पर लाने के लिए उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ बनाने के मौके पैदा करने के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

इस वर्ष विश्व दिव्यांगता दिवस का थीम "जो भविष्य हम चाहते हैं, उसके लिए 17 लक्ष्यों को प्राप्त करना" हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में भी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) को अपनाने तथा इन लक्ष्यों की भूमिका से विश्व को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से इसी थीम के साथ विश्व विकलांगता दिवस मनाया गया था.

World Divyang Day 2022
विश्व दिव्यांग दिवस

क्या कहते हैं दिव्यांगता के आँकड़े
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दिए गए एक अनुमान के अनुसार विश्व आबादी का करीब 15%, यानि एक अरब से अधिक लोग किसी ना किसी प्रकार की दिव्यांगता से पीड़ित हैं. जिनमें से 80% विकासशील देशों में रहते है.

वहीं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा नवम्बर 2021 में जारी की गई एक रिपोर्ट की माने तो विश्व भर में क़रीब 24 करोड़ विकलांग बच्चे हैं. यानि हर दस में एक बच्चा दिव्यांगता का शिकार है. रिपोर्ट के अनुसार 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र की महिलाओं में, दिव्यांगता की औसत दर जहां 19% है( क़रीब हर पाँच में से एक महिला) वहीं पुरुषों के लिये यह आँकड़ा 12 % का है. वहीं विश्व में लगभग 80 करोड़ दिव्यांगजन कामकाजी उम्र के हैं.

रिपोर्ट के अनुसार दिव्यांगता की अवस्था में रहे पुरुषों, महिलाओं व बच्चों को आमतौर पर व्यवस्थागत तथा सामाजिक अवरोधों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका सामाजिक व आर्थिक दर्जा प्रभावित होता है. चिंता की बात यह है कि अधिकांश दिव्यांग अलग-अलग कारणों से जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा नहीं ले पाते हैं, मनचाही शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं और यहां तक कि उन्हें समाज में रोजगार के अवसर भी बहुत कम मिल पाते हैं. ऐसे में विश्व दिव्यांग दिवस एक मौका है, जो दिव्यांगों को लेकर समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह और भेदभाव को दूर करने के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समुदायों को प्रयास करने के लिए एक मंच देता है, जिससे दुनिया भर के दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने तथा उनके लिए एक बाधा मुक्त समाज की स्थापना करने में सफलता मिल सके. हालांकि इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है. लेकिन अभी भी रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में दिव्यांगों को पूरे अधिकार नहीं मिल पाते हैं.

World Divyang Day 2022
विश्व दिव्यांग दिवस

क्या है दिव्यांगता और उसके कारण
गौरतलब है कि दिव्यांगता शब्द में शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार की दिव्यांगता शामिल होती है. मुख्य रूप से यदि दिव्यांगता की श्रेणियों कि बात करें तों आमतौर पर निम्नलिखित समस्याओं से पीड़ित लोगों को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा जाता जाता है.

· ऐसे लोग जो दृष्टि दोष यानी बेहद कम नजर या आंशिक अंधापन अथवा पूर्ण अंधापन का शिकार हों.

· ऐसे लोग जिन्हे बोलने या सुनने में कठिनाई हो या जो बिल्कुल भी बोल या सुन नहीं सकते हैं.

·ऐसे लोग जो किसी रोग, आनुवंशिक कारण या दुर्घटना के कारण शारीरिक अपंगता का शिकार हो और सामान्य तरीके से चलने फिरने या जीवन जीने में अक्षम हो या कठिनाई महसूस करते हों.

· ऐसे लोग जो मानसिक मंदता यानी मानसिक अक्षमता एवं मानसिक बीमारी का शिकार हों तथा जिसके चलते वे सीखने, लिखने,पढ़ने, व्यवहार करने या दूसरों के साथ संपर्क या सामंजस्य बैठाने में अक्षम हो. · ऐसे लोग जो बहु विकलांगता यानी ऐसी विकलांगता जिसमें शरीर के कई अंगों प्रभावित हों करती है या शरीर के एक या एक से ज्यादा अंग किसी भी कार्य को पूर्ण या आंशिक रूप से करने में सक्षम ना हो.

· डाउन सिंड्रोम, मल्टीपल स्केलेरोसिस तथा सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों से पीड़ित लोग

इसे भी देखें.. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस : भोपाल गैस त्रासदी को याद करने का मौका

दिव्यांग दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर वर्ष 1992 से दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरुआत की गयी थी. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1983 से 1992 तक के दशक को दिव्यांगजनों के लिए संयुक्त राष्ट्र का दशक घोषित किया था. जिसके उपरांत दिव्यांगों के स्वस्थ जीवन देने, उनका आत्मसम्मान बनाए रखने ,उन्हें उनके अधिकारों के बारें में जागरूक करने तथा उन अधिकारों को प्राप्त करने के मार्ग को सरल करने के उद्देश्य से वर्ष 1992 में 47वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर साल 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पारित किया था. जिसके बाद से हर साल 3 दिसंबर को विश्व भर में यह विशेष दिव्यांग दिवस मनाया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.