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बीजेपी के लक्ष्मण का गोद लिया आदर्श गांव केरा, जानें कितना हुआ विकास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदर्श गांव के सपनों को साकार करने के लिए पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने चक्रधरपुर के केरा गांव को गोद लिया था. पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने पीएम के सपने को साकार करने का भी प्रयास किया. लेकिन गांव के ग्रामीण उनके काम से खुश नजर नही आते हैं. गांव में बिजली, शिक्षा, पानी एवं अन्य कई मुलभूत सुविधाओं की कमी है जिससे ग्रामीण काफी निराश हैं. लक्ष्मण गिलुवा कहते हैं कि उन्होंने विकास के 70% काम किया है और 30% अभी भी बाकी है, जिसे अब जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए.

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Published : Mar 19, 2020, 7:23 PM IST

चाईबासाः जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन की अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी, जिसके तहत सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर काफी गंभीर थे. मगर सांसदों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली. नतीजतन यह हुआ कि 5 साल बीत जाने के बाद भी पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के गोद लिए गए गांव अब तक आदर्श बन सकी है.

देखें केरा गांव पर स्पेशल रिपोर्ट

गांव में बस एक जल मीनार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने चक्रधरपुर के केरा गांव को गोद लिया था. पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने पीएम के सपने को साकार करने का भी प्रयास किया. लेकिन गांव के ग्रामीण उनके काम से खुश नजर नही आते हैं. सांसद के गोद लिए केरा गांव में बिजली तो पहुंचाई गई है, लेकिन गांव में बिजली 24 घंटे में मात्र 8 घंटे ही रहती है. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर गांव के सैकड़ों घरों के लिए मात्र एक सोलर जल मीनार बनाई गई है. आलम यह है कि पानी के लिए भी ग्रामीणों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. जिस कारण कई ग्रामीण महिलाएं गांव के बगल नदी, तालाब के भी पानी का इस्तेमाल किया करती हैं. कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में एक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर उपस्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन डॉक्टर नही आते हैं. बड़े अक्षरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. इसके अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दो एएनएम आती हैं वो भी सप्ताह दो या दिन दिन के लिए, रोजाना यह यह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी नही खोला जाता है.

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बेरोजगारी के कारण युवाओं का पलायन
रोजगार की बात की जाए तो यहां के 50% से अधिक युवक-युवतियां गांव से पलायन कर चुके हैं, कुछ गांव में ही भटक रहे हैं. इस आदर्श गांव के युवक-युवतियों के रोजगार के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था नहीं है जहां बेरोजगार युवक-युवतियों रोजगार की ट्रेनिंग लेकर अपना रोजगार स्थापित कर सकें. गांव में मनरेगा कार्यालय है परंतु गांव के ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. मनरेगा कार्यालय वर्षो से बंद पड़ा हुआ है जिसे गांव के ही टेंट व्यवसायी अपने निजी कार्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में गांव में उड़िया मध्य विद्यालय भी है लेकिन सरकारी स्कूल होने के कारण शिक्षकों की कमी है. ग्रामीणों की माने तो स्कूल में पढ़ाई भी सही ढंग से नहीं होती है यह उड़िया मध्य विद्यालय 1912 में स्थापित किया गया था. जबकि इस विद्यालय में उड़िया के 9 शिक्षक हैं ना पाठ्यक्रम और अब उड़िया की पढ़ाई भी पूरी तरह से ठप हो गई है. गांव का यह उड़िया मध्य विद्यालय नाम का ही मात्र उड़िया रह गया है. स्कूल की चारदीवारी तोड़ दी गई है और अब तक इसका निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका है. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या होगी.

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और पढ़ें-विधानसभा सत्रः भूख से मौत के मामले में विपक्ष का सरकार पर हमला, 10 लाख का मुआवजा देने की मांग

गांव में है बैंक और पोस्ट ऑफिस

केरा गांव में एक बैंक और पोस्ट ऑफिस भी है, लेकिन गांव के ग्रामीणों की मानें तो गांव में ग्रामीण बैंक मात्र है जिस कारण लोगों की काफी भीड़ लगी रहती है. वहीं गांव में पोस्ट ऑफिस भी है जो सुबह एक या 2 घंटे के लिए खुला रहता है उसके बाद पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी वापस चले जाते हैं.

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गांव में सड़कों किनारे नहीं है नाली, घर में घुसते हैं पानी

गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सड़के तो बनी है परंतु सड़कों के दोनों किनारे नाली का निर्माण नहीं कराया गया है जिस कारण बरसात के दिनों में पानी घरों में घुस आता है और ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती है.

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गांव में एक पीएम आवास नहीं

गांव में एक भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किसी भी ग्रामीण को घर नहीं मिल सका है. अगल बगल के गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीणों को घर उपलब्ध कराया गया है. परंतु केरा गांव में एक भी ग्रामीण को पीएम आवास का लाभ नहीं मिल सका है.

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किसानों के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं

ग्रामीण बताते हैं कि गांव के खेतिहर किसानों के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. गांव के किसान आसमानी वर्षा पर निर्भर है हालांकि अभी कैनाल निर्माण कार्य की शुरुआत की गई है लेकिन यह कब तक पूरा होगा और इसका कितना लाभ किसानों को मिलेगा यह देखने वाली बात होगी.

क्या कहते हैं पूर्व सांसद

पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा बताते हैं कि केरा गांव का सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से उन्होंने गांव को गोद लिया था. केरा गांव राजा रजवाड़ा के समय एक स्टेट हुआ करता था. गांव का विकास गोद लेने से पूर्व जितना विकास होना चाहिए था नहीं हो सका था. इसी उद्देश्य से केरा गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत उन्होंने गोद लिया था. उस दौरान गांव के ग्रामीणों ने अपनी-अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ग्रामसभा कर योजनाएं रखी. गांव के ग्रामीणों की मांग थी कि सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और इसी दिशा में काम की शुरुआत करते हुए गांव के मुख्य सड़कों को उन्होंने दुरुस्त करवाया. गांव में स्टेडियम के निर्माण को लेकर लक्ष्मण गिलुआ ने बताया कि 2005 से 2009 के बीच रही सरकार के विधायकों ने अपनी अनुशंसा पर केरा गांव में स्टेडियम का निर्माण करवाया था जो अब तक अधूरा पड़ा हुआ है और उसे स्टेडियम के पूरे पैसे भी निकासी किए जा चुके हैं.
लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम केरा के विकास के लिए 70% उन्होंने काम किया है और 30% अभी भी काम बाकी है. जिसे अब जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए. उन्होंने नौ करोड़ की लागत से एक जल मीनार की भी स्वीकृति करवाई है. जिसके बन जाने से गांव के ग्रामीणों को पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.


चाईबासाः जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन की अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी, जिसके तहत सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर काफी गंभीर थे. मगर सांसदों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली. नतीजतन यह हुआ कि 5 साल बीत जाने के बाद भी पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के गोद लिए गए गांव अब तक आदर्श बन सकी है.

देखें केरा गांव पर स्पेशल रिपोर्ट

गांव में बस एक जल मीनार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने चक्रधरपुर के केरा गांव को गोद लिया था. पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने पीएम के सपने को साकार करने का भी प्रयास किया. लेकिन गांव के ग्रामीण उनके काम से खुश नजर नही आते हैं. सांसद के गोद लिए केरा गांव में बिजली तो पहुंचाई गई है, लेकिन गांव में बिजली 24 घंटे में मात्र 8 घंटे ही रहती है. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर गांव के सैकड़ों घरों के लिए मात्र एक सोलर जल मीनार बनाई गई है. आलम यह है कि पानी के लिए भी ग्रामीणों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. जिस कारण कई ग्रामीण महिलाएं गांव के बगल नदी, तालाब के भी पानी का इस्तेमाल किया करती हैं. कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में एक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर उपस्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन डॉक्टर नही आते हैं. बड़े अक्षरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. इसके अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दो एएनएम आती हैं वो भी सप्ताह दो या दिन दिन के लिए, रोजाना यह यह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी नही खोला जाता है.

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बेरोजगारी के कारण युवाओं का पलायन
रोजगार की बात की जाए तो यहां के 50% से अधिक युवक-युवतियां गांव से पलायन कर चुके हैं, कुछ गांव में ही भटक रहे हैं. इस आदर्श गांव के युवक-युवतियों के रोजगार के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था नहीं है जहां बेरोजगार युवक-युवतियों रोजगार की ट्रेनिंग लेकर अपना रोजगार स्थापित कर सकें. गांव में मनरेगा कार्यालय है परंतु गांव के ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. मनरेगा कार्यालय वर्षो से बंद पड़ा हुआ है जिसे गांव के ही टेंट व्यवसायी अपने निजी कार्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में गांव में उड़िया मध्य विद्यालय भी है लेकिन सरकारी स्कूल होने के कारण शिक्षकों की कमी है. ग्रामीणों की माने तो स्कूल में पढ़ाई भी सही ढंग से नहीं होती है यह उड़िया मध्य विद्यालय 1912 में स्थापित किया गया था. जबकि इस विद्यालय में उड़िया के 9 शिक्षक हैं ना पाठ्यक्रम और अब उड़िया की पढ़ाई भी पूरी तरह से ठप हो गई है. गांव का यह उड़िया मध्य विद्यालय नाम का ही मात्र उड़िया रह गया है. स्कूल की चारदीवारी तोड़ दी गई है और अब तक इसका निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका है. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या होगी.

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और पढ़ें-विधानसभा सत्रः भूख से मौत के मामले में विपक्ष का सरकार पर हमला, 10 लाख का मुआवजा देने की मांग

गांव में है बैंक और पोस्ट ऑफिस

केरा गांव में एक बैंक और पोस्ट ऑफिस भी है, लेकिन गांव के ग्रामीणों की मानें तो गांव में ग्रामीण बैंक मात्र है जिस कारण लोगों की काफी भीड़ लगी रहती है. वहीं गांव में पोस्ट ऑफिस भी है जो सुबह एक या 2 घंटे के लिए खुला रहता है उसके बाद पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी वापस चले जाते हैं.

बीजेपी के लक्ष्मण का गोद लिया आदर्श गांव केरा, जानें कितना हुआ विकास
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गांव में सड़कों किनारे नहीं है नाली, घर में घुसते हैं पानी

गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सड़के तो बनी है परंतु सड़कों के दोनों किनारे नाली का निर्माण नहीं कराया गया है जिस कारण बरसात के दिनों में पानी घरों में घुस आता है और ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती है.

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गांव में एक पीएम आवास नहीं

गांव में एक भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किसी भी ग्रामीण को घर नहीं मिल सका है. अगल बगल के गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीणों को घर उपलब्ध कराया गया है. परंतु केरा गांव में एक भी ग्रामीण को पीएम आवास का लाभ नहीं मिल सका है.

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किसानों के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं

ग्रामीण बताते हैं कि गांव के खेतिहर किसानों के लिए सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. गांव के किसान आसमानी वर्षा पर निर्भर है हालांकि अभी कैनाल निर्माण कार्य की शुरुआत की गई है लेकिन यह कब तक पूरा होगा और इसका कितना लाभ किसानों को मिलेगा यह देखने वाली बात होगी.

क्या कहते हैं पूर्व सांसद

पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा बताते हैं कि केरा गांव का सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से उन्होंने गांव को गोद लिया था. केरा गांव राजा रजवाड़ा के समय एक स्टेट हुआ करता था. गांव का विकास गोद लेने से पूर्व जितना विकास होना चाहिए था नहीं हो सका था. इसी उद्देश्य से केरा गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत उन्होंने गोद लिया था. उस दौरान गांव के ग्रामीणों ने अपनी-अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ग्रामसभा कर योजनाएं रखी. गांव के ग्रामीणों की मांग थी कि सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और इसी दिशा में काम की शुरुआत करते हुए गांव के मुख्य सड़कों को उन्होंने दुरुस्त करवाया. गांव में स्टेडियम के निर्माण को लेकर लक्ष्मण गिलुआ ने बताया कि 2005 से 2009 के बीच रही सरकार के विधायकों ने अपनी अनुशंसा पर केरा गांव में स्टेडियम का निर्माण करवाया था जो अब तक अधूरा पड़ा हुआ है और उसे स्टेडियम के पूरे पैसे भी निकासी किए जा चुके हैं.
लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम केरा के विकास के लिए 70% उन्होंने काम किया है और 30% अभी भी काम बाकी है. जिसे अब जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए. उन्होंने नौ करोड़ की लागत से एक जल मीनार की भी स्वीकृति करवाई है. जिसके बन जाने से गांव के ग्रामीणों को पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.


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